इन दिनों जब चीन से पैदा हुए वायरस के कारण पूरी दुनिया त्राहि त्राहि कर रही है, और उसके कारण पूरे विश्व में न जाने कितने मासूम असमय मृत्यु का ग्रास बन गए है, उस समय भारत के कम्युनिस्ट दलों के नेता, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना के सौ वर्षों के पूर्ण होने के जश्न में साथ थे। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने सौवें स्थापना दिवस पर भारत में स्थित अपने दूतावास में एक सेमीनार का आयोजन कराया। और मजे की बात यह है कि इसमें और किसी ने नहीं बल्कि भारत के वह नेता शामिल हुए, जो भारत में रहते हुए भी भारत के नहीं लगते हैं।
CPIM's Sitaram Yechury, CPl's D Raja, Lok Sabha MP S.Senthilkumar, G. Devarajan, Secy, Central Committee of All India Forward Bloc & Du Xiaolin, Counselor, International Dept, CPC, participated in a Chinese Embassy event y'day to mark the centenary of Chinese Communist Party(CPC) pic.twitter.com/oAJReO1SCN
— ANI (@ANI) July 29, 2021
भारत के कम्युनिस्ट नेताओं के लिए भारत से बढ़कर चीन है, यह वह बार बार साबित करते रहते हैं। और इन दिनों जब भारत और चीन के बीच तनाव है, उस समय इन नेताओं का इस आयोजन में सम्मिलित होना कई प्रश्न उठाता है। इस अवसर पर राजदूत सुन ने अपने भाषण में कहा कि 1 जुलाई को पूरे चीन ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल होने का जश्न मनाया। पार्टी के महासचिव शी जिंगपिंग ने इस अवसर पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की तारीफों के पुल बांधे और कहा कि पार्टी ने चीन को गरीबी से उबारा है। और साथ ही कहा कि उनकी पार्टी पूरी तरह से जनता की पार्टी है, जिसे जनता ही चलाती है और जनता ही उखाड़ कर फेंक सकती है।
एक बहुत ही ख़ास बात शी जिंगपिंग के संबोधन में थी कि उन्होंने कहा कि हर देश अपने विकास का पथ उसी प्रकार निर्धारित करता है जो उसके हितों के अनुकूल हों और जिस विकास से उसकी राष्ट्रीय शर्तों का सम्मान हो। चीन न ही विकास के विदेशी मॉडल को आयात करेगा और न ही अपना मॉडल निर्यात करेगा। सीपीसी हर देश की राजनीतिक पार्टियों के साथ उनके अनुभवों के अनुसार कार्य करने की इच्छुक है, जिससे वह एक दूसरे की आधुनिकता की यात्रा को समृद्ध कर सके।

इन शब्दों को ध्यान से देखा जाए तो कहा गया है कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी किसी और देश पर अपने विकास का मॉडल नहीं थोपना चाहती है, तो फिर वह सस्ता सामान बनाकर अपना सस्ता विकास का मॉडल थोपकर भारत के उद्योग धंधों का विनाश क्यों करती रही? यहाँ तक कि चीन से ही हमारी दीपावली पर प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्तियाँ आ रही थीं, क्या यह अतिक्रमण नहीं था?
और इससे पहले 1 जुलाई को सीपीसी के स्थापना दिवस पर चीनी राष्ट्रपति ने कहा था कि वह एक संप्रभु देश हैं और उन्होंने जैसे धमकाते हुए कहा था कि जो भी चीन की एकता, अखंडता और संप्रभुता को खंडित करने का प्रयास करेगा तो वह उसका सिर कुचल देंगे। परन्तु वह किसी भी देश की अखंडता को कुचल सकते हैं, जैसे चीनी वायरस को माध्यम बनाकर किया!
परन्तु शी जिंगपिंग का संदेशा सुन रहे हमारे कम्युनिस्ट पार्टी के नेता जैसे सीताराम येचुरी और डी राजा, यह नहीं कह पाए कि फिर आप हमारे देश की सीमा में क्यों अतिक्रमण करते हैं? क्यों अरुणाचल प्रदेश में अतिक्रमण कर रहे हैं और इतना ही नहीं चीन में मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचार पर भी यह लोग मौन रहे। और भारत में तो कम्युनिस्ट पार्टी के नेता नक्सली आंदोलनों को समर्थन देकर अपने देश की अखंडता पर प्रश्नचिन्ह लगा रही है! छत्तीसगढ़ में सुकमा का नक्सली हमला सभी को याद होगा!
एक ओर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी है जो अपने देश के राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करना चाहती है तो वहीं भारत के कम्युनिस्ट दल हैं, जो अपने ही देश के हितों के खिलाफ हर संभव समझौता करने के लिए तैयार हैं। वह वर्तमान प्रधानमंत्री का विरोध करने के लिए हर सीमा तक जा सकते हैं, वह अमेरिका को पत्र लिख सकते हैं और वह झूठे हथकंडे चला सकते हैं।
क्या भारत के कम्युनिस्ट नेता चीन के कम्युनिस्ट नेताओं की बात नहीं मानते? क्या चीन में जो कम्युनिस्ट पार्टी करती है, भारत में उसका अनुपालन कम्युनिस्ट दलों के नेता नहीं करते? चीन में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता कहते हैं कि वह अपने देश पर उठने वाली हर उंगली को काट देंगे और भारत के कम्युनिस्ट नेता कहते हैं कि देश को टुकड़े टुकड़े कर दिया जाए क्योंकि भारत तो एक इकाई था ही नहीं? तो क्या चीन एक इकाई था? चीन द्वारा तिब्बत की संस्कृति नष्ट किए जाने पर वह मौन हैं और वह चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से यह भी नहीं कह पा रहे हैं कि वह क्यों पूरी दुनिया को अपना उपनिवेश बनाने पर तुले हैं। आखिर वह चीन के इतने गुलाम क्यों हैं? शायद यह इनका इतिहास है ही:
Exhibits to support Indian communists romanticising China https://t.co/JqgT9sXabN pic.twitter.com/iKJAOyBaTQ
— Jins Thomas 🇮🇳 (@thomasJins) March 3, 2021
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपनी अर्थात चीन की राष्ट्रीय पहचान लेकर चलती है और अपने सैनिकों के प्रति सम्मान रखती है तो भारत की कम्युनिस्ट पार्टी पाकिस्तान से मोहब्बत करती है, जो भारत पर छद्म रूप से भी आक्रमण करता है और प्रत्यक्ष तो करता ही है। वह तो उस चीन की गुलामी करती है, जिस चीन ने न केवल हमेशा धोखे से भारत पर वार किया है बल्कि हाल ही में गलवान घाटी में भारत के 20 जवानों को अपना शिकार बना लिया था! बल्कि उन्होंने तो 1962 के युद्ध में भी चीन का ही साथ दिया था, और जवानों के लिए रक्त दान करने से भी इंकार कर दिया था
CPI ordered comrades not to donate blood for Indian soldiers during 1962 war with China.
CPI supported China in 1962. Which led to it's spit in 1964.
CPI became Moscow branch while CPI(M) became Beijing branch pic.twitter.com/1hxtRXge0a— Pranavsinh (@Pranavsinh9) July 29, 2021
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी अपने देश के संस्कार लेकर चलने की बात करती है और यहां पर भारत के कम्युनिस्ट दल अपने ही देश की संस्कृति का विनाश करने के लिए हर संभव कदम उठाते हैं। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी जहाँ अपने देश के लिए समर्पित है तो वहीं भारत की कम्युनिस्ट पार्टी अपने देश से इस सीमा तक नफरत करती है कि जब चीन और भारत के बीच तनाव चल रहा है, हमारे देश के सैनिकों के घाव अभी तक शायद सूखे भी नहीं हैं और चीन के वायरस के कारण वामपंथियों का प्रिय प्रदेश ही कराह रहा है और जब भारत के (उनके प्रधानमंत्री) ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को सौ साल पूरे होने पर बधाई तक नहीं दी, तो भी भारत के कम्युनिस्ट नेता, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल पूरे होने के जश्न में शामिल हुए।
हालांकि सोशल मीडिया पर भारत के कम्युनिस्ट नेताओं के इस कदम का जमकर विरोध हो रहा है और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं द्वारा समय समय पर किया गया भारत विरोध वह सामने ला रहे हैं!
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