भारतीय जनता पार्टी ने अपनी राष्ट्रीय प्रवक्ता नुपुर शर्मा को पार्टी से छ वर्षों के लिए निलंबित कर दिया है। यह निलंबन उस समय आया, जब नुपुर शर्मा पर इस्लामिक कट्टरपंथी जिहादी हर ओर से टूट पड़े थे! नुपुर शर्मा के उस वक्तव्य पर लोग यह कह रहे थे कि नुपुर ने नबी का अपमान किया है, उस वक्तव्य को लेकर इस्लाम में ही व्याख्या कई हैं, यह दावा कई कथित इस्लामिक वेबसाईट और विकीइस्लाम आदि पर भी उपलब्ध हैं।
लोग सोशल मीडिया पर जाकिर नाइक के भी वीडियो साझा कर रहे हैं:
नुपुर शर्मा को लेकर जब भारत में लगातार निशाना बनाया जा रहा था तो अचानक से ही क़तर एवं सऊदी आदि देशों में भारतीय उत्पादों के बहिष्कार का अभियान आरम्भ हुआ और देखते ही देखते सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड करने लगा। और फिर अचानक से ही नुपुर शर्मा को पार्टी से छह वर्षों के लिए निलंबित कर दिया गया।
परन्तु निलंबन का यह निर्णय आम लोगों को या कहें भारतीय जनता पार्टी के वोटर्स को पसंद नहीं आया। क्योंकि इसमें निलंबन ही मात्र सम्मिलित नहीं था, बल्कि नुपुर शर्मा का पता भी पार्टी की ओर से वायरल कर दिया गया। क्योंकि अभी भी नुपुर शर्मा का पता कट्टरपंथी तत्व खोज रहे हैं, जिससे उनका सिर तन से जुदा किया जा सके:
एक ऐसे समय में जब नुपुर शर्मा कट्टरपंथी इस्लामिस्ट के निशाने पर थी, तो ऐसे में पता भी प्रकट करना, कहीं न कहीं ऐसी लापरवाही है, जिस पर कार्यवाही होनी चाहिए थी।
परन्तु वह नहीं हुआ, नुपुर शर्मा को यह अनुरोध करना पड़ा कि मीडिया वाले उनका पता जाहिर न करें क्योंकि उनके परिवार को जान का खतरा है।
इस निर्णय से भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करने वाले भी सकते में आ गए और वह समझ नहीं पाए कि आखिर ऐसा क्यों पार्टी ने किया? अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा अन्य मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखने वाले आनन्द रंगनाथन ने इस कृत्य को कायरता पूर्ण किया गया कृत्य बताया और यह भी कहा कि पार्टी ने नुपुर शर्मा को भेड़ियों के सामने फेंक दिया। और उन्होंने यह भी कहा कि नुपुर आपके साथ यह पूरा देश है!
परन्तु सबसे अधिक जो हैरान करने वाली बात थी, वह था क़तर जैसे देश का भारतीय दूतावास को इस सम्बन्ध में तलब करना और उससे भी हैरान करने वाला तथ्य था कि भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा अपने ही कार्यकर्ता को “फ्रिंज एलीमेंट” कहना!
दोहा में भारतीय दूतावास से जारी किये वक्तव्य में भारत की ओर से कहा गया कि यह कुछ “फ्रिंज एलीमेंट” के विचार हैं। परन्तु ऐसा नहीं है कि पहली बार ही हिन्दुओं की बात रखने वालों बाहरी दबाव के कारण “फ्रिंज एलीमेंट” कहा गया हो। पाठकों को स्मरण होगा कि जब अटल बिहारी वाजपेई जी प्रधानमंत्री थे और पोप जॉन पॉल द्वितीय भारत आए थे तो उस वर्ष ही “दारा सिंह” ने आदिवासियों के ईसाई धर्मान्तरण के विरोध में ग्राहम स्टेंस की हत्या कर दी थी। इस पर उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
इतना ही नहीं, जबरन धर्मांतरण को लेकर जब हिन्दू संगठन पोप जॉन पॉल द्वितीय का विरोध कर रहे थे, तो उनपर पुलिस का प्रयोग किया गया था और श्री अटल जी ने भी कहा था कि वैसे तो भारत धार्मिक सहिष्णुता का देश है, परन्तु फिर भी कुछ इंटोलरेन्स फ्रिंज हैं!”
कल भी कुछ इसी प्रकार का पहले भारतीय जनता पार्टी की ओर से स्पष्टीकरण आया कि वह सभी धर्मों का आदर करती है और भाजपा किसी भी धर्म के किसी भी धार्मिक व्यक्ति के अपमान की कड़ी निंदा करती है।
और फिर उसके बाद दोहा में भारतीय दूतावास की ओर से जो वक्तव्य जारी किया गया, उसमें नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल के नाम उल्लेख किये बिना यह कहा गया कि यह कुछ फ्रिंज एलीमेंट का कार्य था।
सोशल मीडिया से लेकर आम कार्यकर्ता में रोष है
भारतीय जनता पार्टी के मतदाता तो खुलकर विरोध व्यक्त कर रहे हैं, परन्तु पार्टी के कार्यकर्त्ता भी दबे स्वरों में इस निर्णय का विरोध कर रहे हैं। क्योंकि यह निर्णय मात्र कार्यकर्ताओं के मनोबल को ही ठेस नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि यह कहीं न कहीं बाहरी दबावों के आधार पर घरेलू निर्णय लेने की बात है। साध्वी प्राची ने भी कहा कि वह नुपुर शर्मा के साथ हैं:
यह वही क़तर है जिस देश ने उस एमएफ हुसैन को नागरिकता और शरण दी थी, जिस एमएफ हुसैन ने हिन्दू देवियों को नग्न चित्रित किया था।
जो लोग वहां पर रह रहे भारतीयों की बात करते हैं, क्या उस समय वहां पर रह रहे भारतीयों ने एक बार भी यह आपत्ति दर्ज कराई कि आप कैसे ऐसे व्यक्ति को नागरिकता दे रहे हैं, जिसने हमारे भगवान की नंगी पेंटिंग बनाई है!
क्या भारत की ओर से यह आपत्ति क़तर के साथ दर्ज की गई थी कि क्यों उसने हिन्दू देवियों की नंगी पेंटिंग बनाने वाले को अपनी नागरिकता दी थी?
नहीं! कोई भी बात नहीं हुई! जब ज्ञानवापी में शिवलिंग प्रकट हुए थे, तो न जाने कितने मुस्लिम कट्टरपंथियों ने फुव्वारा बताते हुए अपमानजनक ट्वीट किये थे, परन्तु उन पर क्यों भारत की ओर से ऐसी कोई आपत्ति नहीं दर्ज की गयी कि यह भारत के बहुसंख्यक वर्ग के आराध्य हैं इसलिए उन पर आपत्तिजनक ट्वीट करने वालों को रोका जाए?
क्या महादेव के अपमान का कोई मूल्य नहीं है? यह प्रश्न बार बार इसलिए उभर कर आ रहा है क्योंकि महादेव का अपमान करने वालों के प्रति कोई भी कठोर कदम नहीं उठाया गया! सरफराज अहमद यह खुले आम कहते हैं कि यदि मुस्लिम पक्ष को यह पता होता कि वह शिवलिंग है तो वह तुड़वा दिया जाता! मगर इतनी बड़ी बात पर कोई कुछ नहीं कहता!
नुपुर शर्मा ने यदि कुछ गलत कहा था तो उसके लिए न्यायालय है, भारत की अपनी एक न्यायिक व्यवस्था है, भारत का अपना एक संविधान है, जिसके आधार पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने पर दंड का प्रावधान है, तो उसका सहारा लिया जाना चाहिए था, या फिर मुस्लिम देशों के दबाव पर अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं को फ्रिंज एलीमेंट बोला जाएगा और हटाया जाएगा?
लोग कह रहे हैं कि भारत इस्लामिक राज्य ही है! अभिजित मजूमदार ने भी लिखा कि
यह बात पूरी तरह से हिन्दुओं के समक्ष स्पष्ट होनी चाहिए कि वह दलों में बंटे हुए हैं और तभी किसी नुपुर शर्मा के गले कटने की धमकी दूसरे दलों के हिन्दुओं को पीड़ा नहीं देती है, बल्कि वह प्रसन्न होते हैं। और यह भी बात साफ़ समझ में आनी चाहिए कि हिन्दू विश्व में बहुत ही निर्बल अल्पसंख्यक समुदाय है, जिसका अपना नेतृत्व भी उसी पर आँखें तरेरता है और बांग्लादेश जैसा देश भी आँखे उसी पर तरेर देता है!
लोग प्रश्न कर रहे हैं कि अरब और मुस्लिम देशों के साथ सम्बन्ध इतने जरूरी हैं कि आपने अपने ही कार्यकर्त्ता को मरने के लिए छोड़ दिया है, और यह तो भूल ही जाएं कि हम पाकिस्तान और बांग्लादेश में हो रहे हिन्दू उत्पीडन पर कोई प्रश्न उठाएंगे?
#IStandWithNupurSharma भी ट्रेंड कल चला!
लोगों ने कहा भी कि वह लोग तो अपने आतंकवादियों को भी सेलीब्रेट करते हैं और हम अपने नायकों को छोड़ देते हैं। इसलिए हम यदि अपनी महिलाओं को ही नहीं बचा पाए तो और क्या करेंगे?
लोग कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने हो सकता है कि अरब के साथ कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर जीत हासिल कर ली हो,परन्तु उन्होंने अपना मूल समर्थक आधार खो दिया है!
प्रश्न यही है कि क्या यह सन्देश है हिन्दुओं को महादेव या हिन्दू आराध्यों के विरुद्ध आप कुछ भी कहते रहें आपको कुछ नहीं होगा, परन्तु आपको मजहब में लिखी गयी बात को भी नहीं कहना है, नहीं तो पार्टी आपके ही खिलाफ कदम उठाएगी!
लोगों ने हिन्दू आराध्यों के ट्वीट साझा करते हुए कहा कि शिवलिंग का उपहास उड़ाना तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, परन्तु किताब से किताब की ही बात बताने आपका पार्टी से सस्पेंशन हो सकत है:
प्रश्न यह भी है कि हिन्दू आराध्यों का अपमान करने वाले लिबरल वर्ग के खिलाफ क्यों कोई कदम नहीं उठाया जाता है? क्यों उन्हें यह आजादी दी गयी है कि वह जब चाहें हिन्दू आराध्यों का अपमान कर सकें, जब उनका मन हो वह हिन्दुओं का अपमान कर सकें!
ऐसा नहीं है कि महादेव का अपमान केवल एक ही पार्टी सहन कर रही है। कांग्रेस से तो अब कोई अपेक्षा नहीं हैं, परन्तु रह रहकर उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल से ऐसे स्वर उभर कर आ रहे हैं, जो यह कहते हैं कि महादेव का अपमान स्वीकार नहीं होता, परन्तु यह भी दुर्भाग्य है कि पार्टी द्वारा उन्हें तुरंत निष्कासित कर दिया जाता है। पूर्व में सपा नेता रूबीना खानम ने यह कहा था कि अगर मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी, तो मुस्लिम भाइयों को उस जमीन को हिंदू भाइयों को दे देनी चाहिए। तो उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।
और अब एक और नेता अंकुर यादव को भी इस कारण पार्टी से निकाल दिया गया क्योंकि उसने यह कहा था कि हमें पार्टी लाइन से परे हटकर नुपुर शर्मा का समर्थन इसलिए करना चाहिए क्योंकि महादेव का अपमान नहीं सहन किया जा सकता है!
जो भी राजनीतिक दल आज नुपुर शर्मा के बहाने भारतीय जनता पार्टी को घेर रहे हैं, क्या वह स्वयं बताएं कि हिन्दू विरोधियों के प्रति उनका स्टैंड क्या होता है? हर किसी को मुस्लिम तुष्टिकरण की सीमा पार करनी है और उसके लिए हिन्दुओं के देवी देवताओं को कुछ भी कहा जाता रहे, सब कुछ स्वीकार्य है!
परन्तु भारतीय जनता पार्टी के साथ बात अलग है! इसलिए क्योंकि उसे हिन्दुओं की पार्टी कहा जाता है और हिन्दुओं का एक बड़ा वर्ग अपने धार्मिक अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए उसकी ओर देखता है। यही कारण है कि जब नुपुर शर्मा को उन मुस्लिम देशों के विरोध पर हटाया गया, जो महादेव के अपमान पर कुछ नहीं कहते हैं या फिर अफगानिस्तान जैसे देश जहाँ से हिन्दुओं और सिखों को चुन चुनकर मारा गया, भगाया गया, आजाद आवाजों को दबाया जा रहा है, वह लोग भी भारत को आँखें इस बात पर दिखा रहे हैं कि भारत में उनके नबी का अपमान हुआ, तो लोगों को दर्द होता है, उनका विश्वास टूटता है और उन्हें लगता है कि आप असहिष्णु मजहबी लोगों के कारण अपने ही नेता पर कैसे इतना बड़ा कदम उठा सकते हैं?
परन्तु यह बाहरी दबाव है जिसके कारण हिन्दू “फ्रिंज एलीमेंट” हो जाते हैं और यही शब्द सबसे अधिक दुःख रहे हैं!
यह असंतोष कब दूर होगा, यह देखने की बात होगी! लोग यह भी पूछ रहे हैं कि क्या अब आल्ट न्यूज़ के जुबैर या कतर के इशारों पर विश्व की सबसे बड़ी पार्टी चलेगी?
इस प्रकरण से प्रश्न तो कई उठेंगे और उत्तर भी सत्ताधारी दल को देना ही होगा क्योंकि यह सत्य है कि 303 सीटें उन्हें मात्र हिन्दू मतों के कारण ही मिली हैं! और हिन्दुओं का विश्वास है इस पार्टी पर, तो कम से कम उन्हें ही “फ्रिंज एलीमेंट” न कहा जाए और वह भी बाहर! यह विश्वास का टूटना बहुत दर्द दे रहा है, पार्टी के समर्थक बहुत आहत हैं, परन्तु दुःख की बात यह है कि उनकी पीड़ा को न समझकर उन्हें ही पॉपकॉर्न भक्त कहा जा रहा है, जबकि यही पॉपकॉर्न भक्त निस्वार्थ भाव से पार्टी के लिए समर्पित होते हैं, इसलिए उनकी पीड़ा कभी काश उन कानों तक पहुंचे, जो हिन्दुओं की आवाजों को “फ्रिंज एलीमेंट” कहते हैं!