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Tuesday, July 1, 2025

दक्षिण की हलचल/दक्षिण एक्सप्रेस: केरल

केरल और तमिलनाडु हिंदी पट्टी की क्रांतिकारी लेखिकाओं के मनपसंद प्रदेश है। किसी भी क्रान्ति के लिए वहीं का उदाहरण देती हैं और वहीं का मुंह देखती है। ऐसा लगता है जैसे केरल में मुर्गा बांग देगा तो वह यहाँ पर कुल्ला करेंगी। परन्तु, जब केरल में मुर्गे को हलाल किया जाता है तो वह उसी मुर्गे के लेग्पीस ही उड़ाती दिखती है, न कि मुर्गे का पक्ष लेती है कि आखिर क्यों मारा! आज पिछले कुछ दिनों में केरल में घटित हुए कुछ मामलों पर दृष्टि डालते हैं और देखते हैं कि ऐसे अपराध यदि हिंदी पट्टी में हुए होते तो क्या होता।

अनुपमा मामला

एक लड़की, जिसने एक दलित से प्यार किया और फिर बिना विवाह के लिव इन में रहने लगी। और गर्भवती हो गयी।  अनुपमा की यह कहानी इसलिए विशेष है क्योंकि वह केवल कथित रूप से सबसे शिक्षित प्रदेश से ही नहीं है बल्कि उनके पिता जयचंद्रन माकपा के स्थानीय नेता है। अत: वह गुलाम वामपंथी हिंदी लेखक और लेखिकाओं की प्रिय पार्टी के नेता हैं।

अब यहाँ पर ट्विस्ट आता है। अनुपमा के प्रसव का समय निकट आया तो उसके मातापिता उसे अपने साथ ले गए। परन्तु उन्होंने उसके बच्चे को उसके जन्म के बाद उससे दूर कर दिया। उसकी बहन की शादी के बाद रिश्ते को स्वीकारने की बात उन्होंने की, मगर उसके बहाने अनुपमा के मातापिता ने बच्चे के जन्म के तुरंत बाद ही उसे किडनैप कर दिया और फिर उसे केरल बाल कल्याण परिषद के माध्यम से गोद लेने के लिए दे दिया।

अनुपमा अपने बच्चे के साथ

अनुपमा को जब यह बात पता चली तो उसने संघर्ष किया, अपने ही बच्चे को अपने मातापिता के चंगुल से छुड़ाने का। परन्तु हिंदी पट्टी की क्रांतिकारी लेखक और लेखिकाएँ, जो वामदलों की छींक को भी कैंसर जैसा भयानक रोग मानते हैं और वाम्पदलों को आधुनिकता और प्रगतिशीलता का पर्याय मानते हैं, उन्होंनें जयचंद्रन के खिलाफ मुंह नहीं खोला।

अनुपमा अकेली संघर्ष करती रही, जिसमें वह जानती थी कि उसके पिता क्या कर सकते हैं, पर वह डटी रही। उसने याचिका डाली और फिर बच्चे की गोद लेने की प्रक्रिया पर रोक लग गयी थी। बच्चे को आंधप्रदेश भेज दिया गया था, अनुपमा ने धरना दिया और फिर सीडब्ल्यूसी ने बच्चे को वापस केरल लाने का आदेश दिया।

अनुपमा और अजित कुमार का डीएनए टेस्ट किया गया और फिर उससे  आज अर्थात 25 नवम्बर को यह पता चला है कि वह ही बच्चे के बायोलोजिकल मातापिता है। और आज ही अनुपमा को बच्चा मिल गया है। अनुपमा बच्चे को पाकर बहुत प्रसन्न हैं, परन्तु केरल की इतनी बड़ी घटना, जिसमें एक लड़की को प्रताड़ित किया जा रहा था, उसके विषय में हिंदी पट्टी मौन थी।

वामपंथी हिंदी गुलाम लेखिकाएं वैसे कथित स्त्री मुक्ति पर बात करेंगी, शादी से बाहर बच्चे की वकालत करेंगी और जाति रहित विवाह की बात करेंगी, परन्तु जब उनके प्रिय केरल और पिता-पार्टी वामदल की बात आती है तो वह मौन रह जाती हैं, जैसा इस मामले में किया।

अनुपमा का मामला वामपंथी गुलाम फेमिनिज्म का सबसे ज्वलंत उदाहरण हैं। और उनके दोगलेपन और पिछड़ेपन का भी।

हिन्दू दलित पर ईसाई न बनने पर ईसाई रिश्तेदार द्वारा हमला

कथित रूप से दलितों की हितकारी लेखिकाएँ और हिंदी लेखक, कभी भी अपने पिता-राज्य केरल की ओर नहीं देखते हैं। वहां पर दलितों को मार डाला जाए, या फिर दलितों पर हमला हो, या फिर दलित का बच्चा उसके वामपंथी ससुर द्वारा छीन लिया जाए, उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। ऐसा लगता है जैसे उनके लिए दलित केवल उनकी कविताओं के लिए मसाला भर हैं, जिससे हिन्दुओं को घेरा जा सके।

आइये एक और मामला देखते हैं।

दानिश जॉर्ज नामक एक डॉक्टर ने अपने खुद के बहनोई को केवल इसलिए जान से मारने की कोशिश की क्योंकि उसने ईसाई रिलिजन अपनाने से इंकार कर दिया था। मिथुन नामक हिन्दू दलित युवक ने दीप्ति जॉर्ज नामक लड़की से 28 अक्टूबर को हिन्दू विधि विधान से मंदिर में विवाह किया था।

हालांकि मामला पुलिस तक पहुंचा था और दीप्ति ने पुलिस से कहा था कि वह अपनी इच्छा से मिथुन के साथ गयी है और वह मिथुन के साथ रहना चाहती है।

इसके बाद दीप्ति के परिजनों ने कहा कि वह चर्च में भी शादी करना चाहते हैं, वह लोग तैयार हो गए।  दानिश भी उनसे मिला। दीप्ति और मिथुन रविवार को चढ़क गए और चर्च के पादरी एवं दानिश ने मिथुन से हिन्दू धर्म छोड़कर ईसाई रिलिजन अपनाने के लिए कहा, पर मिथुन ने इंकार कर दिया।

दानिश ने फिर मिथुन को किसी बहाने से चर्च के बाहर बुलाया और फिर उस पर हमला कर दिया। दीप्ति ने भी इस बात की पुष्टि की और दानिश ने मारते हुए उस पर जातिवादी गालियों की भी बरसात कर दी। मिथुन बहुत बुरी तरह से घायल हुआ और फिर मिथुन की माँ ने पुलिस से शिकायत की, और एससी/एसटी एक्ट में मामला दर्ज हुआ।

हालांकि 3 नवम्बर तक कोई कदम नहीं उठाया गया था, मगर जब वीडियो मीडिया में गए और मीडिया में मामले पर चर्चा होने लगी तो विवशता में दानिश को गिरफ्तार किया गया। हालांकि ईसाई मीडिया आउटलेट onmanorama.com  ने कहा है कि दानिश ने कथित रूप से मिथुन पर हमला किया!

दक्षिण एक्सप्रेस के अगले लेख में हिंदी के पाठकों के सामने लाएंगे केरल के कुछ और मामले और साथ ही तमिलनाडु के भी मामले अपने पाठकों के सामने लाएंगे

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