केरल से एक चौंकाने वाले लव जिहाद के मामले का समाचार आ रहा है। हालांकि इसमें कुछ अंतर है, और अंतर है कि लड़की ईसाई है और लड़का मुस्लिम है। लड़की ईसाई है और उसके “पापा” एक स्थानीय स्तर के प्रभावी मार्क्सवादी नेता हैं। और इतना ही नहीं, चूंकि लड़की के बालिग़ होने की स्थिति में जब न्यायालय ने इस जोड़े को साथ रहने की अनुमति दी तो कुछ गुस्साए सीपीएम कार्यकर्ताओं ने न्यायालय के सामने ही उस मुस्लिम आदमी को पीट दिया।
यह काहनी है केरल की एक युवती की, जिसे ग्रूमिंग जिहाद के जाल में फंसाया गया। वह जब छोटी थी, तभी उसे इस जाल में, इस प्यार में फंसा लिया गया। मल्लापुरम के एक मुस्लिम युवक ने उस लड़की को तब फंसाया जब वह छोटी थी और वह युवक केरल सरकार के स्वामित्व वाली केरल स्टेट फाइनेंशियल एंटरप्राइजेज़ लिमिटेड में नौकरी करता है। यह राज्य के स्वामित्व वाली गैर-बैंकिंग वित्त कम्पनी है, जिसके विषय में यह भी आरोप लगते रहे हैं कि यह राजनीतिक नेताओं एवं छद्म पूंजीवादियों के काले धन को सफ़ेद करने का कार्य करती है।
तो युवक ऐसी कम्पनी में नौकरी करता था। वह लड़की इद्दुक्की जिले के थोडूपुज्हा चेरुथोनी की निवासी है। वह अभी कॉलेज में पढ़ रही है। उसे इस जाल में फंसाने की शुरुआत हुई सोशल मीडिया से। और इस महीने जैसे ही वह बालिग हुई वैसे ही उस लड़की के आशिक ने उसे अपने जाल में फंसा लिया।
आरोप है कि मुस्लिम युवक ने उसे इस्लाम में मतांतरित करने का इरादा किया और फिर उसे मल्लापुरम में मजहबीकरण केंद्र में ले गया। मौनाथुल इस्लाम सभा इस्लाम में मतांतरित करने के लिए ही कुख्यात है और यही एकमात्र अधिकृत इस्लामिक मतांतरण केंद्र है जहाँ पर पोन्नानी, मल्लापुरम में मजहब में आ सकते हैं। और सबसे हैरानी की बात यही है कि उन लोगों का जरा भी पता नहीं लगता है कि उनके साथ क्या हुआ, जो इस केंद्र में इस्लाम में मतांतरित होते हैं।
कहा यह भी जाता है या ऐसा आरोप लगाया जाता है कि ऐसी लड़कियों को कहीं न कहीं आतंकी स्थानों जैसे सीरिया, ईराक और अफगानिस्तान आदि में भेज दिया जाता है।
4 फरवरी को इस लड़की के पिता, जो सीपीएम कार्यकर्ता भी है, ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि उनकी बेटी गायब है। यह परिवार चेरुथोनी शहर से 7 किमी उत्तर में मनियारंकुडी गांव में रहता है।
जांच करने पर पुलिस ने उसके फोन की लोकेशन चेक की और फिर पता चला कि लड़की मलप्पुरम में है। और तब उन्हें पता चला कि लड़की दरअसल उस मजहबीकरण केंद्र में है। पुलिस वहां पहुंची और लड़की को ‘बचाया’। केरल पुलिस की इस तत्परता की प्रशंसा इसलिए लोग सहज नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि कई बार यह देखा गया कि केरल पुलिस उस समय अपनी तत्परता नहीं दिखा पाती है, जब पीड़िता हिन्दू युवती होती है।
जब युवती को मुट्टम थोडुपुझा की जिला अदालत में पेश किया गया, तो उसका आशिक और जिहादियों का एक बड़ा समूह भी जज के सामने पेश हुआ। चूंकि युवती बालिग़ थी तो न्यायालय ने पूछा कि वह किसके साथ रहना चाहती है, इस पर युवती ने अपने आशिक के साथ जाने का फैसला किया।
उसके माता-पिता भी अदालत में थे और उन्होंने अपनी बेटी को अदालत में यह कहते देखा कि लड़की का मन अपने परिवार के साथ जाने का नहीं है। और जब यह हुआ उस समय उस लड़की के कई रिश्तेदार और साथ ही कई स्थानीय सीपीएम कार्यकर्ता और नेता भी मौजूद थे। एक बार जब अदालत स्थगित हो गई और जब यह जोड़ा न्यायालय से बाहर आया तो दोनों ही गुटों में भयानक लड़ाई हुई।
सबसे मजे की बात यह है कि इस पूरे विवाद में मीडिया ने यह एक बार भी नहीं बताया कि इसकी जड़ लव जिहाद में है। क्योंकि न केवल लिबरल मीडिया बल्कि वाम दल भी यह मानते हैं कि लव जिहाद जैसा कुछ नहीं होता है, वह यह मानते ही नहीं है कि इस प्रकार की कोई समस्या भी है। और जिस समस्या को यह लोग नकारते हैं, उस पर बात भी कैसे कर सकते हैं? परन्तु विवाद तो हुआ ही है, उसे बताना भी है, तो संभवतया कुछ बीच का रास्ता निकालते होंगे।
फिर भी मीडिया को यह दिखाना ही होगा कि कैसे जिहादी समूह गैर मुस्लिम युवती को लीलने के लिए एकत्र हो जाता है! क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब जिहादियों ने कट्टरपंथी तत्वों को संरक्षण दिया है जो युवा गैर-मुस्लिम लड़कियों को फंसाने में शामिल रहते हैं। उनका इडुक्की में एक अदालत के सामने इकट्ठा होना और सड़कों पर झगड़ना दिखाता है कि पूरा ग्रूमिंग माफिया कितना खतरनाक काम करता है।
हाँ, यह कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं थोडुपुझा पुलिस को पता था कि समस्या होगी। किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए, थोडुपुझा डीएसपी के नेतृत्व में विभिन्न थानों के 100 पुलिसकर्मियों का जत्था वहां पर एकत्र था। फिर भी, जिहादियों एवं लड़की के पिता के नेतृत्व वाले सीपीएम समूह के बीच संघर्ष छिड़ गया।
यह भी बताया गया कि उस मुस्लिम युवक और उसके साथियों को बहुत बुरी तरह से पीटा गया और इस लड़ाई में एक नहीं कई पुलिस कर्मियों को कई चोटें आईं। कहा तो यह भी जा रहा है कि जिहादियों ने उन लोगों के फोन भी छीन लिए और उस कार को भी अपने कब्जे में ले लिया था, जिसमें यह जिहादी पहुंचे थे। शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने हस्तक्षेप किया और कार और फोन वापस कर दिए।
कहा जाता है कि जिस वजह से हिंसा हुई, वह यह थी कि जिहादी ने युवा लड़की को ईसाई धर्म से इस्लाम में परिवर्तित करने की कोशिश की।
इडुक्की मुट्टम पुलिस ने इस लड़ाई में सीपीएम जिला नेताओं सहित 14 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। इनमें सीपीएम के एरिया सेक्रेटरी टी आर सोमन और मोहम्मद फैसल शामिल थे। सीपीएम क्षेत्र समिति के सदस्य शिमनास, अलबिन वडासेरी, एम एस सारथ और लड़की के कुछ रिश्तेदारों पर भी आरोप लगाए गए थे।
युवक के साथ गए और हिंसा में शामिल तीन ‘दोस्तों’ के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। अदालत के निर्देश के अनुसार, पुलिस ने ईसाई लड़की और उसके मुस्लिम प्रेमी को मलप्पुरम के एक आश्रय गृह में भेज दिया।
इस घटना में मुस्लिम युवक के साथ किये गए इस व्यवहार से सीपीएम के उस दावे की पोल खुलती है, जिसमें वह लव जिहाद के अस्तित्व तक से इंकार करती है। यह लिबरल दोगलेपन को भी दिखाती है।