केरल में एक एक्स-मुस्लिम को इसलिए अपने ही समुदाय और परिवार द्वारा हिंसा का शिकार होना पड़ा, आजादी और शांति का दावा करने वाले मजहब को मानने वालों ने अक्सर अली को मात्र इसलिए मारापीटा कि वह इस्लाम से आजादी चाह रहा था। 24 वर्षीय अक्सर अली केरल के मल्लापुरम जिले का निवासी है और उसने 12 वर्ष की मजहबी तालीम पूरी करने के बाद ही इस्लाम छोड़ा है।
यह भी बहुत बड़ा संयोग है जैसे ही अक्सर अली ने इस्लाम को जाना, वैसे ही अक्सर अली का दिल इस्लाम से उचट गया। या कहें जो भी उसमें जो लिखा है, उससे उचट गया। इस हद तक उचटा कि अपनी जान की परवाह न करते हुए इस्लाम को छोड़ने की घोषणा कर दी।
अक्सर अली केरल में सबसे युवा मौलवियों में से एक था। कुरआन का अध्ययन जैसे जैसे वह करता गया, वैसे ही उसने इस्लाम छोड़ने का निर्णय लिया और वह एक्स-मुस्लिम ऑफ केरल के समुदाय के साथ जुड़कर एक स्वतंत्र चिन्तक हो गया। पाठकों को एक बार फिर से स्मरण करा दें कि एक्स मुस्लिम ऑफ केरला का नाम हाल ही में तब चर्चा में आया था, जब जनवरी में इस संगठन द्वारा एक्स मुस्लिम दिवस मनाया गया था।
अक्सर अली का उस संगठन के साथ जुड़ना उसके समुदाय के लोगों को पंसद नहीं आया और जब वह अपने विचार व्यक्त करने के लिए कि उसने इस्लाम क्यों छोड़ा, यह कहने के लिए जा रहा था, तो उसे रोकने के लिए उसके ही घरवालों ने उसका अपहरण करने का प्रयास किया।
मीडिया के अनुसार अली ने अपनी शिकायत में कहा कि उसके रिश्तेदारों सहित कुछ लोगों ने उसे एस्सेंस ग्लोबल द्वारा आयोजित एक समारोह में अपनी बात रखने जाने से रोकने के लिए उन्हें मारा पीटा और उनका अपहरण करने का प्रयास किया, परन्तु उन्हें स्थानीय लोगों ने और पुलिस ने बचा लिया।
इसके बाद अक्सर अली ने एक फेसबुक लाइव किया और कहा कि मारने वाले लोग उसे कोल्लम ले गए थे और उन्हें वहां पर ले जाकर बहुत मारा पीटा। इसके बाद हमला करने वालों ने उनका फोन भी तोड़ डाला एवं उन्हें कार के भीतर बंद कर दिया।
एसेंस ग्लोबल के अनुसार अली ने फिर अपना भाषण पुलिस की उपस्थिति में दिया। एक वीडियो में अली ने इस्लामिक स्टडीज के स्टूडेंट के रूप में अपने अनुभवों के विषय में बात की। और उन्होंने यह भी आरोप लगाए कि उनकी तालीम के दौरान और इंसानियत के रास्ते पर चलने के दौरान के उनके सफर में उनके साथ यौन शोषण भी हुआ।
क्या कहा अक्सर अली ने उस वीडियो में:
ऑर्गनाइजर के अनुसार एसेंसस ग्लोबल के आयोजन में बोलते हुए अली ने कहा कि केरल में मदरसों में छात्रों को यह तालीम दी जाती है कि
“मुसलमानों को भारतीय सेना में शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि पाकिस्तान से आने वाले जिहादी असली मुसलमान हैं!” एक चौंकाने वाले खुलासे में उन्होंने कहा कि मदरसा के छात्रों को सिखाया जा रहा है कि ‘पाकिस्तानी आतंकवादी, जो भारतीय मुसलमानों की हत्याओं का बदला लेने के लिए जम्मू-कश्मीर आते हैं, असली मुसलमान हैं। जैसे एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को नहीं मार सकता, इसलिए हमें भारतीय सेना में शामिल नहीं होना चाहिए।‘
इससे पहले अली के घरवालों ने भी अली के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। और उसे एक मजिस्ट्रेट न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था, जहाँ उसने कहा कि वह घर नहीं जाना चाहता। पुलिस के अधिकारियों ने कहा था कि अली ने कहा वह अपने घर नहीं जाना चाहता, तो न्यायालय ने उसे उसकी इच्छा के हिसाब से जाने की अनुमति दे दी है। अभी उसने कोई पुलिस प्रोटेक्शन की मांग नहीं की है!
इस्लाम में मजहब छोड़ने की आजादी नहीं है
इस्लाम में इस्लाम को छोड़ने की आजादी सहज नहीं है। तेरह मुस्लिम देशों में इस्लाम छोड़ने की सजा मौत है। पाकिस्तान में तो पैगम्बर की बेअदबी पर भी मौत की सजा है और कैसे घेर कर मारा जाता है, यह हमने श्री लंका के नागरिक की हत्या के मामले में देखा ही है।