उत्तरप्रदेश के सीतापुर में एक अवैध सामूहिक धर्मांतरण का मामला सामने आया है। यहाँ के स्थानीय चर्च में एक धर्मांतरण कार्यक्रम चल रहा था, जहां ब्राजील से आये चार युवक और एक दंपति उपस्थित लोगों को ईसाई रिलिजन के लाभ गिना रहे थे । चर्च प्रबंधन ने इस कार्यक्रम के लिए लगभग 400 हिन्दुओं को बुलाया था। कार्यक्रम स्थल पर सैकड़ों लोगों की भीड़ को देखकर यह मामला तूल पकड़ गया।
पुलिस के अनुसार सदरपुर थाना क्षेत्र के साहबाजपुर पोखरा के बीच लगभग पांच वर्ष पहले भूभाग खरीद कर एक चर्च बनाया गया था। यहां हर रविवार को ईसाई रिलिजन को मानने वाले लोग प्रार्थना करने के लिए आते हैं। रविवार को भी करीब जहां 400 लोग प्रार्थना करने के लिए बुलाये गए थे। इन लोगों को ब्राजील से आये लोग रिलिजन के बारे में समझा रहे थे। यह लोग पिछले ही दिनों टूरिस्ट वीजा पर भारत घूमने आए थे। इन्हे लखनऊ में रहने वाला डेविड अस्थाना और रोहिणी अस्थाना अपने साथ सदरपुर चर्च लेकर पहुंचे थे।
गांव के निवासी नैमिष गुप्ता ने बताया कि कथित चर्च में पिछले पांच वर्षों से मेडिकल कैंप के नाम पर धर्मांतरण की गतिविधियां संचालित होती रही हैं। यहाँ हिन्दुओं को भ्रमित करने के प्रयास किये जाते हैं, उनकी समस्याओं के निवारण के लिए इशू की प्रार्थना करने को कहा जाता है। यह दुष्प्रचार आस पास के गाँवों में भी किया जा रहा है। रविवार को आयोजित कार्यक्रम में आस पास के गाँवों से सैंकड़ों हिन्दुओं को आमंत्रित किया गया था, और उन्ही में कुछ लोगों ने नैमिष को भी इस प्रार्थना सभा के लिए आमंत्रित किया था।
नैमिष के अनुसार जब वह कार्यक्रम में पहुंचा तो वहां 300 से 400 लोगों की भीड़ थी, इतनी भीड़ उस चर्च में कभी नहीं होती थी। उसे पता चला कि भीड़ का कारण था चार विदेशी नागरिकों का वहाँ होना, जो धर्मांतरण के उद्देश्य से भीड़ को सम्बोधित कर रहे थे। यह देख नैमिष और कुछ अन्य लोग दंग रह गए। 21 दिसंबर को सीतापुर गांव के एक व्यक्ति कमलकांत अवस्थी ने 3 लोगों के विरुद्ध जबरन धर्म परिवर्तन कराने की शिकायत दर्ज कराई थी। अवस्थी को पता चला कि तीनों ने एक “विशेष प्रार्थना सभा” आयोजित की थी जहाँ सभी को क्रॉस दिया गया था और प्रतिभागियों पर ईसाई रिलिजन स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा रहा था।
मौके पर पहुंची पुलिस को देखकर तीन अन्य आरोपी श्रवण कुमार, गंगाराम और श्रीकेश ने भागने का प्रयत्न किया, लेकिन पुलिस ने तुरंत उन्हें पकड़ लिया। लोगों को धर्मांतरित करने और धर्मांतरण करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले धार्मिक साहित्य को घटना स्थल से जब्त कर लिया गया और तीनों पर उत्तरप्रदेश सरकार के गैरकानूनी धर्म परिवर्तन अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
पुलिस ने डेविड अस्थाना, रोहिणी अस्थाना सहित चार विदेशी नागरिकों को गिरफ्तार कर उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। एएसपी नरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मामले में दंपत्ति को गिरफ्तार केस दर्ज किया गया है, वहीं टूरिस्ट वीजा पर आए ब्राजील के चार युवकों को वीसा नियमों का उल्लंघन करने के कारण उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस मामले में अन्य पहलुओं की जांच भी की जा रही है, और भविष्य में उचित कार्यवाही की जाएगी।
ब्राजील के नागरिकों की पहचान रिवाल्डो जोस डासिल्वा, मैगनोलिया मारो लारोनजेरा, गुलहेराम नसीमेंटो एडल्गो और अलेक्जेंडर डासिल्वा के रूप में की गई है। यह लोग दो महीने पहले पर्यटक वीजा पर भारत आए थे और उनमें से एक पादरी भी है। उन्होंने पहले भी एक धार्मिक कार्यक्रम में भाग लिया था, जहां उन्होंने इसी प्रकार लाये गए लोगों को धर्मांतरण के लिए प्रेरित किया था। यह सीधा सीधा वीज़ा मानदंडों का उल्लंघन है।
उत्तरप्रदेश में पिछले कुछ समय से अवैध धर्मांतरण के कई मामले सामने आये हैं। नवंबर 2022 में, 6 मिशनरियों को बरेली में लोगों को जबरन धर्मांतरित करने और हिंदू देवी-देवताओं को बदनाम करने के लिए गिरफ्तार किया गया था। अक्टूबर 2022 में मेरठ में 9 मिशनरियों पर ‘दलित’ हिंदुओं का जबरन धर्मांतरण करने का मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस ने प्राथमिकी में उल्लेख किया था कि मिशनरियों द्वारा गांव में लगभग 400 लोगों का धर्मांतरण किया गया था। उन्हें कोविड -19 तालाबंदी के समय भोजन और पैसे का लालच दिया गया और दीपावली मनाने से रोक दिया गया। धर्मान्तरित लोगों को उनकी प्रार्थना करने से हतोत्साहित करने के लिए मिशनरियों ने हिंदू देवी-देवताओं की छवियों को फाड़ दिया और नष्ट कर दिया था।
कई राज्यों ने इस गतिविधि के विरुद्ध कड़े कानून भी बनाये हैं, लेकिन अभी भी मिशनरी और अन्य तत्व अवैध धर्मान्तरण में लिप्त हैं। इस सामाजिक कुरीति से निबटने के लिए अब सभी राज्यों और केंद्र सरकार को एक साथ कार्यवाही करनी ही पड़ेगी , तभी यह षड्यंत्र थमेगा।