जनवरी 2022 में लावण्या ने तमिलनाडु में यह कहते हुए आत्महत्या कर ली थी कि वह धर्मांतरण को लेकर अत्याचार नहीं सहन कर पा रही है और जीवन समाप्त कर रही है। चूंकि उसने अपनी मृत्यु से पहले यह वक्तव्य दिया था, इसलिए यह सच्चाई दुनिया के सामने आई, पूरे भारत के सामने आई कि ऐसा भी कुछ अभी तक हो रहा है, यह कोई अंग्रेजों के जमाने की बात नहीं है कि जब शिक्षा के बदले ईसाई बनना होता था, बल्कि यह तो अभी तक चल रहा है।
हाल ही में इससे मिलती जुलती घटना सामने आई है जिसमें तमिलनाडु में एक सरकारी सहायता प्राप्त ईसाई संस्थान में एक हिंदू लड़की ने अपनी जान ले ली है। एक निजी बोर्डिंग स्कूल में सतरह साल की एक लड़की की कथित तौर पर आत्महत्या से मौत का मामला सामने आने से प्रदेश में हड़कंप मचा ही हुआ था कि एक और लड़की ने चर्च संचालित स्कूल में फांसी लगा ली। जबकि स्कूल का दावा तो है कि यह आत्महत्या का मामला है परंतु मृतक छात्रा के माता पिता ने गड़बड़ी का आरोप लगाया है।
सत्रह वर्षीय हिंदू लड़की,सरला, तिरुवल्लूर के कीलाकुरिची में सैक्रेड हार्ट गर्ल्स हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ रही थी। स्कूल सरकारी सहायता प्राप्त है और इसमें बोर्डिंग की सुविधा भी है। दूरदराज के छात्र स्कूल में रह रहे हैं और पढ़ रहे हैं, और सरला उसी जिले के तिरुत्तानी के एक गांव से है।
25 जुलाई को हमेशा की तरह सरला जल्दी उठ गई और स्कूल जाने के लिए तैयार हो गई। उसने कथित तौर पर अपने दोस्तों से कहा कि उसे स्कूल जाने में देर हो जाएगी और नाश्ता करने के बाद वह हॉस्टल के कमरे में चली गई। लेकिन जब वह स्कूल नहीं आई तो उसके दोस्तों ने वहाँ के कर्मचारियों को सूचना दी। जब छात्रावास के अधिकारी उसको ढूंढने गए तो वह अपने कमरे में लटकी पाई गई। स्कूल में पाँच सौ लड़कियों के पढ़ने का अनुमान है।
सरला के अभिभावक इस बात को मानने के लिए तैयार ही नहीं हैं कि उनकी पुत्री आत्महत्या भी कर सकती है। परन्तु जो सत्य है वह सत्य है और सत्य यही है कि उनकी बेटी की जीवन लीला समाप्त हो चुकी है। क्या यह सत्य कभी सामने आ पाएगा? संदेह ही है।
शिक्षा के क्षेत्र में यही दो मामले नहीं हैं, जिन्हें लेकर चिंता करनी चाहिए, बल्कि वहां पर बच्चों को जनेऊ को लेकर भी अपमानित किया जा रहा है!
26 जुलाई 2022 को एक वीडियो आता है जिसमें यह दिखाया जा रहा है कि वहां के सरकारी स्कूल के विद्यार्थी एक शिक्षक के विरुद्ध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसने उन्हें भभूत (विभूति) लगाने और पवित्र धागे पहनने को लेकर धमकी दी है। चूंकि अभी तक आरोपी शिक्षक पर कोई कदम नहीं उठाया गया है तो विद्यार्थियों ने स्कूल के सामने विरोध प्रदर्शन किया।
तिरुपुर में चिन्नास्वामी अम्मल बॉयज हाइयर सेकंडरी स्कूल में कुछ अध्यापकों द्वारा छात्रों से कथित रूप से कहा गया कि वह स्कूल में न ही पवित्र धागा अर्थात कलावा पहन सकते हैं और न ही विभूति धारण कर सकते हैं। उन्होंने यह भी शिकायत की कि सहायक प्रधानाध्यापक और अन्य अध्यापकों ने उन्हें गाली दी तथा विद्यार्थियों से कहा कि वह कलावा और विभूति न लगाकर आएं।
इस पर विद्यार्थियों ने अपना असंतोष इन अध्यापकों के विरुद्ध दर्ज कराया। परन्तु विद्यार्थियों की शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया गया और अगले ही दिन फिर से एएचएम ने विद्यार्थियों को कलावा और विभूति को लेकर धमकाया। इसका विरोध करते हुए विद्यार्थियों ने कक्षा का बहिष्कार किया और प्रदर्शन किया।
पुलिस अधिकारियों और शिक्षा विभाग ने उन्हें आश्वासन दिया कि अध्यापकों पर कदम उठाए जाएंगे और उन्हें कक्षा में वापस जाने के लिए कहा।
दरअसल, सामाजिक कल्याण विभाग द्वारा कुछ सप्ताह पूर्व ही विद्यालयों के लिए एक सर्कुलर जारी हुआ है जिसके अनुसार सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए आभूषण पहनने पर प्रतिबन्ध लगाया गया है। इसी में एक कदम आगे बढकर शायद तिरुपुर में अध्यापकों ने विभूति अर्थात भभूत को भी प्रतिबंधित कर दिया है।
पहले भी भभूत को लेकर विद्यार्थियों को अपमानित करने की घटनाएं होती रही हैं, जैसे वर्ष 2021 में ही एक हिन्दू लड़की को सरकारी सहायता प्राप्त एक ईसाई स्कूल में विभूति हटाने के लिए कहा गया था और जब उसने ऐसा नहीं किया था तो उसे कक्षा में अपमानित किया गया था।
इसी तरह की एक अन्य घटना में एक अन्य सरकारी वित्त पोषित ईसाई स्कूल के छात्रों को विभूति पहनने के लिए मिसफिट और उपद्रवी कहा गया था और पीटा गया था।
मूल लेख: https://hindupost.in/news/hindu-girl-hangs-self-in-christian-school-in-tn/, https://hindupost.in/dharma-religion/who-is-he-to-ban-vibhuti-students-protest-against-teacher-in-tn/
अनुवाद: रागिनी विवेक अग्रवाल