जब देश क्रिसमस और नए वर्ष के उल्लास में डूबा था उसी समय हैदराबाद से फिर ऐसा मामला सामने आया जो फिर से कथित रहने की आजादी और प्यार की आजादी पर प्रश्न उठाता है। और यह मामला फिर से राजनीतिक भीम-मीम एकता पर प्रश्न उठाता है, क्योंकि ट्विटर पर ऐसे मामलों को प्रमुखता से उठाने वाले अश्विनी श्रीवास्तव के अनुसार मरने वाली लड़की दलित थी जिसने अपने लिव इन पार्टनर के धोखे के चलते आत्महत्या कर ली थी।
२७ वर्षीय पुजिथा यूपीएससी की तैयारी कर रही थी और उन्होंने अपनी जीवनलीला 23 या २४ दिसंबर को समाप्त कर ली थी और पुलिस को यह सूचना तब मिली थी जब उनके पड़ोसियों ने घर से बदबू आने की शिकायत की थी। इस के बाद पुलिस वहां पहुँची तो उन्होंने सड़े गले शरीर को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
हालांकि इस मामले को आत्महत्या ही माना गया है, परन्तु फिर भी पुलिस ने डॉ अली को हिरासत में लिया है क्योंकि डॉ। अली पर आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। डॉ. अली को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था।
इस मामले में पुलिस का कहना है कि मृतक पुजिथा पिछले चार वर्षों से डॉ. मोहम्मद अली के साथ सम्बन्ध में थी और जब पुजिथा को यह पता चला कि वह पहले से ही शादी शुदा ही नहीं बल्कि उसके बच्चे भी है तो वह टूट गयी थी। वह इस धोखे को बर्दाश्त नहीं कर पाई थी।
पुलिस के अनुसार
“जांच के दौरान, पुलिस ने देखा कि मोहम्मद अली पिछले 4 साल से लड़की पुजिता के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में था और बाद में जब पुजीता को पता चला कि मोहम्मद अली पहले से शादीशुदा है और उसके बच्चे भी हैं, तो वह इसे लेकर परेशान थी और फिर उन दोनों के बीच विवाद हुआ!”
पुजिथा ने भारत इंजीनियरिंग कॉलेज से वर्ष 2018 में बीटेक किया था और फिर वह सिविल सर्विसेस परीक्षा के लिए रॉयल विला कालोनी में रहने चली गयी थी। तेलुगु आउटलेट 10टीवी के अनुसार पुजिथा की भेंट चार साल पहले डॉ अली से तब हुई थी जब वह निजाम इंस्टीट्युट ऑफ मेडिकल साइंस में अपनी माँ का इलाज कराने गयी थी।
और उसके बाद उन दोनों में प्यार हुआ और पिछले चार वर्षों से वह उसके साथ लिव इन में थी और जब उसे पता चला कि डॉ अली पहले से शादी शुदा है और उसके बच्चे भी हैं। जब उसे यह पता चला तो वह इसे बर्दाश्त नहीं कर पाई।
लिव इन को ही क्रान्ति क्यों मान लिया गया है?
यह घटना भी लिव इन के दुष्परिणाम को बताती है। इससे पहले हैदराबाद से ही दिव्या नामक महिला की घटना सामने आई थी, जो शाहबाज़ के साथ लिव इन में थी और जिसकी मृत्यु प्रसव के बाद हो गयी थी और शाहबाज़ ने नवजात को झाड़ियों में फेंक दिया था।
ऐसे एक नहीं कई घटनाएं सामने आती हैं। और रोज ही आती हैं, जिनमें लड़कियां और कभी कभी लड़के भी लिव इन के चलते कई प्रकार के धोखे का शिकार होते हैं। न जाने कितने युवक हैं, जिन पर लिव इन के चलते बलात्कार का आरोप लगाया गया था और जिसके कारण न्यायालय को भी कहना पड़ा था कि लिव इन में रहने वाली महिला सम्बन्ध बिगड़ने पर पुरुष पर बलात्कार का आरोप नहीं लगा सकती है।
परन्तु लिव इन संबंधों का वास्तविक दुष्परिणाम किसे झेलना पड़ता है, क्या इस पर अब बात करने का समय नहीं आ गया है? यह भी देखा गया है कि कई युवकों को भी इसका दुष्परिणाम झेलना पड़ा था। लिव इन का अर्थ होता है कि स्त्री और पुरुष बिना किसी औपचारिक संबंधों के एक साथ पति पत्नी के रूप में रहते हैं। इसे पहले फिल्मों के माध्यम से ग्लैमराइज़ किया गया और फ़िल्मी कलाकारों के ऐसे सम्बन्धों को समाचारों के माध्यम से ऐसा बनाया गया कि जैसे यही प्यार का एकमात्र रूप है। कई फ़िल्में ऐसी थीं जिनमें लिव इन को बहुत सामान्य बताया गया था और जिसका दुष्परिणाम अब आकर झेलना पड़ रहा है। बड़े बड़े बैनर्स की फिल्मों ने इसे सहज और सामान्य बताया जिसमें प्रीती जिंटा और सैफ अली खान की सलाम नमस्ते फिल्म महत्वपूर्ण है। यह संभवतया इस विषय पर पहली फिल्म थी जिसमें सैफ अली खान और प्रीती जिंटा एक दूसरे के साथ रहने लग जाते हैं और प्रीती इसमें गर्भवती भी होती हैं और शादी से पहले बच्चे भी पैदा करती हैं, एवं अंत में यह दोनों शादी भी कर लेते हैं।
इसके बाद कई ऐसी फ़िल्में आईं जिनमें शुद्ध देशी रोमांस, कॉकटेल जैसी फ़िल्में भी महत्वपूर्ण हैं। इन फिल्मों के नाम इसलिए लिए जा रहे हैं क्योंकि यह सभी बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थीं। हालांकि विवाह से पहले यौन सम्बन्ध कई फिल्मों में दिखाए गए थे, परन्तु लिव इन की अवधारणा और लिव इन कैसे विवाह से बेहतर है और कैसे यह समानता पर आधारित है और यह केवल प्यार पर आधारित है, इसमें जन्मपत्री मिलाना जैसा पिछड़ापन नहीं है आदि आदि कहकर प्रोग्रेसिव कहा गया। यह कहा गया कि इसमें कपल के बीच कोई बड़ा और छोटा नहीं होता और इसमें कोई कभी भी छोड़कर जाना चाहे जा सकता है, जो आजादी विवाह में नहीं होती है, जैसे दुष्प्रचार कहीं न कहीं इन फिल्मों के माध्यम से किए गए।
कोई भी विकृति पहले फिल्मों जैसे मनोरंजन के माध्यम से सामान्यीकृत की जाती है और वह पहले उच्च वर्ग का हिस्सा बनती है और फिर समाज में नीचे की ओर आती है। लिव इन को लेकर जो पहले जो कथित आजादी और प्यार का नैरेटिव रचा गया, अब उसने अपना असर दिखाना आरम्भ कर दिया है।
श्रद्धा और आफताब का किस्सा भी लिव इन का ही था, उसमें श्रद्धा के पिता को विवाह से कोई भी परेशानी नहीं थी तो वहीं दिव्या और शाहबाज में जो नवजात के साथ हुआ वह भी लिव इन के चलते ही हुआ। पुजिथा का मामला भी लिव इन का है!
मातापिता जो अपने बच्चों के लिए वर खोजते हैं, उसमें वह कई बातों का ध्यान रखते हैं, परन्तु उनकी इस चिंता को फिल्मों एवं सीरियल्स अर्थात सॉफ्ट पावर के माध्यम से इतना नीचे दिखा दिया गया कि लड़कियां स्वयं के लिए शोषक व्यवस्था पर ही लट्टू हो गईं और स्वयं के लिए सुरक्षित संस्था अर्थात परिवार संस्था से सम्बन्ध तोड़ बैठीं।
किसी न किसी हिन्दू लड़की के इस प्रकार के संबंधों के चलते शिकार बनने के समाचार आए दिन सामने आते हैं, परन्तु दुर्भाग्य यही है कि इस पर बात नहीं होती और आजादी की सीमा क्या है, इस पर भी विमर्श नहीं होता है!
क्या यह बात नहीं होनी चाहिए कि कैसे लिव इन के चलते हिन्दू लड़कियां इस लव जिहाद का शिकार हो रही हैं?
Feminism has normalized premarital relationships and live-in with full support from Hindu girls. Anyone who opposed it get mercilessly trashed by Hindu girls.
I am sure no Hindu will talk about it instead they will blame Bollywood or everyone except the Hindu girls themselves.
Even you guys will not gonna post my comment.