“इस्लामी-वामी फिलीस्तीन समर्थकों का आतंक देख US भूला मानवाधिकारों वाला ज्ञान, भारत के समय खूब फैलाया था प्रोपगेंडा: अमेरिका का दोहरा चरित्र बेनकाब”, ऑपइंडिया, अप्रैल 26, 2024
“भारत में हिंसक प्रदर्शनों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई देखकर लोकतंत्र का ज्ञान देने वाला अमेरिका कुछ समय से खूब चर्चा में है। इन दिनों वहाँ फिलीस्तीन के लिए ‘आजादी’ माँगने की मुहीम छिड़ी हुई है। इस्लामी और वामपंथी छात्र मिलकर अमेरिका के कॉलेजों में प्रोटेस्ट कर रहे हैं और सड़कों पर बवाल किया हुआ है। शुरू में प्रशासन ने इसे सामान्य प्रदर्शन समझकर होने दिया था, लेकिन बाद में जब चीजें क्लासरूम के साइलेंट प्रदर्शन से निकलकर कॉलेज परिसर में हड़कंप मचाने, पुलिस पर हमले, तोड़फोड़ पर आ गईं, तो बिन देरी किए कार्रवाई शुरू हुई।
अब तस्वीरें सामने आ रही हैं जिनमें उपद्रव करने वाले प्रदर्शनकारियों को पुलिस हर तरीके से रोकने का प्रयास कर रही है। इस दौरान पुलिस और उनमें झड़पें भी हो रही हैं। जो पत्रकार इन चीजों को रिकॉर्ड कर रहा है उसको भी सरेआम पीटा जा रहा है। खुद को प्रोफेसर बताने वाली महिला को पकड़कर हथकड़ी लगाई जा रही है। उसके हाथ मरोड़े जा रहे हैं… आदि आदि।
ये अमेरिका से आई नई तस्वीर नहीं है। पिछले दिनों पुलिस पर हमला होने से बाद वहाँ ऐसी कार्रवाई लगातार चल रही है। हिंसक प्रदर्शन को रोकने के लिए अलग-अलग यूनिवर्सिटियों से प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए जा रहे हैं… और ये गिरफ्तारी एक दो नहीं, बल्कि सैंकड़ों की तादाद में हो रही है। अकेले कोलंबिया यूनिवर्सिटी से ही बीते दिनों 130 छात्र पकड़े गए थे। वहीं येल यूनिवर्सिटी से भी 40 के आसपास छात्रों को पकड़ा गया था। इसी तरह अन्य यूनिवर्सिटों में भी बात न मानने पर, गलत आचरण करने पर, हुड़दंग मचाने पर, लोगों को उकसाने पर प्रदर्शनकारी पकड़े गए थे। गुरुवार रात तक इनकी संख्या 300 तक पहुँच गई थी…..”
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