पंजाब में कानून व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ती ही जा रही है, राज्य में अंतर्राष्ट्रीय खिलाडियों और गायक की नृशंस हत्या हो चुकी है, वहीं खालिस्तानी तत्व सुरसा की तरह मुँह फैलाये खड़े हैं और राज्य को वापस 70 और 80 के दशक में धकेलने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कड़ी में कल एक जून को, बस लूटने की घटना घटी, जिसने पंजाब के लोगो को सकते में डाल दिया है, क्योंकि ऐसी घटनाएं तीन दशक पहले हुआ करती थी।
पुलिस सूत्रों के अनुसार यह बस लुधियाना के थाना लाडोवाल के अधीन टोल प्लाजा बैरियर के पास खड़ी थी, तभी मोटरसाइकिल सवार तीन युवकों ने अचानक बस पर हमला कर दिया और बस के परिचालक के साथ अभद्रता करनी शुरू कर दी। इसके बाद लुटेरों ने परिचालक से यात्रियों से एकत्र की गई नकदी वाला अपना बैग उन्हें देने को कहा, तो उसने मना कर दिया। इसके बाद लुटेरों ने पिस्टल निकालकर जान से मारने की धमकी दी।
परिचालक पर दबाव डाल उससे लगभग 20 हजार रुपये की नकदी लूट ली और साथ ही यात्रियों को भी धमकी देने लगे और छीनाझपटी करने लगे। बस ड्राइवर ने प्रतिकार करने का प्रयास किया तो उसके चेन छीन ली। एकाएक हुई इस घटना से यात्री भी अवाक रह गए, बाद सभी ने लुटेरों का विरोध किया तो वह घटनास्थल से भाग गए।
घटना से क्षुब्ध रोडवेज कर्मचारियों ने कानून व्यवस्था के पतन और पुलिस की निष्प्रभाव कार्यप्रणाली के विरुद्ध राज्य्मार्ग पर जाम लगा दिया। मौके पर सैकड़ों की तादाद में बसों से निकलकर लोग जुट गए और प्रशासन व सरकार के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। लगभग एक घंटे तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर वाहनों की लंबी कतारें लग गईं, जिसके इसके कारण लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। रोडवेज कर्मचारियों ने लुटेरों को गिरफ्तार करने और मामला दर्जकर के आश्वासन पर ट्रैफिक जाम को खोला।
भारतीय जनता पार्टी के नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने ट्विटर पर पंजाब में बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था पर प्रश्न उठाये और मुख्यमंत्री भगवंत मान की सरकार की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्नचिन्ह लगाए।
वहीं दूसरी ओर अमृतसर के खालसा कॉलेज के बाहर दो समूहों के बीच झड़प में गोलीबारी में एक 24 वर्षीय व्यक्ति को जान से हाथ धोना पड़ा तो वहीं एक और व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया। मृतक की पहचान लवप्रीत सिंह के रूप में हुई है जबकि घायल बटाला का गुरसिमराम सिंह है। इस घटना ने अमृतसर में तनाव का माहौल बना दिया है, शहर में पहले से ही ऑपरेशन ब्लूस्टार की आगामी वर्षगांठ के कारण सुरक्षा व्यवस्था की समस्या है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए शहर में अर्धसैनिक बलों की कई कंपनियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया है।
घटना पर वक्तव्य देते हुए एडीसीपी गुरमीत सिंह विर्क ने कहा कि “इस घटना का किसी गैंगस्टर या आपसी दुश्मनी से कोई सम्बन्ध नहीं है । यहाँ कॉलेज के बाहर दो समूहों के बीच झड़प के दौरान गोलियां चलाई गईं थी, स्थिति अब नियंत्रण में है। यह एक नियमित अपराध था, न कि एक गिरोह युद्ध”।
पुलिस का वक्तव्य अचंभित कर देने वाला है, एक तरह से उन्होंने इस तरह दिन दहाड़े गोलियां चलने और हत्या करने को ‘नियमित अपराध’ बता दिया है, यह बहुत ही गलत प्रथा पंजाब पुलिस ने बना दी है, और इसके बहुत ही बुरे दुष्परिणाम हमे आगे देखने को मिल सकते हैं।
पंजाब की बिगड़ती हुई कानून व्यवस्था पर पूर्व मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने बह प्रश्न उठाते हुए भगवंत मान और अरविन्द केजरीवाल को घेरा है।
पंजाब में सरकार अब बस नाममात्र की ही रह गयी है, भगवंत मान स्वयं कोई निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं और उनका सम्पूर्ण नियंत्रण दिल्ली से किया जा रहा है। पिछले ही हफ्ते पंजाब सरकार वाहवाही लूटने के लिए 424 लोगो की सुरक्षा हटाई थी, लेकिन यह निर्णय उनके गले की हड्डी बन गया, क्यूंकि सुरक्षा हटाने के दूसरे ही दिन प्रसिद्ध गायक सिद्धू मूसेवाला की नृशंस हत्या कर दी गयी थी।
आज पंजाब उच्च न्यायालय में पंजाब सरकार ने इस मामले में वक्तव्य दिया कि ऑपरेशन ब्लूस्टार कि वर्षगाँठ होने के कारण प्रदेश में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए इन 424 लोगो की सुरक्षा वापस ले ली गयी थी, लेकिन अब पंजाब सरकार अपने कदम पीछे करने को तैयार है और वापस से इन सभी लोगो को सुरक्षा देने के लिए तैयार है।