नोबल पुरस्कार विजेता 24 वर्षीय मलाला ने एक पाकिस्तानी युवक से निकाह कर लिया। मलाला ने खुद ही इस सम्बन्ध में ट्वीट किया और इस निकाह की जानकारी दी। इस जानकारी के सामने आते ही मलाला के प्रशंसकों ने मलाला को बधाई देना आरम्भ कर दिया। मलाला ने जिस युवक से निकाह किया है, वह पाकिस्तानी क्रिकेट से जुड़ा हुआ है।
मलाला का निकाह कई प्रश्न उठाता है। कुछ समय पहले मलाला ने वोग पत्रिका को दिए गए अपने साक्षात्कार में निकाह पर कई प्रश्न उठाए थे। मलाला ने वोग को दिए गए साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें यह समझ नहीं आता है कि लोग शादी क्यों करते हैं? अगर आपको जीवन साथी चाहिए तो आप शादी के कागजों पर दस्तखत क्यों करते हैं? यह एक पार्टनरशिप क्यों नहीं हो सकती है?
मलाला के इस साक्षात्कार के बाद बहुत हंगामा हुआ था और इस विषय में बहुत ही विवाद हुआ था। लोगों ने इसे गैर इस्लामिक कहा था। तो कुछ लोगों ने इसे महिला अधिकारों के साथ जोड़ दिया था। हालांकि कल जब मलाला ने अपनी शादी की तस्वीरे साझा कीं तो उन्होंने वही सब किया, जिस पर प्रश्न उठाए थे, जैसे उन्होंने शादी भी की और कागजातों पर दस्तखत भी किये।
अब प्रश्न उठता है कि क्या मलाला ने उस समय झूठ कहा था या फिर अब कमज़ोर हैं? मलाला एक कट्टरपंथी मुसलमान हैं, और यह कट्टरपंथ रह रह कर सिर उठाता है। तालिबान का कथित शिकार बनी मलाला ने एक भी आन्दोलन उन लड़कियों के लिए नहीं किया है, जिन्हें तालिबान अपना निशाना बना रहा है। तालिबान ने पिछले दिनों कई लड़कियों की हत्याएं की हैं, पर नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला ने उन पर कुछ भी नहीं बोला है।
वह इस्लाम की कट्टरता पर नहीं बोलती हैं। यहाँ तक कि मलाला ने एक भी बार अपने पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों के जबरन निकाह पर भी शायद ही कुछ बोला हो।
पाकिस्तान की कई हिन्दू लडकियां ट्विटर पर मुखर हैं, वह अपनी आवाज उठाती हैं। पर मलाला ने हिन्दू लड़कियों के साथ हो रहे अत्याचारों पर अपना मुंह नहीं खोला है। वह यह भी नहीं कहती हैं कि क्यों मजहब के आधार पर कई लड़कियों को अभी तक उनकी शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है? मलाला केवल उन्हीं विषयों पर अपनी बात उठाती हैं, जिनमें कट्टर इस्लाम निशाने पर होता है।
मलाला पश्चिम जगत में इस्लाम द्वारा की गयी हत्याओं पर कुछ नहीं कहती हैं। मलाला सिलेक्टिव हैं और दोगले चेहरे वाली हैं। मलाला उस कट्टर इस्लाम का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो कट्टर इस्लाम हिन्दुओं का शत्रु है। मलाला कश्मीर पर बोल सकती हैं, पर कश्मीर में हिन्दुओं की हत्याओं पर मौन हैं।
मलाला पर हमला इस्लाम की कट्टरता ने किया था, जो कट्टरता नाम बदलकर कश्मीर में हिन्दुओं पर हमला कर रही है, पर मलाला कश्मीर पर बात करती हैं, तब वह उसी इस्लामी कट्टरता को पोसते हुए ट्वीट करती हैं। हिन्दुओं ने मलाला का जरा भी बुरा नहीं किया है, पर वह हिन्दुओं के पक्ष में नहीं बोलतीं। यहाँ तक कि पाकिस्तान में होने वाली हॉनर किलिंग के बारे में भी आन्दोलन नहीं करती हैं, जो इस्लाम की कट्टरता का शिकार हो जाती हैं।
एक ओर हैं इस्लाम की कट्टरता से लड़ने वाली बांग्लादेश की लेखिका तसलीमा नसरीन, जो भारत में निर्वासित जीवन बिता रही हैं, और जो वास्तव में कट्टरता का विरोध करती हैं। उन्होंने लज्जा लिखी तो उसे लेकर उन्हें इस्लामी कट्टरता का सामना करना पड़ा और अंतत: उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा। वह खुलकर लिखती हैं, पर मलाला, जिन पर कथित रूप से तालिबान ने आक्रमण किया, वह उसी कट्टरता के पक्ष में जाकर खड़ी हैं, जिस कथित कट्टरता ने मलाला पर हमला किया था
आज तसलीमा नसरीन ने ट्वीट कर हैरानी जताई:
उन्होंने लिखा कि मलाला द्वारा पाकिस्तानी युवक से शादी पर उन्हें धक्का लगा। वह केवल चौबीस साल की है। उन्हें लग रहा था कि वह ऑक्सफ़ोर्ड में पढने गयी है तो वह किसी हैंडसम और प्रगतिशील अंग्रेज से प्यार करेगी और कम से कम 30 वर्ष की उम्र तक शादी के बारे में नहीं सोचेगी! पर!
इस पर एक यूजर ने लिखा:
कि जिससे शादी हो रही है, वह तो प्रोग्रेसिव हो सकता है, पर क्या मलाला प्रोग्रेसिव है? प्रश्न यही है!
एक यूजर ने मलाला को बधाई देते हुए कहा:
कि यह देखना सुखद है कि तुम निकाह में यकीन करती हो!
एक यूजर ने लिखा कि, तो कौन शादी कर रहा है, और कौन पेपर पर साइन कर रहा है?
यह लोग दूसरी लड़कियों को शादी के खिलाफ भड़काती हैं, और फिर खुद शादी करती हैं:
मलाला लड़कियों की शिक्षा की बात करती हैं, पर पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए न ही आंदोलन करती हैं और न ही आवाज उठाती हैं। बल्कि इस्लाम की कट्टरता के बगल में खड़ी हो जाती हैं, और इसके साथ ही शादी पर पेपर साइन करने की अनिवार्यता पर प्रश्न उठाती हैं और खुद साइन करती हैं!
बहरहाल, मलाला को दुनिया भर से शादी की शुभकामनाएँ मिल रही हैं और जिनमें भारत के दोहरे चेहरे वाले एजेंडा सेक्युलर शामिल हैं, जैसे बरखा दत्त आदि!