आज यूनेस्को द्वारा भारत के कच्छ में स्थित धोलावीरा को विश्व धरोहर सूची में सम्मिलित किया गया।
🔴 BREAKING!
Dholavira: A Harappan City, in #India🇮🇳, just inscribed on the @UNESCO #WorldHeritage List. Congratulations! 👏
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— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳😷 (@UNESCO) July 27, 2021
धोलावीरा को इस सूची में सम्मिलित किए जाते ही भारत में हर्ष की लहर दौड़ गयी और प्रधानमंत्री मोदी से लेकर उपराष्ट्रपति एवं लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा अध्यक्ष सभी ने भारत के नागरिकों को इस हेतु बधाई दी।
Absolutely delighted by this news.
Dholavira was an important urban centre and is one of our most important linkages with our past. It is a must visit, especially for those interested in history, culture and archaeology. https://t.co/XkLK6NlmXx pic.twitter.com/4Jo6a3YVro
— Narendra Modi (@narendramodi) July 27, 2021
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा कि धोलावीरा एक महत्वपूर्ण नगर केंद्र था और साथ ही वह हमारे इतिहास के साथ हमारा सबसे बड़ा संपर्क है। इतिहास, संस्कृति एवं वास्तु में रूचि रखने वाले प्रत्येक व्यक्ति को यहाँ आना चाहिए।
इससे पहले 25 जुलाई को ही तेलंगाना में रामप्पा मंदिर को भी यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में सम्मिलित किया गया था।
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Just inscribed as @UNESCO #WorldHeritage site: Kakatiya Rudreshwara (Ramappa) Temple, Telangana, in #India🇮🇳. Bravo! 👏
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— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳😷 (@UNESCO) July 25, 2021
धोलावीरा गुजरात में कच्छ में भारत और पाकिस्तान की सीमा पर स्थित है। धोलावीरा, हड़प्पा कालीन सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। इसका समय लगभग 5000 वर्ष पुराना बताया जाता है। इसकी खोज वर्ष 1967-68 में जे पी जोशी ने की थी। धोलावीरा कई मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह अपनी नगर संरचना और जल प्रबंधन के लिए प्रसिद्ध है। इसके उत्खनन के समय भारतीय पुरातत्व विभाग के निदेशक श्री आर एस बिष्ट इसकी विशेषताओं को बताते हैं। वर्ष 1990 से 2005 तक लगातार भारतीय पुरातत्व विभाग ने इसका उत्खनन किया था। यह डॉ बिष्ट के ही अथक प्रयास थे, जिन्होंने देश को उसके इतिहास का इतना गौरवशाली एवं भव्य पृष्ठ प्रदान किया। श्री बिष्ट के अनुसार धोलावीरा की सभ्यता उत्कृष्ट सभ्यता थी।
वह इसका अनुभव बताते हुए एक छोटे बच्चे जैसे रोमांचित हो जाते हैं, उनका उत्साह देखते ही बनता है। उनके अनुसार इसमें सिटाडेल था, अर्थात जहां पर राजा के रहने के लिए दुर्ग था, मगर उसके भी दो हिस्से थे, और उसके बाद धोलावीरा में समाज के अन्य मुख्य वर्गों के लिए घर, सड़कें, हाट और मैदान आदि थे। इसे मध्य नगर कहा गया और फिर मध्य नगर को भी कई प्रकार की दीवारों से सुरक्षित किया गया था।
धोलावीरा में जलाशयों की व्यवस्था थी। बाँध बांधे गए थे। और वह इस नगर को सिन्धु सभ्यता का पिता कहते हैं। उनके अनुसार यह सबसे विकसित स्थान है। उनके अनुसार इस स्थल की एक विशेषता इसके बहु उद्देशीय मैदान हैं, जहाँ पर नृत्य, क्रीडा आदि कुछ भी हो सकता था।
धोलावीरा के साथ साथ शेष हड़प्पा सभ्यता को लेखिका सरोजबाला ने अपनी पुस्तक MAHABHARAT RETOLD WITH SCIENTIFIC EVIDENCE में महाभारत से जोड़कर लिखा है। उन्होंने भी श्री आर एस बिष्ट के माध्यम से ही यह स्थापित करने का प्रयास किया है कि जिसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है, वह हड़प्पा सभ्यता वैदिक सभ्यता थी और महाभारत काल की सभ्यता थी। उन्होंने उसमें धोलावीरा के स्थलों से प्राप्त मुद्राएं प्रस्तुत की हैं।
आर एस बिष्ट तो इस नगर के नगर नियोजन पर मुग्ध हैं। वह कहते हैं कि धोलावीरा दो नहरों के बीच बसाया गया, जिनमें पानी का स्तर सिर्फ वर्षाऋतु में ही बढ़ता था। कहा जाता है कि बाढ़ के दुष्प्रभावों से बचने हेतु छोटी नहरों के बीच का स्थान चुना गया। दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो कम क्षमता वाली नहरों के बीचो-बीच बसे शहर में पानी की कमी हो सकती है।
धोलावीरा एक प्रमुख बंदरगाह भी था। यह एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ पर प्राचीनतम काल के सबसे बड़े बंदरगाह होने के प्रमाण प्राप्त हुए हैं। इसमें एक और विशेष बात प्राप्त हुई थी और वह थी इसके निर्माण में पत्थरों के प्रयोग के प्रमाण। और सबसे लंबा शिलालेख/सूचनापट्ट!
धोलावीरा के साथ हिन्दुओं के इतिहास का वह गौरवशाली एवं वैभवशाली पृष्ठ जुड़ा हुआ है, जिस पर प्रत्येक हिन्दू को गर्व होना चाहिए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने अपनी यादें साझा करते हुए लिखा कि वह स्वयं अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार धोलावीरा गए थे और उस स्थान की भव्यता को देखकर मंत्रमुग्ध से हो गए थे। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में, मुझे धोलावीरा में विरासत संरक्षण और जीर्णोद्धार से जुड़े हुए विषयों पर कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ था।”
I first visited Dholavira during my student days and was mesmerised by the place.
As CM of Gujarat, I had the opportunity to work on aspects relating to heritage conservation and restoration in Dholavira. Our team also worked to create tourism-friendly infrastructure there. pic.twitter.com/UBUt0J9RB2
— Narendra Modi (@narendramodi) July 27, 2021
जहां धोलावीरा में इतने सुव्यवस्थित नगर होने का प्रमाण प्राप्त हुआ है तो वहीं सुनौली में हुई खोज में भी हिन्दू इतिहास के कई रहस्य सामने आए थे। यह हिन्दू गौरव के इतिहास है।
और शायद तभी आज मंत्री और प्रधानमंत्री सभी इस घोषणा से प्रसन्न हैं और अपनी प्रसन्नता वह ट्वीट्स के माध्यम से व्यक्त कर रहे हैं।
अपने साथी भारतीयों के साथ यह साझा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि धोलावीरा अब भारत का 40वां खजाना है, जिसे @UNESCO के विश्व विरासत स्थल शिलालेख की सूची में शामिल किया गया है।
विश्व धरोहर स्थल शिलालेखों के सुपर 40 क्लब में प्रवेश करते हुए भारत के मुकुट में एक और रत्न जुड़ गया है। pic.twitter.com/1ZFdq3r0Rl
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) July 27, 2021
गुजरात स्थित धोलावीरा का@UNESCO की विश्व धरोहर सूची में शामिल होना सभी भारतीयों के लिए गौरव की बात है।हड़प्पा संस्कृति विश्व की प्राचीन और सर्वोत्तम संस्कृतियों में से एक है जिसे अब विश्व पटल पर पहचान मिलेगी इस ऐतिहासिक क्षण के लिए देशवासियों को हार्दिक बधाई @PMOIndia @BJP4India pic.twitter.com/9bHlrLMfRb
— Prahlad Singh Patel (@prahladspatel) July 27, 2021
परन्तु इस में बड़े नायक हैं श्री आर एस बिष्ट, जिनके नेतृत्व में यह उत्खनन हुआ था और जो इस उत्खनन की कहानी सुनाते हुए एक निश्छल बालक की भांति उत्साहित हो जाते हैं। आज ऐसे ही कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों को स्मरण करने का दिन हैं, जिन्होनें अपनी सभ्यता के इतिहास के लिए कार्य किया। उनके अतुलनीय कार्यों के परिणामस्वरूप उन्हें पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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