ईसाई मिशनरीज़ भोले भाले वनवासियों को कई तरह के लालच देकर ईसाई बनाने को लेकर कुख्यात हैं। जब कोई कार्यवाही होती है तो उसे धार्मिक आजादी से जोड़ दिया जाता है। परन्तु संविधान में ही यह स्पष्ट है कि लालच देकर धर्म परिवर्तन अपराध है। मध्यप्रदेश में भी हाल ही में वनवासियों को ईसाई बनाने के आरोप में पुलिस ने रविवार, 26 दिसंबर को झाबुआ जिले में एक कैथोलिक पुजारी और एक पादरी सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया। कैथोलिक प्रीस्ट के खिलाफ वनवासियों (आदिवासियों) ने शिकायत की कि उन्हें चिकित्सा और शिक्षा के लाभ के बदले ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का लालच दिया जा रहा है।
परन्तु ऐसा नहीं है कि हिन्दुओं पर केवल ईसाई ही हमला बोल रहे हैं, मुस्लिम भी हिन्दुओं के साथ षड्यंत्र कर रहे हैं। इसी क्रम में एक अन्य मामले में, किसी जावेद खान पर 25 दिसंबर को अशोक नगर जिले में एक वनवासी महिला को हिन्दू पहचान का धोखा देने, उसके साथ संबंध बनाने और उसके बच्चे के जन्म के बाद उसे इस्लाम में परिवर्तित करने के लिए मजबूर करने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मप्र पुलिस ने 26 वर्षीय तेतिया बरिया नामक वनवासी ने कल्याणपुरा पुलिस थाने में अपनी शिकायत में यह कहा कि फादर जैम सिंह डिंडोरे, पादरी अनसिंह निनामा और मंगू मेहताब भूरिया द्वारा मिशनरी द्वारा संचालित अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं और शिक्षा के वादे के अंतर्गत उनका धर्म बदलने की कार्यवाही भी हो रही है।
तेतिया ने अपनी शिकायत में लिखा कि “26 दिसंबर को, सुबह लगभग 8 बजे, पिता जाम सिंह डिंडोरे ने मुझे और सुरती बाई (एक अन्य ग्रामीण) को अपने प्रार्थना कक्ष में बुलाया और हमें धर्मांतरण के लिए बुलाई गई एक साप्ताहिक बैठक में बैठाया। उन्होंने हम पर पानी छिड़का और हमारे लिए बाइबिल पढ़ी,”।
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि तीनों आरोपियों ने उन्हें यह लालच दिया कि अगर वह ईसाई धर्म को अपना लेंगे तो वह उनके परिवारों को मुफ्त शिक्षा और चिकित्सा लाभ देंगे। तेतिया ने कहा कि उसने और सुरती बाई दोनों ने धर्मांतरण से इनकार किया और वह जगह छोड़ दी और बाद में पुलिस को मामले की जानकारी दी।
दिनेश रावत, पीएस प्रभारी, कल्याणपुरा, झाबुआ शिकायत और पुलिस कार्रवाई की पुष्टि करते हुए, ने द क्विंट को बताया:
“तेतिया बरिया और सुरती बाई ने एक शिकायत दर्ज की थी जिसमें उन्होंने एक कैथोलिक प्रीस्ट और एक पास्टर सहित तीन लोगों का नाम लिया था। तेतिया ने दावा किया है कि उन्हें मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं का लालच दिखाकर ईसाई धर्म में मतांतरित होने का लालच दिया जा रहा था। मध्य प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्राथमिकी अधिनियम की धारा 3, 5, 10 (2) के अंतर्गत दर्ज की गई है और तीनों को अदालत के आदेश से जेल भेज दिया गया है।’
द क्विंट की रिपोर्ट में कहा गया है कि झाबुआ, गुजरात की सीमा से सटे एक मुख्य रूप से वनवासी बहुल जिले में, मध्यप्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2021 पेश किए जाने के बाद, अवैध धर्मांतरण और ईसाई मिशनरियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के मामलों में वृद्धि देखी गई है।
इससे पहले नवंबर 2021 में आदिवासी समाज सुधारक संघ के संयोजक आजाद प्रेम सिंह डामोर ने जिला अधिकारियों को पत्र लिखकर 56 ईसाई मिशनरियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उन्हें आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित संवैधानिक रूप से पुनरीक्षित लाभों का लाभ उठाने से रोकने की मांग की थी।
ग्रूमिंग जिहाद
वहीं मध्य प्रदेश के दूसरे छोर पर अशोक नगर जिले की एक अन्य घटना में पुलिस ने 25 दिसंबर को एक जावेद खान के खिलाफ एक वनवासी महिला को जबरन इस्लाम क़ुबूल करवाने के लिए प्राथमिकी दर्ज की।
अशोक नगर के पुलिस थाने में शिकायत में पीड़िता ने दावा किया कि जावेद खान उसके साथ रह रहा था, उसने खुद को राकेश कुशवाहा बताया। उसने आगे आरोप लगाया कि उसे अपने बेटे के जन्म के बाद पता चला कि उसका असली नाम है और जावेद उस पर दबाव डाल रहा था कि वह अपना धर्म बदले।
अशोक नगर पुलिस ने शिकायत का संज्ञान लेते हुए जावेद खान के खिलाफ एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम, 1989 की धाराओं और एमपी की धर्म स्वतंत्रता अधिनियम 2021 की धारा 5 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज की है।
15 दिसंबर तक, मध्य प्रदेश पुलिस ने 62 मामले दर्ज किए हैं, जिनमें से हाल ही में पारित एमपी फ्रीडम ऑफ रिलिजन एक्ट 2021 के अंतर्गत 8 ईसाईयों के खिलाफ दर्ज किए गए थे।