बांग्लादेश में हिन्दुओं के प्रति हुई हिंसा के प्रति आज पूरे विश्व में इस्कॉन द्वारा विरोध प्रदर्शन किए गए। पूरे विश्व में कोने कोने से आज शांतिपूर्ण कीर्तन करके हिन्दुओं के साथ हुए इस नरसंहार का विरोध किया गया।
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के दौरान हिन्दुओं के साथ संगठित रूप से हिंसा हुई। जिसमें प्रथम दृष्टया कारण दुर्गा पूजा पंडाल में कुरआन का अपमान था और देखते ही देखते, हिंसा की आग ने हिन्दुओं को जलाकर जैसे राख ही कर दिया था। नोआखाली में जिहादी दंगाइयों ने इस्कॉन मंदिर पर हमला करके भक्तों से मारपीट की थी और भक्तों को मारडाला था। मंदिर में तैरते हुए शव को देखकर समूचा विश्व जैसे सदमे से स्तब्ध रह गया था।
सीसीटीवी फुटेज से यह पता चल गया था कि वहां पर कुरआन की प्रति को इकबाल हुसैन ने रखा था, और फिर उसके बाद हिन्दुओं को चिन्हित करके आक्रमण किया गया। ऐसा नहीं था कि समय के साथ हमले रुके, बल्कि 22 अक्टूबर तक हमले जारी थे और 22 अक्टूबर को नोआखाली में जगन्नाथ मंदिर पर शुक्रवार की प्रार्थना के बाद हमला हुआ था।
इतना ही नहीं अभी तक स्थिति सामान्य नहीं हुई है। यह जानते हुए भी कि इस हिंसा में इकबाल हुसैन का मुख्य हाथ था और उसने ही कुरआन का अपमान किया, न कि हिन्दुओं ने, हिन्दुओं के विरुद्ध अभी तक अभियान चल रहा है,
चित्तगोंग से यह सन्देश आ रहा था कि खतरा अभी समाप्त नहीं हुआ है। फेसबुक पर चरमपंथी हिन्दू घृणा को फैला रहे हैं। अधिकारी बहुत कम कर रहे हैं। हमारे दोस्त ने हमें बताया कि कैसे वह और हमलों को नहीं झेल सकते हैं। हम हर बांग्लादेशी हिन्दू से अनुरोध करते हैं कि वह घर के भीतर रहें।
ऐसे में एक अत्यंत सामान्य प्रश्न उभर कर आता है कि कुरआन के कथित अपमान पर जिहादी तत्व इतने भड़क गए कि हिन्दुओं को मरने और मारने पर और बांग्लादेश से भगाने पर तुल गए और अभी तक उन्हें मारने के षड्यंत्र किए जा रहे हैं, परन्तु जो मुख्य आरोपी है, अर्थात इकबाल हुसैन, जिसने वास्तव में कुरआन का अपमान किया है या कहें बेअदबी की है, उसके विरुद्ध अभी तक किसी भी जिहादी तत्व ने कुछ नहीं कहा है।
बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तसलीमा नसरीन ने इस विषय में बात करते हुए ट्वीट किया कि “बांग्लादेश में इस्लामिस्ट हिन्दुओं से कुरआन को हनुमान की जंघा पर रखे जाने से इतने गुस्सा थे कि उन्होंने हिन्दू घरों और मंदिरों को जला डाला। अब यह जानकर भी कि वह इकबाल हुसैन था जिसने यह किया था, न कि हिन्दू, तो वह इकबाल से गुस्सा नहीं हैं और न ही उसका घर वह लोग नष्ट कर रहे हैं। इससे यह साबित होता है कि हिन्दुओं पर हमले के पीछे कारण कुरआन नहीं है बल्कि हिन्दुओं के प्रति घृणा है।
तसलीमा नसरीन ने यह बात बहुत ही महत्वपूर्ण कही है कि हिन्दुओं के साथ हुई हिंसा में मामला कुरआन नहीं था, और सही कहा जाए तो कभी हो भी नहीं सकता था क्योंकि यह हर किसी को पता है कि एक तो हिन्दू सहज ऐसी कोई हरकत नहीं करता है और कोई हिन्दू एक इस्लामी देश में, ऐसी बात सोच भी सकता है, जब मंदिर तोड़ना या मंदिर पर आक्रमण करना बहुत ही सहज बात होती है।
हिन्दुओं को हर कीमत पर नष्ट करने का सपना लिए यह इस्लामी जिहादी तत्व इकबाल हुसैन के विरुद्ध क्यों कुछ नहीं कह रहे हैं, प्रश्न यही है? परन्तु यहाँ पर तो यह भी दिखाई दे रहा है कि इकबाल की सहायता के लिए हाथ और कहीं से नहीं बल्कि मस्जिद से ही बढ़े थे। ढाका ट्रिब्यून के अनुसार एक और सीसीटीवी फुटेज पुलिस के सामने आया है जिसमें यह दिखाई दे रहा है कि कुमिला के नानुर्दिघी में अस्थाई पूजा पंडाल में कुरआन रखने की घटना में मस्जिद के ही दो लोग शामिल थे। फुटेज के अनुसार इकबाल ने रात को दो बजकर बारह मिनट पर कुरआन लिया और फिर वह मस्जिद से निकला और कुरआन शरीफ को हनुमान जी की मूर्ति पर रख दिया।

पुलिस के अनुसार मस्जिद के दो एक्टिविस्ट हफीज हुमायूं और फैजल हैं।
एक ओर वह मानसिकता है जो हिन्दुओं के अस्तित्व तक से घृणा से भरी हुई है, और इस कारण कुरआन का वास्तविक अपमान करने वालों पर मौन है, और दूसरी तरफ है “सर्व कल्याण” की भावना करने वाला हिन्दू, जिसने आज पूरे विश्व में विरोध भी किया तो संगीत से! लन्दन में भक्तों की लम्बी कतार बाहर आई और अपना विरोध व्यक्त किया।
जर्मनी में शांतिपूर्ण कीर्तन विरोध किया गया
गुजरात में अहमदाबाद में विरोध प्रदर्शन हुए
इस्कॉन बंगलुरु के अध्यक्ष मधुपंडितदास ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बाग्लादेश में जो कुछ हुआ, वह स्वीकार्य नहीं है। और हिन्दुओं पर अत्याचार रुकने चाहिए
ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैड, जर्मनी सहित पूरे विश्व के 150 देशों में इस प्रकार के शांतिपूर्ण प्रदर्शन किए गए।
कोलकता में बांग्लादेश हिंसा के पोस्टर्स को 22 अक्टूबर को प्रदर्शित किया गया था
पिछले सप्ताह पूरे विश्व ने देखा कि कैसे हिन्दुओं को एकतरफा हिंसा में मारा जाता है और उस पर पूरा विश्व लगभग मौन धारण कर लेता है, मीडिया आँखें मूँद लेती है और नेता भी अपना मुनाफ़ा देखकर ही बोलते हैं, उनके अस्तित्व तक से जिहादी इस्लामी तत्व घृणा करते हैं और उनके घर, आदि को जलाने से नहीं हिचकते, तो वहीं दूसरी ओर हिन्दू हैं, जो विरोध भी प्रदर्शित करते हैं वह भी संगीत और सृजन से भरा होता है, वह नैसर्गिक सौन्दर्य एवं देवत्व से परिपूर्ण होता है। वह विरोध प्रदर्शन में भी जनकल्याण खोजता है और ध्यान रखता है कि उससे किसी की हानि न हो!
परन्तु प्रश्न यही है कि उदार एवं विशालमना उस मानसिकता से कैसे लड़ेगा जो आपके अस्तित्व तक से घृणा करती है और मिटाने के लिए हर षड्यंत्र कर सकती है?