पेरियार वादी राजनीतिक दल तथा अन्य ऐसे दलों का ब्राह्मण द्वेष रह-रहकर सामने आता रहता है। अपनी इस घृणा का स्पष्ट प्रदर्शन करते हुए थांथाई पेरियार द्रविड़ कझगम (टीपीडीके) के नेता कोवई रामकृष्णन ने खुली धमकी दी है कि यदि ब्राह्मणों ने अपने आचार व्यवहार में सुधार नहीं किया तो खून की नदियां बहेंगी। उन्होंने अपने नेता पेरियार (ईवी रामासामी) का उदाहरण देते हुए कहा कि उनसे प्रेरणा लेकर लाखो लोग ब्राह्मणवाद से लड़ने के लिए सामने आये हैं।
द्रविड़ों और पेरियारवादियों में ब्राह्मणों के लिए वैसा ही द्वेष है जैसा नाजियों में यहूदियों के लिए हुआ करता था। डीएमके पार्टी के सत्ता में आने से इन तत्वों के हौंसलें बढ़ गए हैं और वह अपनी कट्टरता और द्वेष को उजागर करने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ते । सामाजिक न्याय के नाम पर शुरू हुआ इनका यह आंदोलन इस द्वेष की भावना को बढ़ाने का अनवरत काम किये जा रहा है।
ट्विटर पर वायरल हुए एक वीडियो में थांथाई पेरियार द्रविड़ कझगम (टीपीडीके) के अध्यक्ष कोवई रामकृष्णन ने कहा कि पेरियार के लाखों अनुयायी उनके स्वप्नों को पूरा करने के लिए एक साथ आ गए हैं। उन्होंने याद दिलाया कि पेरियार ने 70 वर्ष पहले क्या कहा था । उन्होंने पेरियार के शब्दों को दोहराया, “ब्राह्मणों, जब तक मैं जीवित हूँ, तुम अपने आपको सुधार लो। मै तो बहुत नरम हूँ, लेकिन मेरे अनुयायी तुम्हारे साथ नरमी नहीं बरतेंगे। वो तुम्हे सुधारेंगे, और खून की नदियाँ बहा देंगे, हमारे युवा और बच्चे भी इसमें बढ़ चढ़कर योगदान देंगे।
उन्होंने भीड़ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “अब पेरियावादी हजारों और लाखों की संख्या में एकजुट हो गए हैं, और हम अब ब्राह्मणों को सबक सिखाने और उनके खून की नदियाँ बहाने के लिए तैयार हैं”। इस धमकी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि जनवरी 2020 में, इसी संगठन के सदस्यों ने स्तंभकार और तुगलक पत्रिका के संपादक एस गुरुमूर्ति के घर पर पेट्रोल बम फेंके थे, जो एक ब्राह्मण ही थे।
इस पेरियरवादी संस्था ने अपनी ब्राह्मण विरोधी मानसिकता का परिचय देते हुए अवनि अविट्टम के उपलक्ष्य में सूअरों को जनेऊ पहनाने के लिए एक कार्यक्रम भी आयोजित किया था। इस पर्व पर तमिल ब्राह्मण अपने जनेऊ को बदलते हैं। इस संस्था ने कुछ सूअरों पर जनेऊ रखा और उन्हें सड़क पर खुला छोड़ा दिया, जिससे आने जाने वाले लोगो को काफी असुविधा भी हुई थी। पुलिस ने उन्हें उपद्रव करने के आरोप में गिरफ्तार भी किया, इन लोगो के इस कुकृत्य के कारण एक सुअर की मृत्यु भी हो गई।
ऐसे ही एक और घटना के दौरान डीएमके के सहयोगी और चिदंबरम लोकसभा सीट से सांसद थिरुमावलवन ने ब्राह्मणों को “कोरोना वायरस” कहा था। उन्होंने पेरियारवादी तमिल कवि इंकलाब की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा था कि ब्राह्मण एक कोरोना वायरस की तरह ही तेजी से फैलते हैं।
यूँ तो यह द्रविड़वादी और अम्बेडकरवादी कहते हैं कि यह मात्र ब्राह्मणवाद के विरुद्ध हैं और ब्राह्मणों से इनका कोई भी बैर नहीं। हालांकि इनके कृत्य कुछ और ही बताते हैं, इनकी विचारधारा पूरी तरह से ब्राह्मणों के प्रति वैमस्य रखने वाली है। यह लोग पेरियार को पूजते हैं, जिन्होंने एक बार कहा था कि “अगर आपको एक सांप और ब्राह्मण साथ मिलें तो आप ब्राह्मण की हत्या कर दें”।
हमारे देश का संविधान और न्याय व्यवस्था इतनी अजीब है, कि समाज के एक बड़े वर्ग को इस तरह दुत्कारने वाले, जान से मारने की धमकी देने वाले ऐसे लोगो और संस्थाओं पर कोई भी कार्यवाही नहीं होती है। सामाजिक समानता का ढिंढोरा पीटने वाले यह लोग न्याय व्यवस्था की असमानता के कारण समाज के एक वर्ग को कुछ भी बोल कर साफ़ बच निकलते हैं। यह स्थिति बदलनी चाहिए।
मूल लेख अंग्रेजी में