कर्नाटक एवं देहरादून से दो ऐसी घटनाएं आई हैं, जो लव जिहाद को तो दिखाती ही हैं, साथ ही यह भी दिखाती हैं कि जब सामाजिक मूल्यों का पतन होता है तो वह अंतत: लव जिहाद की ही ओर जाता है। कर्नाटक में एक ऐसी महिला जिसके चार बच्चे भी हैं, वह अपने पति के दोस्त के साथ भाग गयी। और इतना ही नहीं वह अपनी बेटियों को भी साथ लेकर भाग गयी।
कर्नाटक मी गदग में रहने वाले प्रकाश गुजराती ने यह आरोप लगाया कि उनकी पत्नी हेमवती उन्हें छोड़कर चली गयी है और जिसने सवानुर के निवासी मकबूल बयाबदकी से शादी कर ली है।
प्रकाश ने इसे लव जिहाद का मामला बताते हुए कहा कि केवल उनकी पत्नी ही नहीं भागी है, बल्कि वह अपने साथ उनकी एक बेटी को भी ले गयी है। उन्होनें यह भी कहा कि उनकी पत्नी ने इस्लाम क़ुबूल कर लिया है। जब उन्होंने अपनी पत्नी से मिलने की कोशिश की तो उन्हें उनकी पत्नी से तो मिलने ही नहीं दिया गया, और साथ ही उन्हें धमकी भी दी गयी।
उन्होंने पुलिस में शिकायत की तो गदग के पुलिस सुप्रेटेंडेट साहेबा नेमा गौडा ने कहा कि आरोपी महिला को गिरफ्तार किया जा चुका है और अब इस मामले में जांच चल रही है।
महिला जिस मकबूल के साथ भागी है, उसकी पहचान प्रकाश के परिवार से गोवा में हुई थी। चूंकि मकबूल भी कर्नाटक से ही था, तो प्रकाश के साथ उसके घनिष्ठ सम्बन्ध हो गए और दोनों ही दोस्त बन गए। इतनी दोस्ती हुई कि दोनों आसपास रहने लगे।
मगर मकबूल की दोस्ती प्रकाश की पत्नी के साथ हो गयी और वह उसे भगाकर अजमेर ले गया। प्रकाश के अनुसार मकबूल ने उनकी पत्नी का मजहबीकरण किया और फिर निकाह कर लिया। जब प्रकाश ने उससे अनुरोध किया कि वह उनका परिवार न तोड़े तो कुछ दिन के लिए उनकी पत्नी जरूर साथ आई, मगर फिर भाग गयी। और एक बेटी भी ले गयी।
प्रकाश ने महिला संगठनों एवं पुलिस से गुहार लगाई थी, मगर कुछ नहीं हुआ। और वहीं उन्हें दिल का दौरा पड़ा और दो बच्चे भी बीमार पड़ गए हैं।
जब एक स्थानीय चैनल “विस्तारा” ने इस मामले की रिपोर्ट की, तो यह मामला सुर्ख़ियों में आया। वहीं श्री राम सेना ने इस यह चेतावनी दी है कि विवाहित महिला यदि अपने पति और बच्चों के पास नहीं आई तो वह आन्दोलन करेंगे!
देहरादून में लिव इन में रहने वाले नौशाद पर लगाया जबरन मजहबीकरण का आरोप!
जहाँ कर्नाटक में यह घटना सुर्ख़ियों में आई तो वहीं देहरादून में भी लव जिहाद की एक घटना सामने आई। जिसमें नौशाद के साथ लिव इन में रहने वाली एक युवती ने यह आरोप लगाया कि वह नौशाद के साथ लिव इन में रहती थी और अब वह गर्भवती थी। उसके अनुसार नौशाद ने उससे शादी का वादा किया था और उसके साथ सम्बन्ध बनाए थे।
जब वह गर्भवती हुई तो उसका गर्भपात करा दिया गया। और फिर दूसरी बार जब वह गर्भवती हुई तो उसने शादी की बदले मजहबीकरण की शर्त रख दी।
पीड़िता की मानी जाए तो नौशाद के अब्बू और भाई ने भी युवती के साथ मारपीट की। जब वह उनसे मदद मांगने गयी तो उन्होंने भी उसकी बात न सुनी और मारपीट की। पुलिस के अनुसार नौशाद को हिरासत में ले लिया गया है और फिर उसे जेल भेज दिया गया है।
यह दोनों ही मामले लव जिहाद के तो हैं ही क्योंकि इसमें मजहब के नाम पर लड़की का शोषण हुआ ही है। परन्तु यह दोनों ही मामले कहीं न कहीं उन सामाजिक मूल्यों के क्षरण से जुड़े हैं, जो धर्म द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
पत्नी और पति दोनों के मध्य आदर का भाव जो धर्म प्रदान करता है, जब वह इस स्तर पर सामाजिक विमर्श के माध्यम से पहुंचा दिया जाता है कि पत्नी पति की संपत्ति नहीं है, वह कहीं भी और किसी के भी साथ जा सकती है तो पत्नी के दिल में विवाह के प्रति भी आदर जैसे कम हो जाता है। उसके लिए विवाह एक अनुबंध प्रकार का हो जाता है, जिसे वह अपनी मर्जी से तोड़ सकती है।
सीरियल्स ऐसे बनते हैं जिसमें पति को छोड़कर किसी भी और व्यक्ति के साथ जाना बहुत असहज बात नहीं होती है। विवाह के बाद प्यार मरता नहीं, प्यार किसी से भी हो सकता है जैसी जैसी बातें महिलाओं के दिमाग में घर कर जाती हैं और सबसे बढ़कर मुस्लिमों का महिमामंडन!
एक ऐसे कुचक्र में फंसा दिया जाता है महिला को, कि उसके सामने विकृतियों का संसार खड़ा हो जाता है और वह अपनी धर्मानुकूल संस्कृति छोड़कर उसी विकृति में मगन हो जाती है और उसके हिस्से आता है, उसका और उसके परिवार का विनाश!
जैसा इन दोनों ही मामलों में देखा जा सकता है। जहां कर्नाटक में महिला अपने पति और बच्चों को छोड़कर ऐसे जाल में फंस गयी जहाँ पर उसके पास शायद ही कुछ बचे और पति का मानसम्मान तथा बच्चों के सिर से माँ की छाँव चली गयी।
दूसरे मामले में अब इस बात पर निरंतर बात होनी ही चाहिए कि लिव इन सम्बन्धों का आखिर क्या दुष्परिणाम निकल कर आ रहा है? लिव इन सम्बन्ध, जिसे क़ानून द्वारा मान्यता मिल गयी है, और जो अब कथित बड़ी सोसाइटी के साथ साथ आम लड़कियों के लिए भी बहुत बड़ा टैबू नहीं रह गया है, वह लड़कियों के लिए शोषण का माध्यम तो नहीं बन गया है?
न जाने कितनी लड़कियां इन कथित आजादी के गानों में भस्म हो जाती हैं। श्रद्धा वॉकर भी लिव इन में रहने के लिए ही अपने घरवालों से लड़कर आ गयी थी और अब यह युवती भी लिव इन के चलते गर्भपात और जबरन मजहबीकरण का दंश झेल रही है।
क्या अब उन सामाजिक मूल्यों पर बातें नहीं होनी चाहिए, जो हमारे धर्म अर्थात हिन्दू धर्म में निर्दिष्ट हैं? प्रश्न नहीं उठना चाहिए कि सामाजिक मूल्यों को त्यागने के हिन्दू समाज पर क्या दुष्प्रभाव हो रहे हैं? लड़कियों के साथ लव जिहाद में लिव इन कितनी बड़ी भूमिका निभा रहे हैं, यह भी बात अब होनी ही चाहिए!