असम की बाढ़ की विभीषिका अभी तक हृदय और मस्तिष्क दोनों में ही ताजा है। दृश्य घूमते ही रहते हैं, और फिर क्रोध और आक्रोश एवं पीड़ा का एक मिलाजुला रूप उभर कर आता है, जब यह ध्यान में आता है कि वह मजहब विशेष के लोगों ने जानबूझकर कुकृत्य किया था! पीड़ा और आंसू अभी तक ताजे हैं कि कैसे असम में बराक नदी का तटबंध कुछ जिहादियों ने तोडा था, जिस कारण सिल्चर डूब गया था। इन कट्टर मजहबी लोगों के कारण लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं, वहीं करोड़ो रूपए की जान माल की हानि हुई थी।
ऐसा नहीं था कि वह मामला वहीं रुक जाता, या कहें यह जिहाद की जारी प्रक्रिया है? यह प्रश्न इसलिए उठ रहा है कि दुर्भाग्य से ऐसे ही कुकृत्य का प्रयास अब उत्तर प्रदेश में भी दिखा है। जनपद लखीमपुर खीरी के सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने शारदा नहर की पटरी काटने का प्रयास करते छह जिहादियों को रेंज हाथों पकड़ा है। इनके विरुद्ध पसगवां थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता अखिलेश गौतम के अनुसार अभियंता सत्येंद्र वर्मा अपनी टीम के साथ रात्रि गश्त कर रहे थे। तभी सिकंदरशाह, रिकसान शाह, सरदार अली, वसीम खां, जीशान अली, और मुद्दरिक अली को पकड़ा गया है।
पुलिस के अनुसार यह जिहादी तत्व बनकागांव तहसील के गांव उचौलिया के निकट 96.588 किमी के पास पटरी काट रहे थे। घटना के समय नहर में 2946 क्यूसेक पानी था, यदि यह लोग पटरी काटने में सफल हो जाते तो शिवपुरी, उचौलिया, बनकागांव और अन्य आसपास के गाँवों की सैकड़ों हेक्टेयर भूमि, आबादी क्षेत्र, सीतापुर मार्ग व रेलवे लाइन भी जलमग्न हो जाती।
इंजीनियर सत्येंद्र वर्मा द्वारा पुलिस को बताया गया कि, “13 जुलाई को वह अपनी टीम के साथ अपने क्षेत्र में नहर का निरीक्षण कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने बनकागाँव के पटरी नंबर 96.588 पर सिकंदर शाह, रिकशान शाह, सरदार अली, वसीम खां, मुद्दरिक अली, और जीशान अली को नहर की पटरी काटते हुए देखा। उसी समय उन्होंने डायल 112 से पुलिस को इस कृत्य के बारे में सूचित किया।”
सिंचाई विभाग के अनुसार शारदा नहर प्रणाली की लखनऊ शाखा और हरदोई शाखा इस समय पूरी क्षमता से चल रही है। विभाग ने इसे काटकर एवं अवैध कुलावा लगाकर सिंचाई करने का प्रयास करने के लिए लोगो को मना किया है। लोगो को समझाया भी गया था कि ऐसा करने से नहर क्षतिग्रस्त हो सकती है और इसका समस्त पानी ग्रामीण इलाकों में फैल जाएगा। इससे बाढ़ जैसी स्थिति आ सकती है और जानमाल की भारी हानि हो सकती है। ऐसा करने वाले जिहादी तत्वों के विरुद्ध राजकीय संपत्ति को क्षतिग्रस्त करने के अपराध में रिपोर्ट दर्ज करने की अनुशंसा की गयी है।
इस इलाके में पहले भी कई बार नहर की पटरी काटने के प्रयास किये जा चुके हैं। प्रशासनिक व राजनैतिक संरक्षण में खनन माफिया भी नहर को हानि पहुंचाने के प्रयास करते रहते हैं, और इस कारण समय समय पर कृषि भूमि में नहर का पानी घुस जाता है और किसानों को फसल की हानि होती है।
क्या यह भी जिहाद का एक ही रूप है? हिन्दू समुदाय दो उदाहरणों के बाद चिंतित है!
आज जहां देश भर में जिहादियों द्वारा की जा रही हिंसक घटनाओं से देश भर में तनाव का माहौल है, ऐसे में इस तरह की घटनाओं ने देश भर के हिन्दू समाज को ठहरा दिया है है। जिहादी मानसिकता के इन लोगो के एकमात्र उद्देश्य है काफिरों (हिन्दुओं) का सफाया करना, और इसके लिए यह अब कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हट रहे हैं।