यदि हमें यह लगता है कि हिन्दू होने के कारण केवल इस्लामी देशों जैसे बांग्लादेश या पाकिस्तान में ही हिन्दुओं के साथ प्रताड़ना हो सकती है, तो अमेरिका में डार्टमाउथ कॉलेज में हिन्दू प्रोफेसर्स के साथ हुआ यह अकादमिक उत्पीडन आपको यह बताएगा कि मुस्लिम हिन्दुओं का उत्पीडन करने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। अमेरिका में इस कॉलेज में एक मुस्लिम छात्रा ने अपने प्रोफेसर्स पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसे उसके मजहब के आधार पर प्रताड़ित किया।
यह उदाहरण यह बताने के लिए पर्याप्त है कि हिन्दूफोबिया व्याप्त है और पर्याप्त है।
इस कॉलेज की एक कम्प्यूटर साइंस की शोधार्थी महा हसन अलाश्वी ने अपने तीन हिन्दू प्रोफेसर्स पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसके साथ इसलिए अन्याय किया है क्योंकि महा हसन मुस्लिम हैं और वह तीनों प्रोफ़ेसर हिन्दू हैं, और उसे लगता है कि हिन्दू मुस्लिमों से चिढ़ते हैं, उनसे घृणा करते हैं, इसलिए उन्होंने उसे निशाना बनाया।
उसने इन दावों के साथ यह भी दावा किया था कि उसके शोध सलाहकार डॉ अल्बर्टो क्वात्रिनी ली उसके ऑफिस में बिना अनुमति के आए थे और उसकी उपस्थिति में ही उन्होंने अपने प्राइवेट पार्ट्स को छुआ था। हालांकि प्रोफ़ेसर ने इससे इंकार किया और कहा कि इस घटना के समय वह कांफ्रेंस के लिए मकाऊ, चीन और वाशिंगटन में थे।
उसके बाद महा हसन ने अपने कोर्स के सम्बन्ध में प्रोफ़ेसर प्रसाद जयंती से अनुमति माँगी। परन्तु सेमेस्टर बीत जाने के कारण, प्रोफ़ेसर जयंती ने कहा कि कोर्स की फाइनल परीक्षा को देखना होगा। उसके प्रदर्शन के आधार पर प्रोफ़ेसर जयंती ने महा हसन को सलाह दी कि उसे ग्रेजुएट कोर्स में प्रयास करने से पहले क्रेडिट के लिए सीएस31 करना चाहिए।
परन्तु महा हसन ने यह कहा कि वह उसे इसलिए रोक रहे हैं, क्योंकि उसने उनके पूर्व सहकर्मी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। इतना ही नहीं महा ने यह कहा कि उसके खिलाफ यह कार्यवाही इसलिए की जा रही है क्योंकि वह एक मुस्लिम है। और महा ने प्रसाद जयंती को ही नहीं बल्कि दो और कम्प्यूटर साइंस के प्रोफेसर्स अमित चक्रबर्ती और दीपर्नाब चक्रबर्ती के खिलाफ भी शिकायत कर दी।
9 जून को 2020 को इसने प्रोफ़ेसर जयंती के खिलाफ “सत्ता के दुरूपयोग” का आरोप लगाते हुए पोस्ट लिखी कि प्रोफ़ेसर जयंती ने अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करके उसे फेल किया है। हालांकि कॉलेज जांच कराने पर पाया कि प्रोफ़ेसर ने किसी भी नियम का कोई उल्लंघन नहीं किया है और न ही डार्टमाउथ की किसी नीति का कहीं उल्लंघन किया है।
परन्तु महा हसन ने यह आरोप लगाते हुए कि जांच निष्पक्ष नहीं हुई थी, दूसरी जाँच के लिए भूख हड़ताल चालू कर दी। जन दबाव से डरकर डार्टमाउथ कॉलेज के रजिस्टर और ग्वारिनी स्कूल ऑफ ग्रेजुएट एंड एडवांस्ड स्टडीज, के असिस्टेंट डीन ने महा के दावों की जाँच के लिए बाहरी जाँच का प्रस्ताव दिया।
तो फिर महा के आरोप क्या थे?
महा ने शिकायत में लिखा था कि उसका विश्वास है कि हिन्दुओं को मुसलमानों को प्रताड़ित देखना अच्छा लगता है, और फिर उसने कहा कि उसे लगता है कि हिन्दू फैकल्टी सदस्य उसे गाली दे रहे थे।
पाठक ध्यान दें कि हिन्दू प्रोफेसर्स को उसने केवल इस बात पर कोसा है कि “उसे लगता है, या उसका विश्वास है” कोई ठोस कारण या तथ्य नहीं दिए गए हैं। और उसने कहा कि उसने भारत के किसी व्यक्ति से सुना है कि प्रोफ़ेसर जयंती का सम्बन्ध “हिन्दू वादी संगठन- आरएसएस” से है!
यहाँ भी उसने सुना है, उसके पास कोई प्रमाण नहीं है। और उसने कहा कि प्रोफ़ेसर जयंती ने विद्यार्थी को निर्देश दिया कि वह हसन से बात करके उसके मजहब के बारे में पूछताछ करें।
इतना ही नहीं महा हसन ने प्रोफ़ेसर जयंती की बेटी को भी इसमें घसीटा। महा हसन का समर्थन करने वाले लोगों ने प्रोफ़ेसर जयंती के बहाने हिंदुत्व और हिन्दुओं को कोसा, गालियाँ दीं। प्रोफ़ेसर जयंती को धमकियां भी मिलीं, जो उन्होंने पुलिस के साथ साझा की।
हालांकि महा हसन ने अपने दावों के साथ कोई भी प्रमाण प्रस्तुत नहीं किया। न ही वह अपने भारतीय स्रोत का नाम बता पाईं और न ही वह यह बता पाई कि प्रोफ़ेसर जयंती आरएसएस से जुड़े हैं।
यह पूरी घटना अत्यंत हैरान करने वाली है क्योंकि बिना किसी प्रमाण के केवल एक मुस्लिम द्वारा यह आरोप लगाए जाने पर कि उसके प्रोफ़ेसर हिन्दू हैं, इसलिए उसके साथ यह हो रहा है, हिन्दुओं को कोसना और धमकियां मिलनी शुरू हो जाएंगी।
और जांच ने यह बताया कि प्रोफ़ेसर जयन्ती एवं अन्य प्रोफेसर्स ने कुछ नहीं किया है और उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार और झूठे हैं। जुलाई में इन रिपोर्ट्स के परिणामों को कॉलेज की वेबसाईट पर प्रदर्शित कर दिया गया था और वह फाइनल हैं और मामला अब बंद हो गया है।
परन्तु हिन्दुओं के साथ घृणा का यह मामला बंद होने का नाम नहीं लेगा। दोनों ही प्रोफेसर्स के कैरियर पर केवल इसलिए दाग लगाया जाए क्योंकि वह हिन्दू हैं? जबकि उनके विषय में यूजर्स ने लिखा है:
कि दोनों ही प्रोफेसर्स असाधारण हैं।
हिन्दुओं की मेधा का प्रमाण आज पूरे विश्व में पसरा है, आज से ही नहीं बल्कि पहले भी हिन्दुओं के ज्ञान से अब्राह्मिक जलते थे और इसलिए जला देते थे हिन्दुओं की मेधा के प्रतीक मंदिर, जो ज्ञान के केंद्र थे। आज जब वह मंदिर नहीं जला पाते हैं, तो वह ज्ञान के उन दीपों को मद्धम करने के लिए हर चाल चल रहे हैं, जो आज भी अपनी मेधा और प्रखरता से जल रहे हैं और पूरे विश्व को प्रकाशवान कर रहे हैं।
अभी अक्टूबर को कई अमेरिकी राज्यों में हिन्दू हेरिटेज मंथ के रूप में मनाया जा रहा है, जिनमें टेक्सस, फ्लोरिडा, न्यू जर्सी, ओहियो आदि सम्मिलित हैं। इसी धरोहर को कलंकित किए जाने का कुप्रयास किया जा रहा है।
और इसी को लेकर सुहाग ए शुक्ला, जो हिन्दू अमेरिकन फाउंडेशन की एग्ज़ेक्युटिव डायरेक्टर हैं, ने ट्वीट किया कि कोई भी हिन्दू कहीं भी इस प्रकार निशाना बन सकता है, और उस पर हिंदुत्व का समर्थक होने का आरोप लगाया जा सकता है:
कितना सरल हो गया है, केवल हिन्दू कहना, आरोप लगाना, परेशान करना! अब विश्व को और हिन्दुओं को समझ आ जाना चाहिए कि हिन्दुफोबिया है और वह वास्तविक है एवं अपने सबसे भयानक रूप में अभी शायद आने वाला है!