कल से लिब्रल्स और कथित राष्ट्रवादियों का एक समूह अभिनेत्री कंगना रनौत पर आग बबूला है। पहले तो कई लोग इस बात को लेकर कुपित थे कि कंगना जैसी छोटे कपडे पहनने वाली अभिनेत्री को पद्मश्री क्यों मिल गया है? मजे की बात यह है कि कथित सेक्युलर एकता कपूर को मिले पद्मश्री पर विरोध नहीं व्यक्त कर रहे हैं। और न ही करन जौहर पर! उनके लिए कंगना रानावत को मिला पद्मश्री असहनीय है।
कल से ट्रेंड चलाया कि कंगना पद्मश्री वापस करो। परन्तु वह वापस क्यों करे? आखिर ऐसा क्या हुआ कि लोग कंगना के पीछे पड़ गए। कल भारतीय जनता पार्टी में अलग स्वर निकाल रहे सांसद वरुण गांधी का एक ट्वीट आया, जिसमें उन्होंने कंगना के कुछ सेकण्ड का वीडियो साझा किया
और लिखा कि कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार।
इस सोच को मैं पागलपन कहूँ या फिर देशद्रोह?
दरअसल कंगना ने टाइम्स नाउ के साथ हुए एक साक्षात्कार में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा था कि कांग्रेस अंग्रेजों का ही विस्तार थी। कंगना ने साफ़ कहा कि अंग्रेजों के कारण भारतीयों का शोषण हुआ और अंग्रेजों ने भारतीयों का जो शोषण किया, वह हद से अधिक था और अंग्रेजों ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीयों का खून बहे, और उनका नहीं और यही कारण है कि कई भारतीयों का खून बहा और उसके लिए उन्होंने सुनिश्चित किया कि भारतीय ही भारतीयों का खून बहाए।
दरअसल कंगना ने कहा कि जब इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान बन गया तो भारत सेक्युलर क्यों? सेक्युलर का अर्थ है नो मैन्स लेंड! कोई भी आकर रह सकता है? यह अंग्रेजों ने किया और फिर कांग्रेस ने उसे आगे बढ़ाया।
कंगना ने कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए, उन तमाम स्वतंत्रता सेनानियों को भुलाए जाने की बात की थी, जो कांग्रेसी खून वालों को चुभ गयी!
कंगना के इस वीडियो में साफ़ है कि वह सावरकर, सुभाष चन्द्र बोस आदि के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय के विषय में बात कर रही है, और कांग्रेस का विरोध कर रही है। और उसने सही कहा कि कांग्रेस का शासन जाने के बाद ही आजादी मिली है।
इस पर कंगना ने भी अधूरी बात कही है, हिन्दुओं को स्वतंत्रता अभी तक नहीं मिली है। अभी तक मंदिर सरकार के कब्जे में हैं, और अभी तक मंदिरों की आय सरकार के पास जाती है, जब मन होता है सरकार किसी भी मंदिर को तोड़कर कुछ न कुछ बना देती है और सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिरों के विग्रहों को तोड़ सकती है।
न्यायालय से लेकर एनजीओ हिन्दुओं के पर्व में खलल डाल सकते हैं, उन्हें पर्यावरण विरोधी बता सकते हैं। हिन्दुओं के विवाह की धार्मिक मान्यताओं पर विज्ञापन एजेंसीज अपने मन से कुछ भी बना सकती हैं और यदि हिन्दू आवाज उठाता है तो इसी देश में सलमान खुर्शीद उन्हें बोकोहरम के बगल में खड़ा कर सकता है!
यह कुछ ही उदाहरण हैं, परन्तु यह हिन्दुओं की दयनीय स्थिति के उदाहरण हैं। ऐसे में कंगना जब यह कहती हैं कि कुछ लोगों को भीख में आजादी मिल गयी थी तो पूरे वीडियो में यह वक्तव्य गलत नहीं है क्योंकि वरुण गांधी द्वारा साझा की गयी क्लिपिंग बेहद छोटी क्लिपिंग है और यह पूरे वक्तव्य से काटकर है। क्यों पूरे वीडियो को साझा नहीं किया जा रहा है?
क्या यह सच नहीं है कि आज तक वीर सावरकर के नाम पर कांग्रेस और वामपंथी खेल खेलते आए हैं और साथ ही वामपंथी तो आज तक आजादी की मांग कर रहे हैं। कन्हैया को शामिल करने वले कांग्रेसी कंगना पर प्रहार कर रहे हैं!
कौन भूल सकता है आजादी के नारों को और कन्हैया की ढपली को।
हमें चाहिए आजादी,
मनु वाद से आजादी,
ब्राह्मण वाद से आजादी,
फासीवाद से आजादी!
जबकि यह लोग यह भूल जाते हैं कि इस समय तो सम्विधान से देश चल रहा है मनुवाद नहीं हैं, तो फिर आधिकारिक स्तर पर भेदभाव क्यों है? मनुस्मृति से कब यह देश चला है, इन्हें नहीं पता!
अभी तक कश्मीर को आजादी दिलाने वाले लोग कल से कंगना का विरोध करने के लिए उतर आए हैं! कश्मीर को आजादी दिलाने वाले कन्हैया कुमार को अपनी पार्टी में शामिल करने वाली कांग्रेस किस मुंह से यह कह सकती है कि कंगना गलत कह रही है क्योंकि उसके अपने नेता ही अब तक आजादी नहीं मिली है, यह राग अलाप रहे हैं!