मलयाली फिल्म निर्देशक ने मुस्लिम धर्म छोड़कर हिन्दू धर्म में आने की घोषणा की. उन्होंने फेसबुक लाइव पर यह घोषणा की. पर उन्होंने ऐसा क्यों किया, वह भी उल्लेखनीय है. उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि वह इस बात से बहुत आहत थे जिस तरह से सीडीएस रावत के असमय निधन के बाद अचानक से ही मुस्लिम समुदाय के लोग जश्न मना रहे थे. उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों के खिलाफ इस्लाम के किसी भी बड़े नेता ने आवाज नहीं उठाई और न ही यह कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए.
उन्होंने कहा कि वह इस बात को सहन नहीं कर पा रहे हैं कि देश के एक वीर सैनिक के साथ ऐसा हुआ है. उन्होंने कहा कि अब उनका विश्वास उनके मजहब में शेष नहीं रह गया है, इसलिए अब वह इस्लाम छोड़ रहे हैं.
उन्होंने उस वीडियो में कहा कि “आज मैं वह वस्त्र उतार कर फेंक रहा हूँ, जिसके साथ मैं पैदा हुआ था. आज से मैं मुस्लिम नहीं हूँ, और यह उन हजारों लोगों को मेरा जबाव है जो भारत के खिलाफ मुस्करा रहे थे”
नया नाम रखा
अली अकबर ने मुस्लिम मजहब छोड़कर अपना नाम रामसिंहन रख लिया है, उन्होंने कहा कि “रामसिंहम वह व्यक्ति था जिसने केरल की संस्कृति की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया था. कल से अली अकबर राम सिंहन कहलाएंगे. यही सर्वश्रेष्ठ नाम है.”
रामसिंहम और उनके परिवार को कट्टर इस्लामियों ने हिन्दू धर्म छोड़कर इस्लाम में न आने पर वर्ष 1947 में काट कर मार दिया था. रामसिंहम, उनके भाई दयासिंहम, दयासिंहम की पत्नी कमला, उनके रसोइये राजू और परिवार के अन्य सदस्यों को स्वतंत्रता मिलने के मात्र दो सप्ताह पूर्व ही मल्लापुरम जिले के मालापराम्बा में इस्लामी जिहादियों ने क्रूरता से काट कर मार डाला था.
और उनका अपराध यही था कि उन्होंने इस्लाम कुबूल करने से इंकार कर दिया था.
अली अकबर ने कई स्क्रीन शॉट भी साझा किए थे जिनमें वह मुस्लिम सम्मिलित थे जो जनरल रावत की असमय मृत्यु पर अट्टहास कर रहे थे.
अली अकबर के इस कदम की जहाँ कुछ लोग प्रशंसा कर रहे हैं तो वहीं कट्टर इस्लामी लोग आलोचना कर रहे हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर कई राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ हो रही थीं और जनरल रावत की मृत्यु पर कई लोग हँस रहे थे, यह उनके लिए एकदम नया उदाहरण था. और जो ऐसी हँसने वाली प्रतिक्रिया दे रहे थे, उनमें से अधिकतर मुस्लिम थे. फिर उन्होंने जो कहा है उस पर ध्यान देने की आवश्यकत है. उन्होंने कहा कि जो मुस्लिम हँस रहे थे वह इसलिए क्योंकि जनरल रावत ने पाकिस्तान के खिलाफ और कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ कई कदम उठाए थे. और वीर नायक का अपमान होते देखकर भी मुस्लिम नेता चुप हैं और किसी भी शीर्ष मुस्लिम नेता ने कोई विरोध नहीं किया है, इसलिए वह इस्लाम छोड़ रहे हैं.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी पत्नी के साथ इस्लाम छोड़ रहे हैं और आधिकारिक दस्तावेजों में भी अपना नाम बदल रहे हैं, परन्तु अपनी बेटियों का निर्णय वह उन पर ही छोड़ रहे हैं.
पहले भी मदरसों में होने वाले बाल शोषण के खिलाफ आवाज़ उठाई थी
अली अकबर ने पहले भी इस्लाम के खिलाफ आवाज उठाई थी और उन्होंने यह कहा था कि वह मदरसा में यौन शोषण के शिकार हुए थे. उन्होंने चालीस साल बाद अपना मुंह उन घटनाओं के बारे में खोला था, जिनसे वह मदरसा में पीड़ित रहे थे और उन्होंने यह केरल के पत्रकार राजीना को बताया था. और दोनों को ही धमकी दी जा रही है
उन्होंने अपनी यह घटना सीएनएन आईबीएन के साथ साझा करते हुए कहा था कि कैसे उनके साथ मदरसा में यौन शोषण हुआ था, जब वह मात्र आठ साल के थे. वह कक्षा चार के छात्र थे. उनके उस्ताद ने उन्हें यौनिक प्रक्रियाओं के बारे में बताया और फिर उन्होंने कहा कि उनके उस्ताद ने उनके साथ बलात्कार किया था. वह बोले कि वैसे तो बलात्कार का अर्थ महिला और पुरुष के बीच होता है, पर यहाँ पर उनके उस्ताद ने उनका यौन शोषण किया था. उसके बाद उन्होंने मदरसा छोड़ दिया और फिर वापस नहीं आए.
उन्होंने कहा कि उन्होंने परिवार में किसी को इसलिए नहीं बताया था क्योंकि कोई विश्वास नहीं करता. उन्होंने यह भी कहा कि मदरसा में अभी भी बच्चों के साथ वही कुछ हो रहा है.
जब उनसे यह पूछा गया कि वह चालीस सालों तक शांत क्यों रहे तो उन्होंने कहा कि मैं अपने मजहब से डरता था. जब पत्रकार ने प्रश्न किया कि कैथोलिक चर्च में भी बच्चों का शोषण होता है और कहानी सामने आती हैं, तो अली अकबर ने कहा था कि हमारे मजहब में कोई कहानी बाहर नहीं आएगी क्योंकि उनके मजहबी नेता इस बात को स्वीकार ही नहीं करते हैं कि ऐसा कुछ होता भी है. अली अकबर का कहना था कि हमारी अगली पीढ़ी सुरक्षित रहे.
उन्होंने बताया कि कैसे उनकी आलोचना की जाती थी कि वह मुस्लिम नहीं हैं और उन्हें धमकी दी जाती थीं
सोशल मीडिया पर लोग यह कह रहे हैं कि पिछली पीढी में किए गए गलत कदमों का विरोध ऐसे ही क़दमों से होगा और लोग अली अकबर की प्रशंसा यह कहते हुए कर रहे हैं कि इस्लाम की वर्तमान पीढी, जिनके पूर्वज किन्हीं कारणवश मुस्लिम बन गए थे वह वापस आ रहे हैं:
सबरीमाला के मुद्दे पर भी वह अलग स्टैंड ले चुके हैं और यह चुके हैं कि हिन्दुओं को परेशान न किया जाए!