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Friday, April 26, 2024

अब लखनऊ की निधि बनी सूफियान का शिकार: चार मंजिल से नीचे फेंककर मारा

दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड से जब हर कोई दहला हुआ है, एवं यह सोचने की तथा यह पता लगाने की प्रक्रिया में है कि आखिर ऐसा यह सब हुआ कैसे और किस मानसिकता के चलते किया होगा। परन्तु ऐसा नहीं है कि यह घटनाएँ रुक गयी हैं या धीमी भी पड़ी है। लखनऊ से ऐसी ही एक और घटना सामने आई है!

लखनऊ में सूफियान ने 19 वर्षीय निधि की हत्या चौथी मंजिल से नीचे गिराकर कर दी। वह चाहता था कि निधि मुस्लिम बन जाए और उससे शादी कर ले। निधि इस बात के लिए तैयार नहीं थी। इसलिए उसने उसकी हत्या कर दी, सूफियान अभी फरार है

मीडिया के अनुसार दुबग्गा के डूडा कालोनी में रहने वाले सूफियान ने मतांतरण का विरोध करने पर परिचित निधि गुप्ता को चौथी मंजिल से नीचे फेंक दिया। निधि को बहुत ही गंभीर अवस्था में ट्रामा सेंटर ले जाना गया जहाँ पर डॉ ने उसे मृत घोषित कर दिया।

यह मामला भी एकदम वही है, जो होता है! श्रद्धा के मामले आफताब ने श्रद्धा को इसलिए मार डाला क्योंकि वह शादी की जिद्द कर रही थी तो वहीं निधि के मामले में निधि इसलिए मारी गयी क्योंकि वह शादी से इंकार कर रही थी।

यदि लड़की शादी से इंकार करती है तो भी मारी जाएगी और यदि लड़की शादी की बात करती है तो भी मारी ही जाएगी। यह बहुत ही अजीब बात है। कि हर स्थिति में लड़की को मारा ही जाना है। लड़की यदि मुस्लिम बन जाती है तो मारी जाती है और यदि मुस्लिम नहीं बनती है तो भी मारी जाती है। निकिता तोमर और अंकिता और अब निधि यह तीन हाल फिलहाल में ऐसे उदाहरण हैं, जिन्हें इसलिए मार डाला गया क्योंकि यह मुस्लिम नहीं बनीं, और मई में श्रद्धा को इसलिए आफताब ने मार डाला क्योंकि वह शादी करना चाहती थी।

लखनऊ की निधि के मामले में लडकी के घरवालों ने सूफियाना के परिवार से बात की और इस हरकत का विरोध किया कि वह उनके घर की बेटी को परेशान कर रहा है। सूफियान और निधि आपस में परिचित थे और निधि को मोबाइल भी उसी ने लाकर दिया था।

मीडिया के अनुसार निधि ने बताया कि आरोपित ने ही निधि को जबरन फोन दिया था और मतांतरण का दबाव बना रहा था। मामले की जानकारी पाकर निधि के घरवाले उसे लेकर सूफियान के ब्लाक नंबर 40 स्थित फ्लैट पर पहुंचे।

जब यह बातें हो रही थीं, तो उसके बाद सूफियान निधि को लेकर चौथे तल पर पहुँच गया। वहां पर पहुंचकर उसने निधि को छत से नीचे धकेल दिया। निधि की चीख सुनकर जब उसकी माँ आईं तो देखा कि वह लहूलुहान पड़ी हुई है।

पुलिस के अनुसार टीमें गठित करके सूफियान को खोजा जा रहा है।

ऐसी घटनाएं लगभग रोज हो रही हैं। लड़कियों के मन में हिन्दू धर्म के प्रति ऐसी घृणा भरी जा रही है कि वह फेमिनिज्म के नाम पर अपने धर्म से ही दूर हो रही हैं। श्रद्धा वाला मामला इसलिए और भी घृणा से भर रहा है क्योंकि उसमे आफताब फेमिनिज्म एवं सैडिस्ट चरित्र का था, जो अपनी शेरो शायरी जैसी बातों से यह प्रमाणित करता था कि वह कितना चिंतनशील है, तो वहीं उसने जो दरिंदगी दिखाई है, वह हर विमर्श से परे है।

यह कल्पना से ही परे है कि कैसे वह टुकड़े ही नहीं करता है, बल्कि साथ ही जब उसकी लाश के टुकड़े फ्रिज में रहते हैं, तब भी वह दूसरी लड़की के साथ उसी फ़्लैट में रंग रलिया मना रहा था।

और इस पर भी लव जिहाद की घटनाओं को मात्र प्रेम कहानियाँ या ईर्ष्यालु प्रेमी की कहानियाँ कहकर ही साबित किया जाता है। हिन्दुस्तान टाइम्स ने लखनऊ की घटना के विषय में समाचार लिखते हुए “ईर्ष्यालु या क्रोधित प्रेमी” बताया! उसका शीर्षक था

Jilted lover pushes teenage girl to death from 4th floor of building in Lucknow”

दिल दहलाने वाली मजहबी घृणा के अपराध को प्रेम अपराध क्यों प्रमाणित किया जा रहा है? क्यों मीडिया हाउसेस इस अपराध को जिसमें मजहब क़ुबूल न करने पर हत्या जैसे अपराध हो रहे हैं, और उसे साधारण अपराध बनाने का कुप्रयास किया जा रहा है।

ऐसे ही आफताब के विषय में भी उसका मजहब छिपाने की हरकत की गयी और कहा कि “आदमी ने अपनी गर्लफ्रेंड को 35 टुकड़ों में काटा और जंगल में फेंका!”

हालांकि बाद में हेडलाइन में परिवर्तन करते हुए लिखा गया कि “Love Jihad Or Love Gone Sour: Man Chopped Body Of GF Into 35 Pieces, Disposes Them In Jungle”

इतना ही नहीं उसे महान प्रेमी ठहराने के लिए और आफताब को बचाने के लिए उसका महिमामंडन किया जाने लगा था। एमएसएम में लिखा कि आफताब श्रद्धा की यादों को जिंदा रखने के लिए उसके सिर को रोज देखता था

निधि को जानबूझकर मारने वाला सूफियान “गुस्साया प्रेमी” हो जाता है और साथ ही आफताब ऐसा प्रेमी हो जाता है जो श्रद्धा की हत्या के बाद उसका चेहरा केवल इसलिए देखता है जिससे वह उसे याद कर सके!

यह कैसी रिपोर्टिंग है? अपराधियों को बचाने का यह कैसा अभियान है?

इधर धीरे धीरे करके निधि, श्रद्धा सहित न जाने कितनी लडकियां अपनी जान से जा रही हैं और उधर विमर्श असफल प्रेम का बनाया जा रहा है, जबकि यह पहचान के युद्ध का विमर्श है!

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