spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
21.6 C
Sringeri
Friday, April 26, 2024

अब “मान्यवर” और आलिया भट्ट ने किया हिन्दुओं के पवित्र अनुष्ठान पर प्रहार

एक बार फिर से हिन्दुओं के विवाह से सम्बन्धित अनुष्ठान पर वार हुआ है और अबकी बार वार किया है “मान्यवर” ब्रांड ने, जिसमें आलिया भट्ट ने आकर कहा है कि “वह कोई वस्तु नहीं हैं, जिसे दान किया जाए!, इसलिए अब कन्या दान नहीं कन्या मान!”

इस विज्ञापन के आने के बाद से ही हिन्दुओं में गुस्से की लहर है।

एक और बात नहीं समझ आती है कि जो एड एजेंसी होती हैं, उनके दिमाग में हिन्दू धर्म को लेकर इतना कचड़ा क्यों भरा होता है? या फिर वह वही वोक लिबरल होते हैं, जिन्हें न ही कन्या का अर्थ पता होता है और न ही दान का! और इन्हें कौन अधिकार देता है कि वह हिन्दू धर्म पर कुछ कह सकें। उनके भीतर हिन्दू धर्म की मूल समझ ही नहीं होती है।  हिन्दुओं को ही अपना सामान बेचने वाले लोगों के भीतर हिन्दुओं को ही नीचा दिखाने की प्रवृत्ति क्यों होती है और वह भी आलिया भट्ट जैसे लोगों से जिनके पिता अपनी बड़ी बेटी के साथ लिप-लॉक करके चर्चा में आ चुके थे। और यह बॉलीवुड ही है, जिसने “बेटी पराया धन है जैसे डायलॉग बनाए!” और जिसने लड़की को वस्तु बनाकर पेश किया।

कन्यादान जैसे पवित्र हिन्दू अनुष्ठान पर प्रहार करने के कारण मान्यवर अब लोगों के निशाने पर आ चुका है। और लोग भारी संख्या में जाकर उस विज्ञापन पर डिसलाइक का बटन दबा रहे हैं।

एड एजेंसी या प्रोडक्ट निर्माता, आखिर समाज सुधारक क्यों बन जाते हैं, और वह भी केवल हिन्दू धर्म के? जिसके विषय में उन्हें क, ख, ग नहीं पता होता है और जो सड़क छाप कविताएँ पढ़कर अपनी जानकारी का निर्माण करते हैं।  यह लोग कभी भी हलाला के खिलाफ अभियान नहीं चलाते, जिससे परेशान होकर कई मुस्लिम औरतें न्यायालय और पुलिस के चक्कर काट रही हैं!

यहाँ तक कि हाल ही में अहमदाबाद में आयशा नामक मुस्लिम लड़की ने अपने शौहर की बेवफाई से दुखी होकर लाइव आत्महत्या की थी, मगर उसे आधार बनाकर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर निशाना नहीं साध पाए कि चार निकाह की कुप्रथा बंद की जाए।

या फिर एक बार बोलने वाले तीन तलाक पर ही अभियान नहीं चलाते हैं।

हाल ही में चर्च में यौन शोषण के आरोप आए हैं, पर कोई भी ब्रांड नहीं अभियान चलाता? परन्तु हाँ, हिन्दुओं के अनुष्ठानों पर प्रश्न उठाने के लिए हर कोई तैयार हो जाता है। और यही प्रश्न अब लोग कर रहे हैं कि आखिर हिन्दुओं से समस्या क्या है?

एक यूजर ने विरोध करते हुए यही प्रश्न किया कि “कन्यादान पितृसत्ता है, मगर निकाह नामा में देना और मेहर तय करना, यह सभी वोक है!”

मेहर पर आज तक क्यों किसी ने प्रश्न नहीं उठाया?

और विवाह हिन्दुओं में जन्म जन्म का बंधन है, जबकि निकाहनामा एक अनुबंध है जिसे मेहर के आधार पर तय किया जाता है, इस व्यवस्था को बंद करने के लिए “मान्यवर” जैसे लोग कितना अभियान चलाएंगे? जयपुर डायलॉग ने भी ट्वीट किया कि हम उस समाज में रहते हैं, जिसमें कन्यादान पितृसत्ता है और चार निकाह आज़ादी है:

हालाँकि यह कोई नया कदम नहीं है, जब किसी ब्रांड ने समाज सुधारक बनने की कोशिश की है! रेड लेबल चाय ने हिन्दू विरोधी विज्ञापन बनाया था, जिसमें गणेश जी की मूर्ति के बहाने हिन्दुओं को ही असहिष्णु ठहराने की कोशिश की थी।

उससे पहले होली के समय बच्चों को शिकार बनाते हुए सर्फ़एक्सेल का विज्ञापन भी हमें याद होगा। और जब लव जिहाद के मामले में लडकियां बक्से में मिल रही थीं मरी हुईं, तब घावों पर नमक छिड़कने के लिए तनिष्क का विज्ञापन?

हर वर्ष रक्षाबंधन पर महिला समानता के अभियान चलने लगते हैं और करवाचौथ को तो गुलामी का प्रतीक ही बना दिया है।

जबकि इनमें से किसी ने भी गहराई से हिन्दू धर्म के उन ग्रंथों का अध्ययन नहीं किया होता है, जहाँ पर विवाह के समय दुल्हन को माँ लक्ष्मी एवं वर को भगवान विष्णु माना जाता है। दान का अर्थ, भी पढ़े लिखे वोक कुपढ़ डोनेट से ले लेते हैं, जबकि दान का अर्थ हिन्दुओं में कहीं अधिक है। दान का अर्थ त्यागना नहीं होता है, न ही सम्बन्ध तोड़ना होता है। दान एक पवित्र शब्द है, और यह कल्याण की भावना के साथ किया जाता है जैसे समाज के कल्याण के लिए विद्यादान, यहाँ तक कि जीवनदान।  जब एक वृहद कल्याण के लिए प्रसन्नता के साथ दान किया जाता है।

कन्या का पिता, अपनी पुत्री को नव जीवन के लिए वर को दान देता है, इस आशीर्वाद के साथ कि वह अब गृहस्थ जीवन में प्रवेश करें, परन्तु वहत्यागतानहीं है। वह दयावश किसी को अपनी बेटी डोनेट नहीं कर रहा है, कि किसी अपात्र की शादी नहीं हो पा रही है, तो दयावश अपनी बेटी को डोनेट कर दिया, जैसे दस या बीस रूपए डोनेट कर देते हैं।

पहले पिता अपनी पुत्री के योग्य वर की तलाश करता है, और जब उनकी पुत्री उनकी पसंद को स्वीकृत करती है, तभी वह अपनी पुत्री को उस योग्य एवं पात्र वर के हाथों में इस विश्वास के साथ सौंपता है, कि वह उनकी पुत्री को हर प्रकार का सुख देगा।

वह किसी दयावश किसी को अपनी बेटी डोनेट नहीं कर देता है।

परन्तु दान शब्द को डोनेट शब्द तक सीमित करने वाले वोक लिबरल इस भावना को नहीं समझ सकते हैं क्योंकि उनके दिमाग में कचडा फेमिनिज्म की कचड़ा कविताएँ बसी रहती हैं, जो कन्यादान को बिना समझे ही कोसती रहती हैं।

वहीं पुरुषों पर लिंग के आधार पर होने वाले कानूनी पक्षपात पर काम करने वाले कुछ लोगों ने यह भी कहा कि परम्पराओं को तोड़ने के स्थान पर उन कानूनों को तोडा जाना चाहिए, जो लिंग के आधार पर पक्षपाती हैं:

मूल प्रश्न यही है कि हर ऐरागेरा आकर हिन्दू धर्म में सुधारक का दावा क्यों करता है? क्या तीन तलाक और हलाला पर बोलने में उन्हें अपनी गर्दन तन से जुदा होने का डर होता है?

यह दोनों ही प्रश्न हमें मात्र मान्यवर @Manyavar_  से ही नहीं पूछने चाहिए बल्कि विज्ञापन बनाने वाली श्रेयांस इनोवेशंस से भी पूछने चाहिए!

यह तो प्रश्न करना ही चाहिए कि आखिर मान्यवर/मोही केमालिक रवि मोदी और उनकी पेरेंट कंपनी वेदान्त फैशन लिमिटेड जो खुद को “सेलेब्रेशन वियर ब्रांड” कहती है और फिर हिन्दुओं के विवाह संस्कारों पर थूकती है, यह कैसा खेल है?

हर हिन्दू जो इस विज्ञापन से आहत है, उसे कम से कम यह प्रश्न करना चाहिए कि पवित्र दान को सस्ते “डोनेट” में कैसे बदल दिया और किसने उन्हें अधिकार दिया कि हिन्दू धर्म के पवित्र संस्कार के विरुद्ध इतनी घटिया भाषा और तिरस्कार वाली भाषा का प्रयोग करें!

कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि # BoycottHinduphobicManyavar का ट्रेंड चलाएं

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

1 COMMENT

  1. This all are working only with one agenda ……Gajava A Hind ……for that they have to attack on Hindu tradition …..this is the only reason ….. but have to protest against such attack ….rather. it is our duty …..

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.