लव जिहाद, एक ऐसा शब्द है, जिसपर कुछ कहने से लोग बचते हैं। जिस पर चर्चा करने से बचते हैं। परन्तु फिर भी यह समस्या है, और ऐसी समस्या है जिसके आसपास भी कई समस्याएँ हैं। इसका एक इतिहास है, और इसका एक कारण है और कई पहलू हैं। इन पहलुओं पर आम तौर पर चर्चा नहीं होते है। पैटर्न पर बात नहीं होती है। या फिर होती भी है तो कुछ समय के लिए होती हैं, कोई मामला आता है तो होती है, और फिर जब मामला शांत हो जाता है, तो फिर बात भी शांत हो जाती है। कोई संगठित कार्य या कहीं मामलों का डॉक्यूमेंटेशन नहीं दिखता था।
विशेषकर हरियाणा की निकिता तोमर की दिन दहाड़े हुई हत्या के बाद लोगों को यह बात परेशान कर रही थी कि अंतत: वह क्या है, वह क्या प्रेरणा है जिसके कारण किसी को भी कोई मार सकता है और मार दिया जाता है।
या फिर शोषण किया जाता है। शोषण भी ऐसा जिसे सुनकर रोंगटे खड़े हो जाएं!
इन सभी प्रश्नों के उत्तर तलाशने का प्रयास है “गरुड” प्रकाशन से आई पुस्तक “लव जिहाद”। यह शोध परक पुस्तक ग्रुप ऑफ इंटेलेक्चुअल एंड एकेडमिशियन अर्थात जिया नामक समूह की कुछ सदस्यों ने लिखी है। यह पुस्तक उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा, दिल्ली विश्व विद्यालय में एसिस्टेंट प्रोफ़ेसर सोनाली चितलकर, डॉ. श्रुति रंजन मिश्रा एवं उद्यमी मोनिका अग्रवाल ने लिखी है।
कई मामलों का अध्ययन है
इस पुस्तक में बारह मामलों का शोधपरक अध्ययन है, एवं दस्तावेज़ भी प्रस्तुत किए गए हैं। निकिता तोमर से लेकर केरल की श्रुति एवं दिल्ली की रजनी तक सबकी पीड़ा के तरीके अलग अलग हो सकते हैं। परन्तु सभी में पैटर्न लगभग एक ही है। कुछ कहानियां एकदम अलग हैं। उनमें नाम बदलकर धोखा देना शामिल नहीं है, परन्तु उनमें दिमागी खेल है।
मजहब के नाम पर किए गए धोखे की इन कहानियों में सबसे पहले है हरियाणा के वल्लाभ्गढ़ की निकिता तोमर की पीड़ा, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। उसे भरी दोपहर गोली से उड़ा दिया गया था। कारण क्या था? कारण था तौसीफ खान उस पर बार बार दबाव डाल रहा था कि वह अपना हिन्दू धर्म बदलकर उससे शादी करके मुसलमान हो जाए, जब निकिता ने इंकार कर दिया तो तौसीफ ने उसे दिन दहाड़े मार डाला और इस प्रकार एक प्रतिभाशाली लड़की असमय ही उस यात्रा पर चली गयी थी, जिस पर उसे नहीं जाना था।
फिर दूसरी कहानी कुछ वर्ष पुरानी है, जो लोगों की स्मृति से उतर चुकी है। इसमें पैटर्न एकदम अलग था, परन्तु पीड़ित हिन्दू थी और शोषक करने वाला मुस्लिम था। रांची की शूटर तारा सहदेव, जो एक ऐसे जाल में फंसी, जो बहुत अलग था। जिसमें उसका भरोसा टूटा था। इसमें पूरे समुदाय का हाथ था। पूरा समुदाय ही उए झूठी कहानी में शामिल हो गया था। और इतना ही नहीं पुलिस और शासन के भी कई अधिकारी इसमें शामिल थे। रंजीत बनकर उसे फंसाया गया और फिर धूमधाम से शादी हुई और ससुराल पहुँचने पर उसे पता चला कि उसकी ससुराल वाले मुसलमान हैं। तारा सहदेव की कहानी बहुत ही हैरान करने वाली थी, हालाँकि वह किसी प्रकार अपनी जान बचा कर भागने में सफल हुई थी, चूंकि तारा सहदेव एक बड़ा नाम थीं तो मीडिया सक्रिय हुआ और अंतत: वह इस लड़ाई को लड़ने में सफल हुई थी।
केरल की श्रुति की पीड़ा सबसे अलग है।केरल की श्रुति जो एक ब्राह्मण परिवार की थी। उसके साथ किसी ने धोखा नहीं किया था, फिर भी उसने इस्लाम क़ुबूल कर लिया था। यह एक अजीब कहानी है। यह कहानी है उस लड़की की जिसके दिल में एक आध्यात्मिक तलाश है, उसके हृदय में अपने धर्म को जानने की लालसा है, अपने धर्म को लेकर तमाम प्रश्न हैं, परन्तु उसके सामने इन प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कोई नहीं है। यह कहानी है हिन्दुओं की धार्मिक मूल्यों से विमुखता की, जिसके कारण श्रुति को उसकी मुस्लिम सहेलियां फंसा लेती हैं और उसके सामने इस्लाम की ऐसी तस्वीर प्रस्तुत करती हैं, जिनमे आध्यात्मिक उत्थान है, जहाँ आजादी है। जब श्रुति काले बुर्के में फंसती है तो उसे अहसास होता है कि जिस तरह से बुर्के की महिमा गाई जाती है, वह उससे एकदम अलग है।
फिर श्रुति के मातापिता उसे आर्ष विद्या समाजम में ले जाते हैं। जहां पर उसकी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं का समाधान किया जाता है और वह जिस मजहब के पीछे भाग रही थी, उसके खोखलेपन को प्रदर्शित करते हैं, और अब श्रुति वापस अपने धर्म में वापस आ गयी है और श्रुति बताती है कि कैसे उसके आसपास जाल बुना गया था। श्रुति इस षड्यंत्र का तानाबाना समझाती हैं।
ऐसी ही कई पीडाएं इस पुस्तक में हैं,
और एक डॉ. प्रिया की कहानी है, जो बचपन से अनाथ थी और जिसने अपनी मेहनत से अपनी पढाई की, एमफिल किया और उसे डरा धमकाकर प्रिंस ने जाल में फंसाया कि उसकी कुछ तस्वीरें उसके पास हैं। प्रिया डर गयी और उसके बाद उसके शोषण का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह इथोपिया में उसके सामूहिक बलात्कार पर जाकर रुका। वह किसी प्रकार वहां से वापस आई!
ऐसी कई कहानियों और पीडाओं को डोक्युमेंट किया गया है। हालाँकि जब तक यह पुस्तक लिखी गयी तब तक और भी कई मामले सामने आ चुके हैं और अभी तक ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। fइनमें कारण क्या है, यही समझने की कोशिश की गयी है, कारण एक इसमें दिया गया है वह है इस्लाम में दावाह! अर्थात दावत अर्थात इस्लाम कुबूल करवाना और अपने मजहब को फैलाना! क्योंकि लगभग सभी मामलों में धर्मपरिवर्तन भी कराया गया था। तारा सहदेव ने ऐसा करने से इंकार कर दिया था तो उस पर बहुत अत्याचार किए गए थे।
ऐसी कई पुस्तकों की आवश्यकता है जो उन सभी स्याह पहलुओं को सामने लाएं, जिनपर अभी बात नहीं होती है!