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Saturday, April 27, 2024

विभाजनकारी वामपंथी राजनीति करती राहुल गांधी की कांग्रेस

संसद में राहुल गांधी ने बजट सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कुछ ऐसा कहा है, जिसके कारण वामपंथी गदगद हैं और इतना ही नहीं, एक बार फिर से राहुल गांधी की लॉन्चिंग की फिर से सुगबुगाहट होने लगी हैं। उन्होंने इस बार ऐसा क्या कह दिया है कि देश तोड़क विचार संतुष्ट हैं। दरअसल राहुल गांधी अब पूरी तरह से उसी विचारधारा पर चल पड़े हैं, उन्होंने कल कहा कि

उन्होंने कहा कि भारत राज्यों का संघ है। यह एक सहभागिता है, राज्य नहीं। आप भारत के राज्यों पर शासन करने में सक्षम नहीं होंगे। यह पिछले 3000 वर्षों में नहीं हुआ है। तमिलनाडु के नागरिकों को तमिल भाषा का विचार है और साथ ही भारत का विचार है। उन्होंने कहा कि केरल के लोगों की संस्कृति और राजस्थान की संस्कृति अलग है और उनकी अपनी एक अलग जीवनशैली है।

और फिर कहा कि एक खास संगठन ने भारत के सभी संस्थानों पर अधिकार जमा लिया है। न्यायपालिका और निर्वाचन आयोग अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को नष्ट करने में सहायक हैं। जब आप उन सभी साम्राज्यों पर नजर डालेंगे जिन्होंने भारत पर शासन किया, तो आप पाएंगे कि वह सभी राज्यों का संघ थे।

इसके साथ ही राहुल गांधी ने विदेश नीति पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि भारत की विदेश नीति का उद्देश्य था कि वह पाकिस्तान और चीन को एक साथ न आने दें, यह सबसे बड़ा अपराध है, जो आपने भारत के लोगों के खिलाफ किये हैं।

परन्तु इसका विरोध पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने ही किया है। उन्होंने कहा है कि राहुल गांधी को यह याद रखना चाहिए कि चीन और पाकिस्तान 1960 के दशक के समय से ही साथ हैं। यह उनके नाना के समय से ही आरम्भ हुआ था, जो कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र लेकर गए थे।

उन्होंने कहा कि “अब हम अकेले हो गए हैं। हमारे सभी पड़ोसियों के साथ हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं। और जो विदेशमंत्री हैं, उनके पास विदेश नीति मुद्दों पर बहुत लंबा अनुभव है।”

इतना ही नहीं जब राहुल गांधी संसद में पाकिस्तान और चीन के विषय में झूठ बोल रहे थे, शायद उन्हें यह नहीं पता होगा कि यह अंतर्राष्ट्रीय मामला है और इसका परिणाम क्या होगा। आज अमेरिकी सरकार के प्रवक्ता से प्रेस कांफ्रेंस में किसी ने पूछ लिया कि कांग्रेस के राहुल गांधी ने चीन और पाकिस्तान के विषय में नज़दीकी की बात की है, तो इस विषय में उनके क्या विचार हैं। इस पर नेड प्राइस का कहना था कि उन्हें इस विषय में कुछ नहीं कहना है, वह पाकिस्तान और चीन के सम्बन्धों को उन्हीं दोनों पर छोड़ते हैं और मैं इस वक्तव्य का समर्थन नहीं करता

दरअसल राहुल गांधी उस अकादमिक वामपंथी विमर्श को पढ़ रहे थे, जो अकादमिक वामपंथी इतने वर्षों से स्थापित करना चाह रहे थे। वह आरम्भ से ही एक देश के रूप में भारत को नकारते रहे हैं। वह कभी भी भारत की एक पहचान को नहीं मानते हैं। वह भारत की उस परिभाषा पर ही टिके हैं, जो अंग्रेजों ने दी है, परन्तु वह भारत की उस आत्मा को नहीं देखते हैं, जो राम और कृष्ण में बसी है। जब वह आइडिया ऑफ इंडिया की बात करते हैं, उस समय वह कौन से भारत की बात करते हैं, यह उन्हें समझ नहीं आ रहा है।

अकादमिक वामपंथी अपने अकादमिक विमर्श में राम और कृष्ण की पहचान वाले भारत को नकारते हुए न जाने कौन से भारत की बात करते हुए आए हैं। यही सब कुछ कल राहुल गांधी के भाषण में था। उन्होंने उस भारत बोध को मारने का हमेशा प्रयास किया है, जो वन्देमातरम में निहित है। कल का भाषण पूरी तरह से उस अवधारणा से ग्रसित भाषण था, जिसे बार बार भारत ने नकारा है।

राहुल गांधी के इस भाषण के बहाने से एक बार फिर से राष्ट्र और देश पर बहस तेज होगी। अब कांग्रेसियों से बार बार प्रश्न पूछे ही जाएंगे, कि यदि राहुल गांधी की दृष्टि में भारत राज्यों का संघ है, तो जब उनकी दादी ने संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़ा, तो उसमें भी राष्ट्र क्यों कहा? संभवतया उन्हें भी यह नहीं पता होगा, क्योंकि यह भाषण पूरी तरह से भारत की एकता के विरोध में रचा गया भाषण था।

जब वह कहते हैं कि भारत एक राष्ट्र नहीं है, तो वह सबसे बड़ा झूठ बोलते हैं। क्योंकि भारत सदा से ही राष्ट्र था। एक राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान कहाँ से कहाँ तक थी, यह भारत के ग्रंथों में बार बार परिलक्षित होती है। परन्तु राहुल गांधी के भाषण का भारत या तो 1947 से या फिर अंग्रेजों के आगमन से या फिर उससे पहले मुगलों से आरम्भ होता है।

देश, राज्य और राष्ट्र के बीच भ्रमित हैं राहुल गांधी  

राहुल गांधी का भाषण पूरी तरह से उसी वामपंथी विचारधारा का लिखा गया प्रतीत होगा है जिसकी दृष्टि में भारत कुछ राज्यों का संघ है। आइये जानते हैं कि देश और राष्ट्र क्या होते हैं और संघ क्या होता है!

देश का अर्थ है वह भूभाग, जहां पर एक संघीय ढांचा हो, जहां एक एक निर्वाचित सरकार हो, और जहां एक नियत भूभाग हो, जो कि भारत अभी है। कश्मीर से कन्या कुमारी तक। पर क्या भारत इतना ही है, क्या भारत की पहचान इतनी ही है।

फिर राष्ट्र क्या है? राष्ट्र के रूप में भारत क्या है? भारत जब राष्ट्र के रूप में पूरे विश्व में विख्यात था तब भारत की पहचान ज्ञान की भूमि के रूप में थी। देश जहां भौगोलिक सीमा को बताता है वहीं राष्ट्र इससे कहीं विराट रूप में उपस्थित होता है।

राष्ट्र विचार है, राष्ट्र पहचान का विचार है। राष्ट्र का अर्थ है ऐसे लोगो का समूह जो एक ही भाषा बोलते हैं, एक सी ही संस्कृति है। अर्थात

Johann Kaspar Bluntschli says, “Nation is a union of masses of men…….bound together, especially by language and customs in a common civilization which gives them a sense of unity and distinction from all foreigners”

एक राष्ट्र के रूप में राम, महादेव, माँ दुर्गा आदि भारत की पहचान हैं, क्या राहुल गांधी राष्ट्र के रूप में भारत की इस पहचान की बात कर रहे थे? एक राष्ट्र के रूप में भारत की पहचान अफगानिस्तान से लेकर पाकिस्तान तक है, क्योंकि राष्ट्र के रूप में भारत वहां तक या उससे भी आगे तक विस्तारित था।

https://www.loc.gov/resource/g7651e.ct000605/

क्या पाकिस्तान और अफगानिस्तान भारत से परे राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं? नहीं! क्योंकि उनका मूल घूम फिर कर हिंगलाज माता के मंदिर के बहाने महादेव एवं सती माता के विमर्श पर पहुंचेगा और कंधार का विमर्श गांधार अर्थात महाभारत तक पहुंचेगा!

यहाँ तक कि राम मनोहर लोहिया भी राम, कृष्ण और शिव को इस देश के तंतु कहा करते थे। और राम, कृष्ण और शिव कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, भारत में ही नहीं, पाकिस्तान में, भी मिलेंगे। वही हैं जो एक सूत्र में पूरे भारत को जोड़ते हैं, जबकि राहुल गांधी जिस प्रकार से युनियन ऑफ इंडिया कहते हैं, उसमें वह स्वयं ही स्पष्ट नहीं हैं कि वह क्या कह रहे हैं।

वहीं राहुल गांधी यूरोपीयन युनियन की तरह भारत को देख रहे हैं, जो भारत के टुकड़े करने के समान है। जबकि विष्णु पुराण में भारत के विषय में लिखा है:

“अत्रापि भारतं श्रेष्ठ। जम्बू द्वीपे महागुने,

यतोहि कर्म भूरेषा हयतोन्या भोग भूमय:

गायन्ति देवा: किल गीतकानी धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे,

स्वर्गापस्वर्गास्पद मार्ग भूते, भवन्ति भूय: पुरुष: सुरत्वात

परन्तु राहुल गांधी विष्णुपुराण के इस भारत की बात ही नहीं करते हैं! जिस केरल में महादेव के अवतार आदि गुरु शंकराचार्य ने जन्म लिया, वह केरल महादेव की नगरी सोमनाथ और बाबा केदारनाथ से अलग कैसे हो सकता है?

इस विभाजनकारी सोच को लेकर उनका विरोध आरम्भ हो गया है:

राहुल गांधी की इस विभाजनकारी सोच का लोग विरोध कर रहे हैं। खुशबू सुन्दर ने ट्वीट किया कि यह व्यक्ति कब सीखेगा? अपने तथ्य सही करें राहुल जी? पुद्दुचेरी में भाजपा की सरकार है, इसका अर्थ है कि तमिल नागरिक हम पर विश्वास करते हैं, प्लीज़ बड़े हो जाइए,

आंध्रप्रदेश भारतीय जनता पार्टी के नेता विष्णु वर्धन रेड्डी ने प्रश्न किया कि राहुल गांधी ने भारत को राज्यों का संघ कहा और राष्ट्र नहीं, तो क्या वह क्षेत्रवाद और राज्यों के बीच एजेंडा निर्धारित कर रहे हैं,

वहीं राहुल गांधी यह कैसे निर्धारित कर सकते हैं कि भारतीय जनता पार्टी कभी भी तमिलनाडु में सत्ता में नहीं आ पाएगी? हाल ही में लावण्या की आत्महत्या के मामले में हमने देखा था कि केवल और केवल भारतीय जनता पार्टी ही लावण्या के लिए आगे आई। राहुल गांधी किसी भी पार्टी का भविष्य निर्धारित करने वाले कौन होते हैं? और राहुल गांधी जब यह कहते हैं कि भारत एक साम्राज्य नहीं है, और किसी व्यक्ति विशेष का अधिकार नहीं है, दल विशेष का अधिकार नहीं है, तो वह अपने पिता और अपनी दादी का उल्लेख क्यों करते हैं?

दरअसल, इतने वर्षों से जतन से गढ़ी गयी छवि अब टूट रही है और लोग अब असली क्रांतिकारियों की उपलब्धियों पर बात करना चाहते हैं। इसीलिए यह कुंठा सामने निकल कर आ रही है!

तमिलनाडू भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष के अन्नामलाई ने कहा कि हम राहुल गांधी के संसद में अचानक से इस क्रोध से हैरान हैं, उन्होंने अपने एकतरफा संवाद में कहा कि तमिलनाडु में भारतीय जनता पार्टी कभी सत्ता में नहीं आएगी, तो मैं कहता हूँ राहुल जी, यह जल्दी होगा

वही केंद्र में मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि राहुल गांधी इसी भ्रम में है कि वह देश पर शासन करने के लिए पैदा हुए हैं

रअसल राहुल गांधी यह जान गए हैं कि जनता अब अपने से बीच से ही नेता चाहती है, और जो विकास करेगा उसे ही वह चुनेगी।। अब वह विभाजनकारी राजनीति की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। कल से जिस प्रकार एक विशेष वर्ग से उन्हें सराहना प्राप्त हो रही है, उसे देखकर सचेत हो जाना चाहिए क्योंकि यह भारत पर प्रहार करने के लिए पुरानी बोतल में नई चिंगारी है!

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