अंतत: एक असफल कॉमेडियन के कैरियर को बचाने के लिए एक सफल नायिका असमय अवसान हो गया। वह एक असफल कॉमेडियन था, जिसके विषय में हिन्दुओं के हृदय में अथाह घृणा थी, क्योंकि उसने अपनी कॉमेडी के माध्यम से हिन्दुओं का उपहास ही नहीं किया था, बल्कि उनकी पीड़ा पर भी अपनी कॉमेडी का नमक छिड़का था। उसने राम जी, लक्ष्मण जी, और सीता माता के प्रति अपमानजनक टिप्पणी की थीं और साथ ही उसने गोधरा में जिन्दा जले हुए हिन्दुओं के शवों पर अट्टाहस किया था।
मुनव्वर फारुकी के उस अट्टाहास के कारण उत्पन्न पीड़ा को हर हिन्दू अनुभव करता था। उसका चेहरा देखते ही हर हिन्दू के गले में जैसे कुछ अटक जाता था। उसे उस चेहरे से वितृष्णा और घृणा हो जाती थी। और दूसरी ओर थी हिन्दुओं के मामले खुलकर उठाने वाली ऐसी नायिका, जिसने फिल्म उद्योग में वंशवाद के जाल को चुनौती दी, जिसने अपनी प्रतिभा के माध्यम से ऐसा शिखर छुआ, जिसकी कल्पना ही सहज कोई अभिनेत्री नहीं कर सकती है। कंगना रनावत, जिसने जब उद्धव सरकार के खिलाफ खुलकर कहा और जब उद्धव सरकार ने उस पर कार्यवाही की तो देश के कोने कोने से उस विचार के लोग उसके साथ खड़े हो गए, जिन्हें लिबरल समाज सबसे असहिष्णु ठहराता है।
पर वह वर्ग अपनी इस नायिका के साथ खड़ा हुआ, क्योंकि उसे लग रहा था जैसे कोई तो है जो उनके मुद्दे उठाता है, कोई तो है जो फिल्म उद्योग में वर्षों से चले आ रहे उस वंशवाद के कोढ़ पर बोल रहा है, जिस पर सब मौन रहा करते हैं। उसे एक नायिका मिली और उसने अपना पूरा समर्थन उस के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें लगा कि उनकी बात करने वाली कम से कम एक तो है।
परन्तु कहानी में ट्विस्ट तब आया जब “पद्मश्री” एकता कपूर एक शो के साथ आईं। उसका नाम था “लॉक अप” और उसका संचालन कंगना रनावत ने किया। लोगों के भीतर उत्साह था। फिर उसमें आया वही असफल और घृणित कॉमेडियन “मुनव्वर फारुकी!” अब लोगों को लगा कि क्या हुआ है? यह क्या हो रहा है? आरम्भ में तो लोगों ने कहा कि राष्ट्रवादी कंगना, घृणित कॉमेडियन मुनव्वर से कड़े प्रश्न पूछेंगी! परन्तु समय बीतने के साथ यह आशा धूमिल होती गयी। और अंतत: हिन्दुओं से घृणा करने वाला वह असफल कॉमेडियन “राष्ट्रवादी” कंगना के हाथों विजेता बनकर सामने आया:
एक समय तो ऐसा आया कि जब कंगना पर ही लोगों ने आरोप लगाए कि वह मुनव्वर फारुकी के प्रति अत्यधिक सॉफ्ट हैं। इस पूरे शो में राष्ट्रवाद के मामले पर उनके समर्थन करने वाले कहीं ठगे से खड़े रह गए और उन्हें यह लगा कि कंगना यह क्या कर रही हैं? मुनव्वर फारुकी की निजी ज़िन्दगी के दर्द को हिन्दुओं की उस विशाल पीड़ा से भी बड़ा बना दिया, जो मुनव्वर ने हिन्दुओं को एक नहीं कई बार दी थी।
क्या इस प्रश्न का उत्तर कंगना दे पाएंगी कि आखिर वह ऐसा क्या कारण था कि उन्होंने स्वयं पर विश्वास करने वालों को इतना बड़ा धोखा दिया? क्या मुनव्वर की निजी ज़िन्दगी में होने वाले किसी भी हादसे में कोई भी हिन्दू उत्तरदायी था? क्या किसी भी हिन्दू ने मुनव्वर फारुकी के बचपन को तबाह किया? या उसने जो भी अपना दर्द बताया क्या उसमें कोई हिन्दू दोषी था?
यदि नहीं तो उसकी निजी जिन्दगी के बहाने आम लोगों में सहानुभूति क्यों उत्पन्न की कंगना ने? दरअसल कंगना रनावत को कहीं न कहीं यह लगता है कि वह किसी भी मुद्दे पर कोई राष्ट्रवादी ट्वीट कर देंगी, तो सारी भरपाई हो जाएगी। यह उनका अतिआत्मविश्वास ही कहीं उन्हें न ले डूबे, जैसा अक्षय कुमार को ले डूबा! क्योंकि अक्षय कुमार ने भी दोनों ही नावों पर पैर रखकर चलना चाहा।
अक्षय कुमार से लोग कितना चिढ़ने लगे हैं, यह उनकी फ्लॉप फ़िल्में ही बता देती हैं। परन्तु कंगना इस उदाहरण से क्यों सबक नहीं सीख पाईं? क्या कंगना को यह लगा कि हिन्दुओं के हद तक घृणा करने वाले इस मुनव्वर की इतनी तरफदारी से वह उन लोगों को अपने पक्ष में कर लेंगी जो उनके उस स्टैंड के बाद दूर हो गए थे जो उन्होंने राष्ट्रवादी मुद्दों पर लिया था?
यह तो देखना होगा कि कंगना की अगली फिल्म का क्या होगा? लॉक अप में जो उन्होंने किया है, उसके बाद यह तो निश्चित है कि राष्ट्रवादी खेमा उनसे दूर हुआ है। और यह भी सच है कि लोगों का बहुत ही अधिक मोहभंग हुआ है। अब वह कंगना की फिल्म का अपने कंधे पर प्रचार नहीं करेंगे। हाँ, यह अवश्य हो सकता है कि सत्ताधारी दल के नेता या सत्ताधारी दल का अनुसरण करने वाले लोग कंगना के पाले में अभी भी रहें क्योंकि यह तो स्पष्ट है कि वह सत्ताधारी भाजपा के पक्ष में बात करती हैं।
फिर भी यह कहीं से भी लोगों के गले नहीं उतर रहा है कि प्रभु श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी का अपमान करने वाले मुनव्वर के तमाम पापों को एक शो के माध्यम से धोने का प्रयास हुआ और इसमें सबसे बड़ा “प्रत्यक्ष” योगदान “राष्ट्रवादी और हिन्दू शेरनी” कंगना का रहा। तथापि यह भी कुछ लोग कह रहे हैं कि यह सब पहले से निर्धारित था और उसमें मुख्य हाथ “पद्मश्री” एकता कपूर का था! तो ऐसे में यह मामला और भी अधिक गंभीर हो जाता है कि पद्मश्री “एकता कपूर” और “राष्ट्रवादी एवं हिन्दू शेरनी” कंगना रनावत की ऐसी क्या आर्थिक विवशता थी कि उन्होंने एक असफल कॉमेडियन के पापों को धोने के लिए इतना बड़ा शो बनाया और फिर शो के सफल और निष्पक्ष संचालन का दावा भी किया?
यह लॉक अप कहीं एकता कपूर के साथ साथ कंगना के कैरियर को भी कहीं लॉकअप में बंद न कर दे! वैसे राष्ट्रवादियों के समर्थन खोने के बाद संभावना यही है क्योंकि मुनव्वर फारुकी के पाप तो धुल नहीं सकते हाँ, उन्हें धोने के कुप्रयास में कंगना का कैरियर जरूर प्रभावित होगा क्योंकि रामद्रोह और छल, इनका दंड तो अवश्य ही मिलता है!