14 अप्रैल को सभी को पता है कि बाबा साहब डॉ भीम राव अम्बेडकर जी की जयंती है, परंतु बहुत ही कम लोग जानते होंगे कि विश्व के महानतम गणितज्ञ, खगोलविद और ज्योतिषाचार्य आर्यभट्ट जी की जयंती भी उसी दिन को मनाई जाती है।
आचार्य आर्यभट्ट प्राचीन समय के महान गणितज्ञ और खगोलशास्त्री थे, खगोलीय विज्ञान और गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट आज भी वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा हैं. जब यूरोप यह मानता था कि पृथ्वी चपटी है और समुद्र के उस पार कुछ नहीं है तब आर्यभट ने बता दिया था कि पृथ्वी गोल है, और यही नहीं जब लोग मानते थे कि सूर्य पृथ्वी की परिक्रमा करता है तब आर्यभट्ट ने बता दिया था कि पृथ्वी एक निश्चित दूरी को बनाए रखते हुए सूर्य का चक्कर काटती है।
आज इन्हीं के जैसे वैज्ञानिकों के कारण सम्पूर्ण विश्व विकास के पहिये पर दौड़ रहा है । इनकी उँगली एकमात्र विकास, शिक्षा और ब्रह्मत्व की ओर इंगित करती है । बस इन्हें कोई इसलिए नहीं याद करता क्योंकि इनसे “वोटबैंक” नहीं मिलता, और यह यूरोप से नहीं हैं। आचार्य आर्यभट्ट प्राचीन समय के महान गणितज्ञ व खगोलशास्त्री थे। बीजगणित जिसको अँग्रेजी में एलजेब्रा बोलते हैं उसका प्रथम बार उपयोग आचार्य आर्यभट्ट ने ही किया था और अपनी प्रसिद्ध रचना “आर्यभटिया” में आचार्य श्री ने बीजगणित, अंकगणित और त्रिकोणमिति के 33 नियम बताये हैं।
आचार्य आर्यभट्ट द्वारा पाई की खोज।

पाई के मान का दशमलव के चार अंकों तक अनुमान आचार्य आर्यभट्ट ने ही लगाया था।
चतुराधिकं शतमष्टगुणं द्वाषष्टिस्तथा सहस्राणाम्। अयुतद्वयस्य विष्कम्भस्यासन्नो वृत्तपरिणाहः॥ (आर्यभटिया) अर्थ: 100 में चार जोड़ें, 8 से गुणा करें और फिर 62000 जोड़ें। इस नियम से 20000 परिधि के एक वृत्त का व्यास पता लगाया जा सकता है। (100 + 4) x 8 +62000/ 20000= 3.1416 इसके अनुसार व्यास और परिधि का अनुपात (2πr/2r) यानी 3.1416 है, जोचार महत्वपूर्ण आंकड़ों तक बिलकुल सटीक है।
त्रिकोणमिति साइन की अवधारणा और त्रिभुज के क्षेत्रफल की गणना भी इन्होंने ही कि थी।

पृथ्वी गोल है और अपने धुरी में घूमती है जिसके कारण दिन व रात होता है,ये सिद्धांत आचार्य आर्यभट्ट ने लगभग 1500 वर्ष पहले प्रतिपादित कर दिया था। आचार्य आर्यभट्ट ने ये भी बताया था कि पृथ्वी गोल है औऱ इसकी परिधि 24853 मिल है। आचार्य आर्यभट्ट ने ये भी बताया था कि चंद्रमा सूर्य की रोशनी से प्रकाशित होता है। आचार्य आर्यभट्ट ने यह सिद्ध किया था कि 1 वर्ष में 366 नही बल्कि 365.2951 दिन होते हैं।
विदेशों में आचार्य आर्यभट्ट के प्रति सम्मान

यूनेस्को महानिदेशक इरिना बोकोवा ने अप्रैल 2016 में “इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन ज़ीरो” के अवसर पर पेरिस में आर्यभट्ट के सम्मान में प्रतिमा का आनवरण किया था।
आचार्य आर्यभट्ट के सम्मान में भारत की पहली स्वदेशी सैटेलाईट

(भारत के पहले स्वदेश निर्मित उपग्रह आर्यभट्ट की फाइल फोटो। तस्वीर-विकिपीडिया)
भारत ने अपनी पहली स्वदेशी निर्मित सैटेलाईट आर्यभट्ट को स्पेस में छोड़ा था जिसे 19 अप्रैल 1975 को USSR की मदद से अपनी मंजिल तक पहुंचाया गया था.
क्या कोई आचार्य आर्यभट्ट के समकक्ष ज्ञान में टिक सकता है, जिनके ज्ञान का लोहा समस्त विश्व मान रहा है आज वह अपने देश मे ही उपेक्षित किये जा रहे हैं।