लखीमपुर खीरी में उन दो लडकियों की निर्जीव देह की कहानी अभी ताजा ही है कि एक और घटना सामने आई है। यह घटना 12 सितम्बर की है। 12 सितम्बर को लड़की के साथ बलात्कार का प्रयास किया गया और जब लड़की ने उनका विरोध किया तो उसके साथ इतनी हिंसा की कि वह चार दिनों के बाद अपनी ज़िन्दगी की जंग हार गयी! लड़की की मृत्यु के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा! लोगों ने हंगामा किया और उसके बाद ही पुलिस प्रशासन हरकत में आया और आरोपियों को पकड़ा गया।
मीडिया के अनुसार मामला दो समुदायों से जुड़ा हुआ है, इसलिए पुलिस बल तैनात कर दिया गया है!
मीडिया के अनुसार चौकी इंचार्ज सुनील कुमार को सस्पेंड कर दिया गया है, क्योंकि लड़की की माँ ने सुनील कुमार सिंह पर आरोप लगाया था कि पुलिस आरोपियों का साथ दे रही है। क्योंकि वो दबंग हैं। वो मेरी बेटी पर नजर रखते थे। उन्होंने चौकी इंचार्ज पडरियातुला पर आरोप लगाया कि उन्होंने मुझसे कहा कि मामला रफा-दफा कर दो। जो खर्चा लगेगा।।।मैं दे दूंगा।
पिछले कुछ दिनों से यह अजीब सा ट्रेंड देखा गया था कि जिन लड़कियों की हत्या ग्रूमिंग या लव जिहादी लोग करते हैं, उनके अपराध को यह कहकर हल्का करने का कुप्रयास होता है कि लडकियां प्यार करती थी, या फिर लडकियां तो अपने आप जाती हैं, विवाद हुआ तो हत्या कर दी! जैसे सारा दोष लड़की का ही है। लड़कियों को बहकाने वाले किसी भी जिहादी लड़के का दोष नहीं बताया जाता है, बल्कि अंकिता की तरह लड़की को ही दोषी ठहरा दिया जाता है,
हालांकि अभी उन तस्वीरों की सच्चाई भी सामने नहीं आई है, परन्तु जब तक अंकिता अस्पताल में थी, तब तक यह तस्वीरें नहीं आईं क्योंकि अंकिता खंडन करने के लिए मौजूद थी, मगर जैसे ही अंकिता की मृत्यु हुई, वैसे ही यह तस्वीरे वायरल होने लगीं कहीं न कहीं यह साबित करने का प्रयास किया गया कि अंकिता और शाहरुख का प्रेम प्रसंग था, तो कहीं हॉनर किलिंग न हो!
खैर, यह एजेंडा नहीं चल सकता क्योंकि अंकिता ने अपनी मृत्यु से पहले वक्तव्य दे दिया था। लखीमपुर खीरी की इस घटना में भी निकल कर आ रहा है कि लड़की के साथ जबरदस्ती का प्रयास किया गया और जब वह लोग असफल हो गए तो उसे इतना मारा कि वह अंतत: पांचवे दिन अपने जीवन की लड़ाई हार गयी।
अभी तक गैंग वालों के पास शायद कोई तस्वीर नहीं पहुँची होगी, जिससे वह उस लड़की को ही दोषी ठहरा सकें, या फिर उन आरोपियों को दोषमुक्त प्रमाणित कर सकें!
हुआ क्या था उस दिन?
मीडिया के अनुसार लड़की की माँ ने बताया “घटना वाले दिन सुबह के वक्त बेटी घर में अकेली थी। मैं किसी काम से खेत पर गई थी। बेटी को अकेला देख सलीमुद्दीन व आसिफ घर में घुस गए। दोनों बेटी से दुष्कर्म करने का प्रयास किया। बेटी ने विरोध करने लगी तो उसे दोनों मारने-पीटने लगे। आवाज सुनकर मैं आ गई। आरोपियों ने देखते ही मुझ पर हमला कर दिया। उन्होंने मुझे भी पीटा। मैं चिल्लाने लगी तो पड़ोस के लोग जुट गए। लोगों को आता देख आरोपी फरार हो गए। हालांकि, इस दौरान बेटी और मुझे कई अंदरूनी चोटें आई।“
उस लड़की ने अपने बचाव के लिए पत्थर भी चलाया था, जिससे एक युवक को चोट आई थी।
लड़की की माँ ने कहा था कि पुलिस ने एफआईआर केवल मारपीट की दर्ज की!
पुलिस ने दोनों आरोपियों को हिरासत में ले लिया है
गिरफ्तारी हो जाएगी, और हो सकता है सजा भी हो जाए, परन्तु यह दुस्साहस कि घर में घुस जाना और लड़की पर हमला कर देना, और दुष्कर्म के प्रयास में विफल होने पर हत्या कर देना, यह अपने आप में यह दिखाता है कि कहीं न कहीं एक बड़े वर्ग में गैर मुस्लिम लड़कियों के प्रति असीम घृणा भरी हुई है और वह हर कीमत पर गैर मुस्लिम लड़कियों को नष्ट करना चाहते हैं।
या तो प्रेम प्रसंग में सम्बन्ध बनाकर शारीरिक रूप से, चारित्रिक रूप से और उनका धर्म परिवर्तन कराके या फिर विफल रहने पर ह्त्या करके जैसे निकिता तोमर, अंकिता और अब इस लड़की के साथ किया!
यह पूरी तरह से सभ्यता का संघर्ष है, कि किसका विमर्श कोख में पलेगा? यह पूरी तरह से कोख का संघर्ष है। इस संघर्ष में हर लड़की को बचाना है!
इस घटना में चूंकि प्रेम प्रसंग नहीं है और किसी भी प्रकार से लड़की को दोषी ठहराया नहीं जा सकता है, क्या इसीलिए फेमिनिस्ट से लेकर राष्ट्रवादी एवं शुचितावादी चुप हैं और अपनी ही लड़कियों के विरुद्ध इस सबसे बड़े संघर्ष में लड़कियों को अकेला छोड़ दिया है!