पिछले दिनों लिबरल पिछड़े बुद्धिजीवी दुखी हैं, कुपित हैं और क्रोधित हैं। होना भी चाहिए क्योंकि मामला ऐसा है। मामला महिलाओं से जुड़ा हुआ है। मामला मुस्लिम महिलाओं से जुड़ा हुआ है और इसके पीछे चूंकि अपराधी हिन्दू होने का संदेह है, जैसा पुलिस का कहना है तो ऐसे में उनका और भी क्रोधित होना अपने आप में न्यायोचित है। शेष, हिन्दू लडकियां मारी जाती रहें, उनके लिए आवाज उठाना उन्हें उचित नहीं लगता है।
पुलिस के अनुसार मुस्लिम महिलाओं की ऑनलाइन बोली लगाने वाले एप का निर्माण एक लड़की ने किया था, जिसकी उम्र 18 वर्ष की है और जिसके पिता कोविड में गुजर चुके हैं और माँ कैंसर से! इसके साथ ही एक 21 वर्षीय लड़के को हिरासत में लिया गया है, कहा जा रहा है कि उसने कई खालिस्तानी नाम से एकाउंट बनाए थे।
इन दोनों की जांच होनी चाहिए और सच्चाई क्या है वह बाहर आनी चाहिए। परन्तु एक बात बहुत ही विचित्र है कि शर्जील इमाम का वीडियो तक सामने होने के बाद भी उसका समर्थन जिस वर्ग से किया जा रहा है, वही वर्ग बिना जांच के और बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे हुए इन युवाओं का चरित्र हनन करने में जुट गया है। क्या इसलिए कि वह मजहब विशेष के नहीं हैं? सुल्ली डील्स एवं बुल्लीबाई एप की पूरी जांच हो और जो भी इसके पीछे हो, उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले!
यदि 18 साल की लड़की मास्टर माइंड है तो उसे सजा मिले, परन्तु जब तक यह प्रमाणित नहीं होता कि वही लड़की मास्टरमाइंड है, तब तक कथित क्रांतिकारियों द्वारा उसका पूरा चरित्रहनन करना कहीं न कहीं बहुत गलत है, वह भी तब जब अभी तक कुछ भी जांच में सामने नहीं आया है, और यदि कोई भी व्यक्ति उस लड़की की गरीबी के कारण प्रयोग कर रहा है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा मिले।
हिन्दू लडकियों के खिलाफ बने एप और पेज पर शांत रहते हैं यही पिछड़े बुद्धिजीवी
लडकियां हिन्दू हों या मुस्लिम, उनका मान समाज का मान होता है। परन्तु यही बड़ा वर्ग उन ग्रुप्स और पेजों पर चुप क्यों रहता है जो जानबूझकर हिन्दू लड़कियों को निशाना बनाते हैं। टेलीग्राम पर कई ऐसे चैनल्स हैं, और इतना ही नहीं, क्लबहाउस पर तो बाकायदा चर्चा हुई थी कि कैसे संघी लड़कियों के साथ पेपरबैग सेक्स कर सकते हैं।
और यह चर्चा केवल और केवल कथित वोक और लिब्रल्स के बीच हुई थी। हालांकि बाद में कुछ लोगों ने कहा कि जिस लड़के की बात हो रही है कि वह तो समलैंगिक है! तो क्या यह माना जाए कि “वोक लिब्रल्स” के लिए राजनीतिक विरोधी समलैंगिक पुरुष राजनीतिक घृणा का शिकार हो सकता है?

परन्तु आज जो पिछड़े लिबरल एकांगी सोच वाले लोग विरोध कर रहे हैं, वह उस समय कुछ बोले थे, ऐसा ज्ञात नहीं होता! हालांकि कई लोग अपना प्रोफाइल अवश्य डिलीट कर भाग गए थे।
टेलीग्राम पर हिन्दू लड़कियों को रंडी कहा जा रहा है, पर वरिष्ठ पत्रकार शांत हैं, या कहें कि उन तक समाचार नहीं है क्योंकि वाम एकांगी बुद्धिजीवियों की दृष्टि में हिन्दू लडकियां, इंसान हैं ही नहीं!
हालांकि सरकार ने इस पर कार्यवाही करते हुए उसे ब्लॉक करा दिया है और पुलिस से जाँच करने के लिए कहा है:
इसी के साथ फेसबुक और instagram पर न जाने कितने ही ऐसे पेज हैं, जो हिन्दू लड़कियों और मुस्लिम युवकों को लेकर अश्लील कंटेंट से भरे हैं, परन्तु किसी भी पत्रकार ने अब तक यह नहीं कहा कि ऐसा करने वालों को सलाखों के पीछे जाना चाहिए!
कई तस्वीरें ऐसे समूहों की साझा की गयी हैं,
kindle पर कई पुस्तकें भी उपलब्ध थीं, जो हिन्दू लड़कियों और मुस्लिम युवकों के बारे में अश्लील कंटेंट से भरी थीं,।
ऐसा नहीं था कि हिन्दू लड़कियों को केवल ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर ही घेरा जा रहा था। kindle पर कई ऐसी पोर्न बुक्स उपलब्ध हैं, जो एरोटिक हैं और हिन्दू लड़कियों और मुस्लिम प्रेमी को लेकर हैं। ऐसी ही एक किताब है नीलिमा स्टीवंस की Indian Hindu wife’s affair with her Muslim lover, और उसमें जो तस्वीर बनी है, क्या यह कभी इन पत्रकारों को परेशान नहीं कर पाई?

ऐसे एक नहीं कई ऐसी पुस्तकें हैं। इन सभी किताबों में हिन्दू लड़कियों को मुस्लिम यौनांगों का स्वाद लेते हुए दिखाया गया है। क्या यह सब किसी को नहीं दीखता?
नहीं दिखेगा, क्योंकि वह देखना नहीं चाहते हैं।
एक और किताब है जिसमें हिन्दू पत्नी मुस्लिम माफिया डॉन के लिए रात का भोजन बन जाती है!

ऐसी एक नहीं न जाने कितनी किताबें केवल यही बताते हुए हैं कि कैसे हिन्दू औरतें केवल मुस्लिमों से शारीरिक रूप से संतुष्ट हो सकती हैं।
अब इस पर यह लोग प्रश्न नहीं उठाते हैं, या तो वह लोग इसे सही मानते हैं या अपनी शारीरिक/यौनिक क्षमताओं और कमजोरियों को जानते हैं!
पुलिस ने ऐसे पेज पर संज्ञान लिया है
सरकार ने ऐसे पेजों पर संज्ञान लिया है और दिल्ली पुलिस हर ऐसे चैनल/हैंडल और साईट की जाँच करेगी जहाँ पर हिन्दू महिलाओं को जानबूझकर “धर्म” के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है।
हालांकि इस सम्बन्ध में राष्ट्रीय महिला आयोग का भी सामने न आना चौंकाता है! वैसे मुस्लिम लडकों द्वारा जिन हिन्दू लड़कियों को धर्म के आधार पर निशाना बनाया जाता है, और फिर उनके साथ जो घटनाएं होती हैं, उसकी पीड़ा पर भी लिबरल समाज मौन ही है!