पंजाब में पिछले कुछ महीनों से खालिस्तान समर्थक तत्वों द्वारा एक कुत्सित अभियान के तहत हिंसक घटनाएं की जा रही थी। यह सभी को ज्ञात है कि खालिस्तानी तत्वों का लम्बे समय से एक सपना था, खालिस्तानी जनमत संग्रह-2020 करवाना, लोगो से उनके विचार जानना, और फिर भारत के विरुद्ध पूरी दुनिया में आक्रामक अभियान चलाना और अपने लिए पृथक देश खालिस्तान माँगना।
यदि पिछले 2 सालों से पंजाब और देश के अन्य भागो में हुई घटनाओं को देखा जाए तो यह सहज समझ आ जाएगा कि कैसे खालिस्तानी तत्व येन केन प्रकारेण सिखों को भारत के विरुद्ध भड़का कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। ऐसा ही एक प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन है सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ), जिसका संस्थापक गुरपतवंत सिंह पन्नू अमेरिका में रहता है, और अधिकाँश समय उसका कार्य भड़काऊ वीडियो बनाना होता है। उसकी बातें मूर्खतापूर्ण होती हैं, और मांगे हास्यास्पद यद्यपि मंशा अत्यधिक खतरनाक एवं हिंसा का उपयोग अपने राजनीतिक स्वार्थ को पूरा करने में करना ही उसका काम है।
सिख्स फॉर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू ने कल पाकिस्तानी मीडिया के सामने खालिस्तान का नया नक्शा प्रस्तुत किया। इसमें शिमला को खालिस्तान देश की राजधानी बताया गया है। इतना ही नहीं पन्नू ने खालिस्तान की ‘स्वतंत्रता’ के लिए जनमत संग्रह की कराने का आह्वान भी किया है। वहीं पाकिस्तान की सरकार ने इस विषय पर पन्नू को पूर्ण समर्थन देने की घोषणा की है।
न्यूयॉर्क में रहने वाले पन्नू ने लाहौर प्रेस क्लब में एक गोष्ठी का आयोजन किया, जहां उसने ‘पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम‘ का आह्वान किया, और तथाकथित नए देश खालिस्तान का नया नक्शा भी दिखाया। उसने दावा किया है कि शिमला ही खालिस्तान की ‘भविष्य की राजधानी’ होगी। पन्नू के इस तथाकथित नक्शे में वर्ष 1966 के पहले के पंजाब के क्षेत्र हैं। इनमें राजस्थान, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, और उत्तराखंड के सिख बहुल क्षेत्रों को जोड़ा गया है।
आतंकवादी पन्नू ने पाकिस्तान पत्रकारों को बताया कि ‘पंजाब इंडिपेंडेंस रेफरेंडम‘ गणतंत्र दिवस के अवसर पर 26 जनवरी 2023 से पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में शुरू होगा। यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि भारत ऐसे किसी भी जनमत संग्रह को अवैध मानता है, और ऐसे किसी भी पृथक राज्य के अभियान को देशद्रोह मानता है। खालिस्तानी तत्वों ने इस जनमत को अनधिकृत रूप से 31 अक्टूबर 2021 को लंदन में शुरू किया था, इसके अतिरिक्त इसका आयोजन इटली और स्विट्जरलैंड में भी हो चुका है। परन्तु ऐसे आयोजनों में न ही तो लोगो ने भाग लिया, और न इनका कोई प्रभाव अंतराष्ट्रीय स्तर पर पड़ा।
इसी विफलता से बौखलाकर सिख फॉर जस्टिस और पाकिस्तान इस जनमत को कराने के लिए इतने उत्तेजित हो रहे हैं। इनका एक ही उद्देश्य है, किसी भी तरह से खालिस्तान के नाम को उभारना और सिखों को भारत से दूर करना। इसका कारण यह भी है कि अब कश्मीर पर पाकिस्तान की बात कोई नहीं सुनना चाहता।
इस खतरनाक आह्वान का समर्थन पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने किया है। उन्होंने पन्नू को राजनयिक समर्थन देने की घोषणा की है। वहीं पन्नू ने पाकिस्तान सरकार से कहा है कि ‘नए और मित्र पड़ोसी’ देश के निर्माण में उनका सहयोग करे। पन्नू के अनुसार, ‘एक बार आजाद होने के बाद खालिस्तान पाकिस्तान के साथ मिलकर दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन की जगह बदलेगा और इस क्षेत्र में जरूरी स्थिरता, शांति और समृद्धि लाएगा।’
हाल ही में जो घटनाएं पंजाब में हुई हैं, उनके आधार पर यह कहा जा सकता है कि स्थितियां तेजी से बिगड़ रही हैं, एवं खालिस्तानी तत्वों ने पंजाब में कानून व्यवस्था को बिगाड़ कर रख दिया है, साथ ही वह पडोसी राज्य हिमाचल प्रदेश में भी गतिविधियां तेज कर रहे हैं, जिसके कारण भविष्य में हिंसा वहां पर भी देखी जा सकती हिया। समय रहते इन तत्वों पर रोक लगानी महत्वपूर्ण है, विदेशी भूमि पर अंतर्राष्ट्रीय रणनीति द्वारा तो वहीं भारत में जो तत्व खालिस्तान की स्वतंत्रता की बात करते हैं, उन पर कड़ी कार्यवाही होना बहुत महत्वपूर्ण है। अब इस विषय में हल्की सी भी देरी खतरनाक हो सकती है।