हिन्दुओं के विरुद्ध जहर उगलने वाली राना अयूब, जिसकी किताब गुजरात फाइल्स को उच्चतम न्यायालय ने ही प्रमाणिक मानने से इंकार कर दिया था और वही राना अयूब जिन्होनें अपने दोस्त दानिश सिद्दीकी की तालिबान द्वारा की गयी हत्या को मौत बता दिया था और कहीं भी तालिबान को नहीं उसकी हत्या के लिए दोषी नहीं ठहराया था, उन्होंने अब यमन में आतंकियों के दमन को लेकर सऊदी अरब पर निशाना साधा और लिखा कि
“यमन लहू लुहान है और कोई भी ऐसा नहीं है जो खून के प्यासे सऊदियों को रोक सके। यही वह लोग हैं, जो इस्लाम का ठेकेदार कहते हैं खुद को। एक मुस्लिम के रूप में मैं इस बात से शर्मिंदा हूँ कि यह शैतान लोग पवित्र मस्जिद के रक्षक हैं। दुनिया इस नरसंहार के प्रति शांत नहीं सकती।”
इस बात को लेकर राना अयूब को सऊदी अरब के नागरिक आईना दिखा रहे हैं और यह भी कह रहे हैं कि एक मतांतरित मुस्लिम अब अरब के मुस्लिमों को शिक्षा देगी। एक यूजर ने लिखा कि हम तुम्हें कोई पैसा नहीं देंगे, अब हिन्दू हो जाओ
एक यूजर ने लिखा कि हम तुम्हारे जैसे फेक लोगों से खूब मिलते हैं
एक यूजर ने राना अयूब के उन मामलों का उल्लेख किया, जिसमें राना पर आरोप लगा था कि उन्होंने पैसे तो दान के रूप में लिए, पर उन पैसों को उन कारणों के लिए प्रयोग नहीं किया, जिनके लिए उन्हें लिया था।
वही एक यूजर ने लिखा कि 80% से अधिक यमन हमारे साथ है। यमन की सेना हमारे साथ है और हम होती आतंकवादियों के खिलाफ एक साथ हैं। यह सभी यमन के नागरिक गलत हैं और राना ठीक है, और उसने इसलिए भी कमेन्ट सेक्शन बंद कर दिया है, क्योंकि उसे पता चल गया है कि यमन के नागरिक उस पर हमला करेंगे
एक यूजर ने लिखा कि राना अयूब जैसे लोग ही सबसे बड़े अपराधी हैं। मानवतावादी आवाजों की आड़ में वह लगातार होती, हमास और मुस्लिम ब्रदरहुड से जुड़े समूहों का समर्थन करते हैं। मिस राना यह भूल गयी हैं कि पिछले ही सप्ताह उनके अपने ही देश के दो मासूम नागरिकों (उनके अपने देशवासी) को होती आतंकवादियों ने मारा है। शर्म है उन पर!
उन्होंने लिखा कि वह होती द्वारा किये गए अत्याचारों और युद्ध अपराधों को अनदेखा करती है और यह सफ़ेद लेबल वाले इस्लामिस्ट आतंकवादियों से अधिक खतरनाक है! शर्मनाक
एक बात जो देखने लायक है कि राना अयूब पर सऊदी नागरिकों की ओर से हमला हुआ, उसमें बार बर यही कहा गया था कि राना मतांतरित होकर मुस्लिम बनी हैं और हिन्दू से मुस्लिम बनी हैं। अर्थात एक हिकारत की भावना थी राना के प्रति और वह राना को मुसलमान मानते ही नहीं हैं। एक यूजर ने लिखा कि
एक मुस्लिम और सऊदी के रूप में मुझे परवाह नहीं है कि तुम मेरी जमीन और पाक जगहों के बारे में क्या सोचती हो। और मुझे अपने देश की रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
अब तुम दोबारा हिन्दू बन सकती हो
और एक बड़ा वर्ग ऐसा था, जिसने राना को झूठा कहा। ऐसे ही एक यूजर ने कहा कि यह झूठ का बहुत बड़ा उदाहरण है। पूरी दुनिया जानती है और पूरी दुनिया आतंकवादियों की निंदा करती है, बस यही औरत नहीं करती है। यह बेवकूफी नहीं है बल्कि यह आतंकवादियों के लिए समर्थन है, झूठ क्यों फैलाना?
एक यूजर ने लिखा कि राना के शब्द झूठ हैं। सऊदी अरब यमन के राष्ट्रपति के अनुरोध पर होती आतंकवादियों के खिलाफ अरब गठबंधन का नेतृत्व कर रहा है। सऊदी दो पवित्र मस्जिदों की सेवा कर रहा है और उनके देश की रक्षा कर रहा है।
लोगों ने राना को आतंकवादियों का समर्थक भी बताया और इस बात पर हैरानी व्यक्त की कि कैसे कोई व्यक्ति आतंकवादियों का समर्थन कर सकता है।
इमाम ऑफ पीस ने प्रश्न किया कि आप ऐसी भारतीय महिला को क्या कहेंगे जो एक मानवाधिकार कार्यकर्ता होने का दावा करती है परन्तु वह उन होती आतंकवादियों का साथ देती है, जिन्होनें यूएई में 2 मासूम भारतीय श्रमिकों की हत्या की है।
इमाम ऑफ पीस ने राना की तुलना सांप से की परन्तु बाद में कहा कि उन्होंने सांप की गलत तुलना कर दी क्योंकि कम से कम सांप जहाँ रहता है, वहां के प्रति तो वफादार रहता है।
सऊदी राना अयूब को एक मुस्लिम ब्रदर हुड का जासूस और आतंकियों का समर्थक कह रहे हैं। यह अपने आप राना अयूब के लिए बहुत ही शर्मनाक होना चाहिए क्योंकि वह लगातार अपने ही देश के खिलाफ एक प्रोपोगंडा चला रही थीं, तो भी यह कहा जा सकता था कि कम से कम वह अपनी कौम के लिए आवाज उठा रही हैं, जबकि सच्चाई यही है कि वह केवल और केवल आतंकवादियों के लिए आवाज उठा रही थीं, उन्होंने कभी भी मुस्लिमों के अधिकारों के लिए आवाज नहीं उठाई क्योंकि उनकी दृष्टि में उनके ही अपने वह भाई बहन मुस्लिम नहीं थे जो नीचे तबके के थे। अर्थात पसमांदा मुस्लिमों के लिए उन्होंने आवाज नहीं उठाई थी।
उन्होंने जिस तरीके से पसमांदा मुस्लिमों को नीचा समझा और अपने गुरुर में हिन्दू घृणा से भरकर एजेंडा चलाया, और केवल उन्हीं मामलों पर शोर मचाया जिनमें हिन्दुओ के प्रति असीम घृणा थी। यह जानते हुए भी कि नागरिकता क़ानून के बाद हुए दंगों में हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही मारे गए थे और यह भी कि उनमें कहीं भी सेक्सुअल असॉल्ट की कोई घटना सामने नहीं आई थी, फिर भी झूठ फैलाते हुए सीएनएन को इंटरव्यू दिया था, जिस पर पत्रकारों ने ही उन्हें झूठा बता दिया था।
इतना ही नहीं समय समय कर हिन्दुओं और भारत के प्रति घृणा से भरी राना अयूब के झूठ का पर्दाफाश कई लोगों ने किया है। कश्मीर में धारा 370 के हटने के बाद इन पत्रकारों ने भारत के प्रति घृणा फैलाने के लिए बहुत दुराग्रह पूर्ण समाचार फैलाए थे। इसी क्रम में राना अयूब का ट्वीट था कि
उसी का उत्तर देते हुए सीआरपीएफ के अधिकारी कश्यप कदगुत्तर ने ट्वीट किया था कि यह काल्पनिक है, झूठ है। आप केवल भारत विरोधी पश्चिमी एजेंडे और प्रोपोगंडा पर ही विश्वास करेंगी क्योंकि यही आपके एजेंडे को सूट करता है। किसी को भी प्रताड़ित नहीं किया गया है और भारत सरकार और सेना पर आप विश्वास नहीं करेंगी
भारत से लेकर सऊदी और यमन तक राना के झूठ पर थू थू हो रही है, परन्तु राना ने इसके लिए हिन्दुओं को ही दोषी ठहराना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सऊदी ट्रोल्स के साथ भारत में मोदी समर्थक खुश हो रहे हैं
राना अयूब चूंकि सऊदियों को कुछ नहीं कह सकती हैं, तो इसलिए वह मोदी जी पर दोबारा आ गयी हैं, जबकि वह मोदी और मोदी भक्तों को इस्लामोफोबिया से भरा हुआ बताती हैं। तो क्या यह मान लिया जाए कि प्रधानमंत्री मोदी के समर्थक इस्लामोफोबिक नहीं हैं। जबकि उनके ही मुस्लिम समुदाय के लोग उनसे कह रहे हैं कि वह सच्ची मुसलमान नहीं हैं क्योंकि उन्होंने अपना सिर नहीं ढाका है जैसा लाखों मुस्लिम महिलाऐं करती हैं
राना अयूब उन लोगों से भी अपनी आलोचना नहीं सुन सकती हैं, जो हिन्दू घृणा फैलाने में उनका समर्थन करते हैं जैसे शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी। जब प्रियंका चतुर्वेदी ने इस पर हैरानी व्यक्त की कि कैसे कोई उन आतंकवादियों का समर्थन कर सकता है जिन्होनें दो भारतीयों को मारा है, और नरेंद्र मोदी को कोसने वाली पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने उसे रिट्वीट भी किया तो राना अयूब ने प्रियंका चतुर्वेदी को भी घेर लिया और कहा कि उन्हें इस मामले में पढ़कर ही कुछ लिखना चाहिए।
इस पर प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा कि वह भारत की सांसद हैं आतंकियों की नहीं और उन्हें उनके बच्चों को बीच में लाने से बचना चाहिए
जब राना अयूब ने कहा कि वह अपने मित्र जमाल खाशोगी के सऊदी सरकार के हाथों मारे जाने पर गुस्से में और दुःख में हैं, तो लोगों ने प्रश्न किये कि क्या उन्होंने यही शोर अपने दोस्त दानिश सिद्दीकी के तालिबान के हाथों मरने पर मचाया था। जैसा हमने पहले भी कहा है कि उन्होंने इसे सामान्य मौत करार दिया था और तालिबान को कुछ नहीं कहा था।

परन्तु मजे की बात यही है कि वह जिस दोस्त की बात कर रही हैं उसकी मृत्यु तो लगभग तीन साल पहले हो चुकी है। तो तीन साल पहले हुई मौत पर आज शोर मचाना और इस हद तक मचाना, कि सऊदी सरकार को घेर लेना, कहीं न कहीं संदेह उत्पन्न करता है।
परन्तु जमाल खगोशी की मौत तो तुर्की में हुई थी, तो इस मामले में तुर्की की सरकार से प्रश्न पूछे जाने चाहिए। और जमाल खगोशी जिसकी मौत पर आज तीन साल बाद राना आंसू बहा रही हैं, वह दुनिया भर में सबसे खूंखार आतंकी ओसामा बिन लादेन का बहुत अच्छा दोस्त था और वह उसकी मौत पर रोया भी था और वैचारिक रूप से ओसामा के करीब मानता था।

मीडिया के अनुसार वह सऊदी प्रिंस को इस बात के लिए भी कोसते थे कि आखिर वह मुस्लिम ब्रदरहुड को इस्लाम का दुश्मन क्यों मानते हैं!
यह एक बार फिर से राना के इरादे को दिखाता है कि वह भारत में आतंकी संगठनों से लेकर वैश्विक इस्लामिक कट्टर संगठनों का समर्थन करती हैं और उनके लिए पत्रकार भी जमाल खगोशी जैसे लोग हैं, जो ओसामा के दोस्त रहे हैं।