अमरउजाला डिजिटल में पूर्व चीफ एडिटर रहे शरद मिश्रा ने पिछले दिनों अपनी फेसबुक post के माध्यम से उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती समाजवादी सरकार के दौरान हुए कुछ अपराधों और उस पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार द्वारा उठाए गए क़दमों के विषय में चर्चा की।
उन्होंने वर्ष 2013 के दौरान घटित हुई जिस घटना का उल्लेख किया, वह वोट बैंक, अर्थात मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा थी।
आइये इस प्रकरण को एक बार फिर से समझते हैं!
हुआ यह था कि वर्ष 2013 के दौरान गौतम बुद्ध नगर जिले में आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल उस समय के समाजवादी खनन माफियाओं के खिलाफ अभियान छेड़ने की गलती कर बैठी थी। और उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए थे, जिनसे रेत खनन माफिया तिलमिला गए थे और मीडिया के अनुसार उन तिलमिलाने वाले नेताओं में एक समाजवादी पार्टी के नेता भी थे और उन्होंने ही इस अतिक्रमण विवाद को हवा दी थी।
रेत खनन माफियाओं पर कड़े कदम उठाने वाली दुर्गा शक्ति नागपाल पर तब सूबे की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने आरोप लगाया था कि इस बेलगाम अफसर ने नोएडा में एक निमार्णाधीन मस्जिद की दीवार गिरा दी है। बस फिर क्या था आनन फानन में अखिलेश सरकार ने दुर्गा शक्ति नागपाल को सस्पैंड कर दिया। इस पूरे प्रकरण ने उत्तरप्रदेश ही नहीं सारे देश में बवाल मचा दिया था।
आईएएस एसोसिएशन, आईपीएस एसोसिएशन , किरण बेदी , चीफ सेक्रेटरी , हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट , और स्वयं केंद्र सरकार ने इस मामले पर अखिलेश सरकार को घेरा था और उन्हें बहाल करने के लिए कहा था, इतना ही नहीं स्वयं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हस्तक्षेप किया था और सोनिया गांधी ने भी पत्र लिखा था कि अधिकारी के साथ अन्याय न हो।
उस समय भारतीय जनता पार्टी में रहे यशवंत सिंह ने भी इस बात पर अखिलेश सरकार की आलोचना की थी।
जुलाई 2013 में जहाँ उन्हें सस्पेंड किया गया तो वहीं उसी वर्ष मुजफ्फरनगर के दंगों में घिरने के बाद समाजवादी सरकार द्वारा उनका निलंबन वापस ले लिया गया था। परन्तु जो यह प्रकरण हुआ था उसमे सबसे गौर करने वाली बात थी कि ग्रेटर नोएडा के डिस्ट्रिकेट मजिस्ट्रेट रविकांत ने खुद मामले की जाँच करके रिपोर्ट दाखिल की थी जिसमें उन्होने बाकायदा लिखा था कि दुर्गा शक्ति नागपाल द्वारा मस्जिद की दीवार गिराना तो दूर की बात है, वहाँ अभी तक कोई दीवार बनी ही नहीं थी ।
वहाँ केवल कथित मस्जिद बनाने के लिए महज़ नींव ही खोदी जा रही थी ,क्योंकि वो जगह सरकारी थी,और सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार किसी भी सरकारी जमीन पर कब्जा करना और उस पर धर्म स्थल बनाना अवैध है। इसीलिए दुर्गा शक्ति नागपाल पर दीवार गिराने का आरोप लगाना सरासर गलत है। दुर्गा शक्ति नागपाल ने केवल सरकारी जमीन पर धर्म स्थल बनाने का प्रयास कर रहे लोगों को चेतावनी दी थी।
परन्तु अखिलेश यादव ने दुर्गा शक्ति नागपाल को तत्कालीन प्रदेश सरकार ने कई उपाधियों से विभूषित कर दिया था। और अखिलेश यादव ने इस निलम्बन को सही ठहराया था:
बीबीसी के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री अहमद हसन ने उन्हें ‘नासमझ एसडीएम’ बताया था तो वहीं अखिलेश यादव ने कहा था कि “बच्चे जब गलती करते हैं तो स्कूल में अध्यापक और घर में अभिभावक पिटाई करते हैं। इसी तरह सरकारें काम करती हैं। अगर कोई अफ़सर ग़लती करता है तो उसे भी सज़ा मिलेगी।”
इतना ही नहीं अखिलेश यादव ने तो यह तक कह दिया था कि “गरीब मुसलमान चंदा इकट्ठा करके मस्जिद बना रहे थे। दीवार बनी हुई थी। बिना किसी से मशविरा लिए दुर्गा शक्ति ने दीवार गिरा दी। इससे माहौल ख़राब हो सकता था।”
यूपी एग्रो के चैयरमेन नरेंद्र भाटी ने भरी सभा में दावा किया, “मैं आप लागों को ये बताने आया हूं जिस औरत ने इतनी बेहूदगी दिखाई वो उस डंडे को चालीस मिनट नहीं झेल पाई। 41 मिनट में सस्पेंशन का ऑर्डर छप कर लखनऊ से यहां क्लेक्टर के यहां तामील हो गया। और उसको पता चल भी गया 11 बजकर 11 मिनट पर कि तुम सस्पेंड हो चुकी हो।”
यह सत्ता की हनक थी, और मुस्लिम तुष्टिकरण की पराकाष्ठा, जिसके कारण दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबन झेलना पड़ा था और वह भी कानून का पालन करने के कारण।
वैसे तो समाजवादी शासनकाल में मुस्लिम तुष्टिकरण के कई कार्य हुए थे, परन्तु आईएएस अधिकारी का निलंबन इस आधार पर कर देना कि मुसलमानों को इंसाफ दिया है, तुष्टिकरण की पराकाष्ठा थी।
अभी क्या कर रही हैं दुर्गा शक्ति नागपाल
पाठक यह जानना चाहेंगे कि इन दिनों दुर्गा शक्ति नागपाल क्या कर रही हैं? दुर्गा शक्ति नागपाल इन दिनों लेखिका भी बन गयी हैं, उन्होंने अपनी गर्भावस्था के अनुभवों पर एक पुस्तक लिखी है “ग्रो योर बेबी नॉट योर वेट!” जिसमें उन्होंने मातृत्व की अपनी यात्रा को लिखा है
दुर्गा शक्ति नागपाल का प्रकरण यह बताता है कि समाजवादी सरकार जब मुलायम सिंह की होती है तो वह राममंदिर के लिए कारसेवा करने वालों पर गोली चलवाती है तो वहीं अखिलेश यादव की सरकार में अवैध मस्जिद पर कार्यवाही करने पर आईएएस अधिकारी को सजा दी जाती है।