एनपीआर की पत्रकार लॉरा ने जिस प्रकार भारत का अपमान किया, उससे भारत में सोशल मीडिया पर बहुत क्रोध उपजा!
लॉरा द्वारा भारत को गंदगी के मामले में नीचा दिखाने के मामले के बाद अचानक से ही ट्विटर पर उन चित्रों की भरमार हो गयी जिनमें अमेरिका का एक नया और अनदेखा चेहरा दिखाया गया। और वह गंदगी से भरा हुआ था। एक यूजर ने महिला की खुले में शौच की तस्वीर लगाते हुए कहा
“स्ट्रीट ऑफ कैलिफोर्निया!
विकसित देश!
और देखते ही देखते ट्विटर पर कई लोगों ने वहां की गंदगी की तस्वीरें लोगों ने साझा करनी आरंभ कर दीं। उससे पहले विवेक रंजन अग्निहोत्री ने ट्वीट किया कि, पहली नजर में मुझे लगा था कि यह अमेरिका है, और दूसरी नजर में लगा कि यह वास्तव में अमेरिका ही है
एक यूजर ने लिखा कि अचानक से ऐसी तस्वीरें क्यों आ रही हैं? क्या एक प्रकार का आन्दोलन हो रहा है? कुछ समय पहले मैंने एक आदमी को अमेरिका में मॉल में मल त्याग करते हुए देखा था।

परन्तु क्या यह नया नॉर्म है? आखिर क्यों लोग सड़क पर मल त्याग कर रहे हैं? क्या कारण हैं? इस पर कई यूजर्स ने कहा कि यह आज का मामला नहीं है, बल्कि यह काफी पहले से हो रहा है। एक यूजर ने कहा कि यह वर्ष 2011 से हो रहा है, सैन फ्रांसिस्को में तो पूप मैप भी है, जिससे पता चल सके कि कौन सी सड़क पर मानव मल पड़ा है:

इस पर एक यूजर ने अमेरिका में लिब्रल्स का दोहरा चरित्र दिखाते हुए एक वीडियो साझा किया, जिसमें लिब्रल्स की राजनीति को बहुत विस्तार से बताया गया है और 9 नवम्बर 2021 के इस वीडियो में मुख्य मुद्दों को लेकर लिब्रल्स के दोहरेपन की नीति को दिखाया है, और यह दिखाया है कि कैसे लिबरल दोहरापन अमेरिका में असमानता में वृद्धि कर रहा है।
कैलिफोर्निया में लिब्रल्स की एक बड़ी आबादी निवास करती है, और वह बार बार यही बात करती है कि अमेरिका में सभी को घर मिलना चाहिए, क्योंकि घर एक मूलभूत मानवाधिकार है। वह बार बार कहते हैं, और दोहराते हैं और इसके साथ ही वह लॉन आदि पर प्लेकार्ड आदि लेकर खड़े हो जाते हैं, यह कहते हुए कि सभी को घर मिलना चाहिए।
इस वीडियो में नक्शा दिखाया है कि कैसे काफी बड़े स्थान पर केवल सिंगल फैमिली वाले मकान हैं, सैन फ्रांसिस्को जहाँ पर यह सारा मल त्याग अभियान चल रहा है, वहां पर नौकरियां बढ़ रही हैं, परन्तु रहने के लिए स्थान नहीं हैं।
तो जब सिटी काउंसिल में यह योजना लाई गयी कि एक ज़ोन को बदलकर बड़े बड़े मकानों के स्थान पर अपार्टमेंट आदि बनाए जाएं। वह एक 60 यूनिट सस्ते आवास योजना लाए थे, जिससे वहां पर समुदाय के वृद्ध सदस्यों के लिए काम्प्लेक्स बन सके। और काउंसिल की ओर से जोनिंग बदलकर वह सस्ते आवास बनने लगें। परन्तु लिबरल समाज ने इस निर्णय को बदलने का निर्णय लिया, और वह निर्णय पास हो गया और फिर से वह स्थान जहाँ पर वृद्ध लोगों के लिए सस्ते आवास बन रहे थे, उसे सिंगल परिवारों वाले बड़े घर वाला ज़ोन बना दिया गया।
इसमें लिब्रल्स के उसी बहाने को दिखाया गया है
“हम सस्ते आवास चाहते तो हैं, और इस समुदाय के लिए कुछ तो होना चाहिए, परन्तु इस परियोजना को लेकर मेरी कुछ चिंताएं हैं”
आगे इस वीडियो में करों को लेकर भी लिब्रल्स के दोहरेपन को दिखाया गया है कि यह लोग शोर मचाते हैं कि अमीरों से अधिक कर लिया जाना चाहिए। डेमोक्रेटिक पार्टी करों के बारे में बात करती है, परन्तु इसमें कहा गया है कि जब आप वाशिंगटन स्टेट में जाते हैं, तो आप पाते हैं कि गरीब परिवार बहुत अधिक कर देते हैं, और सबसे अमीर लोग सबसे कम कर देते हैं।
सैन फ्रांसिस्को के पुराने समाचार गंदगी को दिखाते हैं
वर्ष 2018 में गार्डियन की एक रिपोर्ट में यह बताया गया था कि सैन फ्रांसिस्को मानव मल से भरा हुआ क्यों है? इसमें लिखा था कि लोग इसलिए नहीं सडकों पर मल त्याग कर रहे हैं कि उन्हें मूलभूत सफाई छोड़ दी है, बल्कि यह घटनाएं शहर में असमानता के बेशर्म स्तरों को बताती हैं।
इस समाचार के अनुसार यहाँ पर लोगों के रहने के लिए सस्ते आवास नहीं हैं, और जो आवासविहीन लोग हैं, उनके लिए रेस्टरूम नहीं हैं। इसमें लिखा है कि कई व्यापारियों ने अपने बाथरूम को केवल अपने उपभोक्ताओं तक ही सीमित कर रखा है, क्योंकि वह अपनी निजी संपत्ति को इनके द्वारा प्रयोग करते नहीं देखने देना चाहते हैं। परन्तु बाथरूमों के निजीकरण ने ऐसे लोगों के लिए और कोई रास्ता नहीं छोड़ा है।
इसमें लिखा है कि शहर में “पूप पैट्रोल (Poop Patrol)” भी बनाया है, जो इस बात की निगरानी करेंगे कि सड़क के किनारों पर गंदगी न हो।
वहीं एक और समाचार में कैलिफोर्निया में सड़क पर रहने वाले व्यक्ति नैन्सी मिस्लानिक ने madhouse news से बात करते हुए कहा था कि “सारा विश्व ही मेरा टॉयलेट है! उत्तर, दक्षिण, पूर्व पश्चिम, मैं कम्पास नहीं हूँ, जहाँ भी मेरा मन होगा, मैं वहां पर मल त्याग करूंगी!”
समस्या असमानता की है, स्वयं को विश्व की महाशक्ति होने का दावा करने वाले देश में इतनी असमानता है, गंदगी के भंडार हैं, परन्तु वहां की मीडिया भारत को अपमानित करने के लिए बार बार कहानियाँ बनाती है और अपने देश की गंदगी की ओर से आँखें मूँद बैठती है!
यह औपनिवेशिक मानसिकता है कि भारत के स्वच्छता अभियान को नीचा दिखाया जाए और अपने ही देश की गन्दगी को छिपाया जाए!
यही लिबरल समाज पूरे विश्व को देता है, गंदगी, शारीरिक ही नहीं मानसिक भी!