आज देश हनुमान जन्मोत्सव मना रहा है और इन दिनों जैसे कि होता आया है कि सेक्युलर पत्रकार समुदाय किसी न किसी बहाने से हिन्दू देवी देवताओं का उपहास उड़ाते रहते हैं। हाल ही में अजान की आवाज को लेकर हंगामा मचा हुआ है। दरअसल समस्या यह है कि अजान को लेकर मुस्लिम समुदाय द्वारा लाउडस्पीकर का जो प्रयोग किया जाता है, वह न्यायालय द्वारा निर्धारित सीमा के बाहर किया जाता है। यह मामला धार्मिक न होकर ध्वनि प्रदूषण का अधिक है।
और इसीके साथ यह धार्मिक आजादी का भी मामला है। किसी भी गैर मुस्लिम को अजान सुनने के लिए विवश कैसे किया जा सकता है? क्या इससे उसके धार्मिक अधिकारों का हनन नहीं होता? क्या धार्मिक आजादी का हनन नहीं होता? क्या यह नहीं कहा जा सकता है कि एक गैर मुस्लिम क्यों अजान सुने? जैसे जैसे रामनवमी वाले दिन की हिंसा की तस्वीरें स्पष्ट होती जा रही हैं, वैसे वैसे यह बात मुस्लिम समाज के कुछ कथित विचारक कह रहे हैं कि मुस्लिम इलाकों में से क्यों शोभायात्रा निकाली गयी तो क्या यह बात यहाँ पर लागू नहीं होती कि क्यों गैर मुस्लिम अजान सुनें!
और इसी मामले को लेकर अब हनुमान चालीसा बजाने की शुरुआत हो चुकी है। कुछ लोग हनुमान चालीसा आरम्भ करवा रहे हैं, तो अब साक्षी जोशी एवं उनके जैसे कई और कथित निष्पक्ष पत्रकारों और लेखकों ने उन लोगों के बहाने हिन्दू धर्म का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया।
एक यूजर ने ऐसे ही एक कथित लेखक का स्क्रीनशॉट साझा किया:
फिर एक यूजर इज़हार हुसैन जो खुद को राजनीतिक एक्टिविस्ट कहते हैं, उन्होंने ट्वीट किया कि
हिजाब के विरोध में भगवा गमछा, हलाल के विरोध में झटका, पांच वक्त नमाज़ के विरोध में पांच वक्त हनुमान चालीसा आ गया।
इंतेज़ार कीजिये अब खतना के विरोध में भी कुछ आएगा।।।।
विनोद कापरी ने आज सुबह ही पौने दो बजे ट्वीट किया कि
हनुमान चालीसा वालों उठ जाओ ! 2 बजने वाले हैं। तुम लोग तीन बजे से ही शुरू हो जाओ। और यार नहाना ज़रूर।
जब विनोद कापड़ी सामने आ गए थे, तो उनकी पत्नी साक्षी कैसे पीछे रह जातीं। उन्होंने लिखा कि
हनुमान चालीसा के बाद नई पहल होनी चाहिए
मुसलमान 16 घंटे रोज़ा रखते हैं
हिंदुओं को 23 घंटे का व्रत रखना चाहिए
Come on you can do it
इस पर एक मुस्लिम यूजर ने पूछा कि
नवरात्रि का व्रत क्या होता है फिर?
उस पर साक्षी ने कहा कि
उसमें दिनभर तले आलू, फल, छाछ वगरह वगरह पीते रहते हैं। पानी भी दिनभर पीते हैं ऐसे कैसे मुक़ाबला करेंगे?
फिर सिद्दीकी तारिक ने भी यही कहा कि फिर खतने के बदले क्या लाएँगे?
साक्षी जोशी और विनोद कापड़ी सहित एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसकी रोजी रोटी पहले केवल मोदी विरोध पर चलती थी, जो अब बढ़कर हिन्दू विरोध में बदल गयी है।
ऐसा नहीं है कि लोग इस बात को समझ नहीं रहे हैं, बल्कि और भी सही तरीके से समझ रहे हैं, क्योंकि वर्ष 2014 से इनकी खीज और तड़प बढ़ती ही जा रही है। हाल ही में हमने देखा था कि कैसे उत्तर प्रदेश चुनावों में योगी आदित्यनाथ को हराने के लिए एक बड़ा वर्ग झूठी और अजीबोगरीब खबरें दिखाने लगा था। परन्तु यह लोग वहां भी विफल हुए।
यह लोग इस बात को नहीं समझ रहे हैं कि समस्या अजान नहीं है, समस्या वह लाउडस्पीकर की आवाज है जो परेशान करती है और यह हर व्यक्ति के धार्मिक अधिकार की बात है। इनकी यह तड़प जो केवल नरेंद्र मोदी को न रोक पाने की थी, वह अब हिन्दुओं के प्रति घृणा में बदल गयी है क्योंकि यह हिन्दू ही है, जिसके कारण यह लोग अपने एजेडे में विफल होते जा रहे हैं। सुदर्शन न्यूज़ के पत्रकार अभय प्रताप सिंह ने पति पत्नी दोनों को ही संबोधित करते हुए लिखा कि
सर, दोनों लोगों को एक ही बीमारी क्यों हुई है?
आपके अंदर इतनी कुंठा और तड़प दिख रही है कि डर लगने लगा है आप हिंदू विरोध में कहीं अपने ही बाल न नोंचने लगें।।!!
खैर ये तड़प होना लाजिमी है क्योंकि आपके लाल सलामी एजेंडे पर भी बुलडोजर चला है 2014 से।।
पानी पी लेना
लोग सही प्रश्न कर रहे हैं कि आप मोदी से घृणा कर सकते हैं, परन्तु हिन्दुओं और उनके पर्वों को केवल दूसरे समुदाय को बेहतर दिखाने के लिए क्यों कोसना?
ऐसा नहीं है कि केवल साक्षी जोशी और विनोद कापड़ी ही मोदी विरोध में हिन्दुओं को कोस रहे हैं। एनडीटीवी के पत्रकार रविश कुमार ने तो ऐसा पोस्ट किया था, जिसे पढ़कर समझा जा सकता है कि यह वर्ग कितना कुंठित हो चुका है। रविश कुमार ने आलिया भट्ट और रणवीर कपूर की शादी को भी मोदी जी और हिन्दुओं के प्रति अपनी घृणा का शिकार बनाया और बहुत ही भद्दा और वामपंथी कुंठा से भरा हुआ पोस्ट लिखा
आलिया और रणबीर को शुभकामनाएँ। आलिया भट्ट मेरी पसंदीदा अदाकाराओं में से एक हैं। लगता है कोविड के कारण शादी का कार्ड नहीं भेजा लेकिन किसी अपरिचित को कोई कैसे बुला सकता है। रणबीर भी मेरे बचपन के दोस्त नहीं हैं। ————————————–
माननीय प्रधानमंत्री से अपील है कि जब तक शादी का कवरेज चल रहा हो तब तक टीवी पर न आएँ। शादी में जाने वाले मेहमान कैमरे पर प्रधानमंत्री का धन्यवाद ज़रूर करें वर्ना उनके घर लौटने से पहले ईडी वाले पहुँच चुके होंगे।———————————-
मेरी बातों का ध्यान रखें और शादी का आनंद उठाएँ। और हाँ नींबू महँगा है तो इसका मतलब नहीं कि बारात से लौटते वक़्त जेब में रख लें और आलिया के टेंट वाले का नुक़सान पहुँचा दें। बाक़ी हिन्दी मीडियम वाले इस पोस्ट को पढ़ कर ज़्यादा दांत न चियारें। गणित और अंग्रेज़ी पर ध्यान दें। नहीं तो जुलूस में भेज दिए जाएँगे दूसरे लोगों को गाली देने के लिए।
यह मामले अब दिखा रहे हैं कि कहीं न कहीं हिन्दुओं के प्रति घृणा अब इस वर्ग की बहुत बड़ी पहचान बन गयी है! यह लोग चूंकि हिन्दुओं को कथित सेक्युलर नहीं रख पाए जैसे रोजे की प्रशंसा, और व्रत की बुराई, पहचान के नाम को लेकर हिजाब की तरफदारी करना और घूँघट को पितृसत्ता का प्रतीक बताना, तीन तलाक और हलाला को प्रगतिशील बताना और हिन्दुओं के विवाह की बुराई करना और उसे स्त्री विरोधी बताना!
लोग अब प्रश्न करते हैं कि कन्यादान पर प्रश्न तो फिर हलाला पर क्यों नहीं? साक्षी जोशी और विनोद कापड़ी, रविश कुमार जैसे लोगों से प्रश्न किए जा रहे हैं, इसलिए यह बिलबिलाए हुए हैं और अपनी घृणा बाहर निकाल रहे हैं!