कर्नाटक में एक अजीब मामला सामने आया था। बंगलुरु में रेल्वेस्टेशन पर कुलियों के लिए बना विश्रामस्थल मस्जिद के रूप में बदल दिया गया। यह केवल भारत में ही संभव है, जब प्रार्थना कक्ष का अभिप्राय केवल नमाज से लिया जाता है और किसी भी सार्वजनिक स्थान को नमाज के लिए आरक्षित मान लिया जाता है। क्योंकि नमाज मूलभूत अधिकार है, ऐसा एक कट्टर वर्ग का मानना है। फिर उसके लिए गुरुग्राम की तरह सड़कों को घेरना पड़े या फिर बंगलुरु में रेलवे स्टेशन पर कुली के विश्राम गृह को मस्जिद में बदलना पड़े।
हाल ही में केरल के इस्लामवादियों ने मैंगलोर से बंगलुरु जाते समय इस विश्राम गृह का वीडियो बनाया था और उसे सोशल मीडिया पर post किया था। यह देखना बहुत ही चौंकाने वाला था कि कैसे रेलवे की संपत्ति को मस्जिद में बदल दिया गया था। कुलियों के लिए बना विश्राम गृह केवल मुस्लिमों के लिए आरक्षित हो गया था, जबकि वह सभी कुलियों के आराम के लिए होता है।
सबसे अधिक चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस अवैध मस्जिद को एक नाम भी दे दिया था। और गूगल मैप पर नूर-ए-ईरानी मस्जिद का रास्ता भी आपको मिल जाएगा। अभी उसमें दिखा रहा है कि अस्थाई रूप से बंद है। और उसमें पता वही दिया है, जो है अर्थात बंगलुरु रेलवे स्टेशन।
यह मामला बहुत ही हैरान करने वाला इसलिए है क्योंकि यह मस्जिद कई वर्षों से है, क्या इतने वर्षों से किसी की नजर नहीं गयी? और जो वीडियो बाद में आया, उसके अनुसार इसमें वजु करने के हिसाब से नल का काम भी कराया गया था, तो जब प्लंबरिंग का काम होता रहा, जब चमकदार टाइल्स लगती रहीं, तब भी किसी को नहीं पता चला?
किसी भी अधिकारी ने नहीं टोका? क्या कोई अधिकारी नहीं गया होगा कि आखिर यह हरी लाइट्स कैसे लगीं? कैसे दीवारों पर एक मजहब विशेष से सम्बन्धित टाइल्स लग गईं और इतने महंगे कालीन बिछा दिए गए? वीडियो में पाठक देखेंगे कि एक दीवार पर इस्लामी पंक्तियां भी लिखे गयी हैं, नमाज करने के स्थान पर पंखे हैं और कई एलईडी बल्ब वहां पर रोशनी के लिए हैं।
यह भी पता चला कि इस अवैध मस्जिद के लिए काफी और क्षेत्र का अतिक्रमण भी कर लिया गया था और साथ ही इसमें यात्री भी आकर नमाज पढ़ते थे। प्रश्न यही है कि आखिर क्यों और कैसे सार्वजनिक संपत्ति को मजहबी रंग में ढाला जा सकता है? जब वह सभी धर्म के कुलियों के लिए स्थान है तो उसका मजहब के नाम पर अतिक्रमण कैसे हो सकता है?
हालांकि जब इस मस्जिद के खिलाफ प्रदर्शन किया गया, और श्री राम सेना के कार्यकर्ताओं ने यह स्पष्ट किया कि वह इस प्रकार की किसी भी गतिविधि के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे तो एकदम से ही मुस्लिम खतरे में का गाना गाने वाले इस्लामी चैनल सामने आ गए। जिनका कहना है कि वर्ष 2014 के बाद से ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है। श्री राम सेना के कार्यकर्ताओं ने वहां पर जाकर वीडियो बनाया तो उससे पता चला कि वहां पर केवल नमाज के लिए कमरा ही नहीं है, बल्कि पूरी फंक्शनल मस्जिद है
ऐसा नहीं है कि सार्वजनिक स्थान पर नमाज के बहाने अतिक्रमण का यह पहला मामला है, यह होता आ रहा है और होता रहेगा। गुरुग्राम में हमने देखा था कि कैसे खाली स्थानों पर नमाज पढ़ने के लिए आन्दोलन किया गया था। और अभी तक वह मामला शांत नहीं हुआ है। ऐसे ही सड़कों पर नमाज के लिए तो आन्दोलन होता ही रहता है। परन्तु रेलवे स्टेशनों पर मजार और मस्जिदें बहुत हैं।
उच्चतम न्यायालय में वकील शशांक शेखर झा ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर बनी मस्जिद को साझा किया
आए दिन सोशल मीडिया पर लोग किसी न किसी रेलवे स्टेशन पर मजार और मस्जिद की तस्वीरें post करते रहते हैं। सरकार के अनुसार भी कुल 179 ऐसे अवैध धार्मिक स्थल हैं, और इनमें मंदिर, मस्जिद, मजार सभी हैं, जिन्हें प्रशासन के साथ मिलकर हटाए जाने की प्रक्रिया की जाती है। परन्तु यदि हटाया नहीं भी जा रहा है, तो यह निश्चित किया जाता है कि अब उसका विस्तार न हो।
हालांकि कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जो रेलवे स्टेशन बनने से पहले के थे, ऐसा भी दावा किया जाता है। फिर भी जो बंगलुरु में कुली विश्राम गृह के साथ हुआ, वह चौंकाने वाला इसलिए था क्योंकि न ही यह ऐतिहासिक था, न ही इसके लिए अनुमति ली गयी थी, न ही इसे औपचारिक रूप से मस्जिद बनाने के लिए आवेदन किया गया था, यह सभी कुलियों के लिए बना हुआ विश्राम गृह था, जिसे अवैध और अनैतिक तरीके से मस्जिद में बदल दिया गया था।
हालांकि विरोधों ने प्रभाव डाला और रेलवे अधिकारियों ने न केवल उस अवैध मस्जिद को कुलियों के विश्राम गृह में बदल दिया बल्कि साथ ही मस्जिद से सम्बन्धित सजावट को भी हटा दिया गया।

यह भी बहुत आपस में विरोधाभासी तत्व है कि जहाँ अतिक्रमण के नाम पर हिन्दू मंदिरों को तोड़ा जा रहा है, और ऐतिहासिक मंदिरों के विग्रहों को भी स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है, बल्कि पूरी वास्तु को ही नष्ट कर दिया जा रहा है, वहीं इस प्रकार के अवैध परिवर्तन सार्वजनिक संपत्ति के हो रहे हैं। हालांकि इसे अब बदल दिया है, परन्तु अतिक्रमण की इस प्रवृत्ति को लेकर लोग गुस्से में हैं।