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Sunday, December 8, 2024

सोनी टीवी क्राइम पेट्रोल ने किया खेल: श्रद्धा और आफताब की कहानी को बनाया ईसाई ऐना और मिहिर की कहानी

श्रद्धा और आफताब की कहानी अभी लोगों के दिलों में ताजा है और साथ ही यह भी कि कैसे आफताब ने श्रद्धा की हत्या करके उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए थे। उसने खुद ही यह बताया था कि कैसे उसे अपने किए का कोई अफ़सोस नहीं है क्योंकि उसे जन्नत में हूरें मिलेंगी!

मगर जब इस सच्ची कहानी को परदे पर डालने की बात आई तो सोनी टीवी ने खेल करते हुए आफताब के सारे कारनामे किसी मिहिर पर थोप दिए। आफताब की सारी हरकतें मिहिर पर डाल दीं! आफताब और श्रद्धा के लिव इन में रहने को मिहिर और एना की मंदिर में शादी के रूप में दिखाया गया। जहां एक और श्रद्धा के पिता ने कहा था कि उन्हें आफताब के अभिभावकों ने किस तरह भगाया था, और किस तरह आफताब के घर वालों को अपने बेटे की हर हरकत पता थी कि कैसे वह श्रद्धा को मारता था, तो वहीं सोनी टीवी के क्राइम पेट्रोल में मिहिर की माँ को मंदिर जाने वाला दिखा दिया गया और मंदिर का धागा देते हुए दिखाया।

आफताब की क्रूरता को और मजहबी क्रूरता को एक ऐसी घटना में बदल दिया गया जिससे लड़कियां उसी मजहबी हिंसा का शिकार बनेंगी। क्योंकि इसमें अपराधी मजहबी आफताब नहीं बल्कि मिहिर है। आफताब ने श्रद्धा को दिल्ली आकर मार डाला था। और बहुत आराम से वह चुपचाप उसके शव को टुकड़े टुकड़े करके फेंकता रहा था।

इस इतने जघन्य हत्या काण्ड, जिसमें मजहबी कट्टर सोच का बहुत बड़ा हाथ था, उसे पूरी तरह से हिन्दू ही नहीं ठहराया है, बल्कि उसे हिन्दुओं द्वारा कथित अल्पसंख्यक पर अत्याचार के रूप में दिखाया है कि एक धर्म के रूप में हिन्दू कितना कट्टर है।

आफताब की मजहबी कट्टर सोच को हिन्दुओं के सिर पर थोपकर सोनी टीवी ने न जाने कितनी लड़कियों की मृत्यु पर अट्टाहास किया है, विकृत अट्टाहास किया है। न जाने कितनी लड़कियों की पीड़ाएं इस विकृत विमर्श की बलि चढ़ गयी हैं।

कल्पना ही नहीं की जा सकती है कि हिन्दुओं के साथ इस हद तक छल किया जा सकता है! यह छल ही है और यह छल बहुत बड़ा छल है। यह छल इसलिए बहुत बड़ा छल है कि इससे उसी धर्म की क्रूर छवि प्रस्तुत की जा रही है जिसकी लड़कियां दरअसल सबसे अधिक मारी जा रही हैं। जिसकी लड़कियां झारखंड से लेकर दिल्ली तक मारी जा रही हैं। और यह भी नहीं कि आज से लड़कियां शिकार हो रही हैं, बल्कि यह कई वर्षों से हो रहा है।

हर स्तर पर हो रहा है! परन्तु पिछले कुछ वर्षों में यह बहुत तेजी से हुआ है और बहुत अधिक हुआ है। जब क्राइम पेट्रोल पर आफताब को मिहिर बनाकर उसके कट्टर मजहबी अपराध को हिन्दुओं पर थोपा जा रहा था, उसी समय नॉएडा में एक जिम में इंतज़ार ने हिन्दू नाम सोनू रखकर एक हिन्दू महिला को शादी का झांसा देकर फंसाया था।

अब इंतजार और उसका भाई और अब्बा दोनों ही बिसरख पुलिस थाने द्वारा हिरासत में लिए जा चुके है

जब इस घिनौने अपराध को लेकर उसी हिन्दू धर्म को बदनाम किया जा रहा था, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी अपनी स्त्रियों को दिनों दिन खो रहा है, उसी समय बांग्लादेश में लावण्या राजबंसी जो कि मात्र बीस वर्ष की थीं, उन्हें उनके शौहर साजू मिया ने मार डाला था।

बांग्लादेश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने यह रिपोर्ट की है लावण्या राजबंशी जिसका अपहरण कर लिया गया था और फिर जिसका जबरन मजहबीकरण कर लिया गया था, उसकी हत्या भी कर दी गयी। उसकी हत्या उसकी शादी के तीसरे दिन हो गयी।

मगर यह सब हत्याएं भी धीरे धीरे जब परदे पर आएंगी तो उसमें भी वही होगा कि हिन्दू युवक किसी कथित अल्पसंख्यक लड़की को मारता हुआ दिखाई देगा!

श्रद्धा वॉकर जिसे आफताब ने मारा, इसमें केवल घरेलू हिंसा शामिल नहीं थी, बल्कि उसमें काफिर और जन्नत की हूर वाली अवधारणा भी थी, उसे ऐना डिसूजा बनाकर मिहिर के हाथों मरवाकर उन हिन्दुओं को बदनाम किया गया है, जिनके विरुद्ध इस समय लगभग सारे ही विमर्श हैं।

सोनी टीवी ने जो किया है, उसे ही हिन्दूफोबिया कहते हैं। यही हिन्दू फोबिया अर्थात हिन्दुओं के प्रति घृणा है कि जहां पर हिन्दू पीड़ित है, जहाँ पर हिन्दू शोषण और उत्पीडन का शिकार है और जिस विषय को लेकर हिन्दू लड़कियां मारी जा रही हैं, वहां पर हिन्दुओं को ही उत्पीड़क घोषित कर दिया जाए!

इसे ही कल्चरल जीनोसाइड कहा जाता है और इसे ही छवियों का अतिक्रमण कहा जाता है, जहां पर सदियों से पीड़ित समाज को ही ऐसा उत्पीड़क घोषित कर दिया जाए कि उसकी लड़कियां अपने ही समाज से कटकर वहां पहुँच जाएं जहां पर उनकी देह के शिकारी बैठे हुए हैं!

वह उनकी देह के ही शिकारी नहीं हैं, बल्कि वह उनकी धार्मिक पहचान के भी शिकारी हैं। परन्तु हमारा जो टीवी का संसार है, टीवी का जो विमर्श है वह पूरी तरह से हिन्दू लड़कियों को उस संसार में लेकर जाता है, जहाँ पर उनकी धार्मिक पहचान से घृणा ही उत्पन्न होती है और कुछ नहीं और फिर उस घृणा के चलते ही वह किसी शिजान, किसी आफताब का शिकार होती हैं और फिर जब आफताब और शिजान द्वारा उन पर किए गए अत्याचारों का फिल्मांकन होता है तो वह फिर किसी मिहिर के माध्यम से होता है और फिर वह उसी जाल में फंस जाती हैं, जहां कोई आफताब उनके शिकार के लिए तैयार होता है!

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