विवेक अग्निहोत्री की फिल्म कश्मीर फाइल्स जहाँ बॉक्स ऑफिस पर लगातार नए रिकॉर्ड बना रही है तो वहीं अरविन्द केजरीवाल जैसे लोग नित नए झूठ बोल रहे हैं, फिल्म के बहाने विवेक अग्निहोत्री को घेर रहे हैं। सबसे पहले उन्होंने विधान सभा में फिल्म को झूठी फिल्म कहा। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं पर निशाना साधते हुए कहा था कि आप लोग इस झूठी फिल्म के पोस्टर लगाते सही नहीं लगते हैं।
मगर इस “झूठी फिल्म” वाली बात पर केजरीवाल जल्दी ही घिर गए, उनका विरोध हर वर्ग से होने लगा। हिन्दुओं की हत्याओं पर अरविन्द केजरीवाल का यह अट्टाहास नया नहीं हैं। दिल्ली दंगों में हमने देखा है कि कैसे आम आदमी पार्टी के ही पार्षद की संलिप्तता पाई गयी थी। विधान सभा में वह अट्टाहास हिन्दुओं को चुभ गया था, जो वहां पर उपस्थित लोगों ने इस शब्द “झूठी फिल्म” पर किया था।
लोगों ने केजरीवाल की इस असंवेदनशीलता का विरोध अपनी अपनी कहानियों से किया। हर हिन्दू को वह अट्टहास चुभ रहा है। विकास रैना ने ट्वीट किया कि उन्होंने अपने पिता के शव को 12 गोलियों से छलनी देखा है!
मुझे हमेशा याद रहेगा कि उनके बलिदान पर कौन हंस रहा था
केजरीवाल और उसके लोग हिन्दुओं के जेनोसाइड पर हँसे हैं:
आम लोग इस बात को नहीं भूले हैं कि कैसे यह अरविन्द केजरीवाल ही थे, जिन्होंने बार बार सर्जिकल स्ट्राइक पर प्रश्न उठाए थे और उसे भी झूठा प्रमाणित करने का प्रयास किया था। और सोशल मीडिया यूजर ने इस बात को बार बार कहा भी है।
जब केजरीवाल को लगा कि यह हंसी उन पर भारी पड़ गयी तो आनन फानन में इंटरव्यू देते हुए नजर आए। times now में नाविका कुमार को दिए गए अपने साक्षात्कार में कहा कि भारतीय जनता पार्टी राजनीति कर रही है, वह उस त्रासदी पर फिल्म बना रही है, जबकि हम कश्मीरी पंडितों को नौकरी दे रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार ने कई कश्मीरी पंडितों को शिक्षकों की नौकरी दी!
इस इंटरव्यू को लेकर टाइम्स नाउ की नविका कुमार घिर गईं और लोगों का कहना है कि ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चैनल ने अरविन्द केजरीवाल की बिगडती छवि को देखते हुए ही यह इंटरव्यू किया है। लोगों ने नविका कुमार शर्म करो का ट्रेंड भी चलाया। एक यूजर ने लिखा कि
नविका कुमार पर यह आरोप प्रथम दृष्टया झूठ नहीं प्रतीत हो रहे थे कि उन्होंने अरविन्द केजरीवाल की छवि सुधारने के लिए ही यह इंटरव्यू किया, क्योंकि अरविन्द केजरीवाल जब झूठ पर झूठ बोलते जा रहे थे तो नाविका कुमार ने उन्हें टोका नहीं, न ही प्रतिप्रश्न किए।
परन्तु जब कश्मीरी शिक्षकों के विषय में अरविन्द केजरीवाल ने झूठ बोला तो लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और कश्मीरी पंडित शिक्षकों ने अरविन्द केजरीवाल का पूरा झूठ खोलकर रख दिया। उन्होंने एक प्रेस रिलीज जारी करके कहा कि हम अरविन्द केजरीवाल द्वारा फैलाए जा रहे इस झूठ का खंडन करते हैं कि दिल्ली सरकार ने कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों की सेवाओं को नियमित किया था।
इस प्रेस रिलीज़ में सिलसिलेवार घटनाओं को बताया गया है। जिसमें है कि
1 जून 2010 में कश्मीरी प्रवासी शिक्षकों ने दिल्ली उच्च न्यायालय का द्वार खटखटाया
2 मई 2015 में सिंगल बेंच ने इन शिक्षकों की सेवाओं को निगमित करके इनके पक्ष में निर्णय दिया।
3 इसी निर्णय को दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली उच्च न्यायालय की डबल बेंच में चुनौती दी गयी, और इन शिक्षकों को नियमित करने से इंकार कर दिया गया।
4 उसके बाद मई 2018 में डबल बेंच ने भी इन्ही शिक्षकों के पक्ष में निर्णय दिया और कहा कि सेवाएं नियमित की जाएँ।
5 दिल्ली सरकार के बार बार इस इस आश्वासन के बाद कि वह उच्च न्यायालय के इस निर्णय का सम्मान करते हुए इन शिक्षकों को नियमित करेंगे, दिल्ली सरकार ने इस निर्णय को माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी!
6 अक्टूबर 2018 में माननीय उच्चतम न्यायालय ने भी दिल्ली सरकार की याचिका को निरस्त कर दिया एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के ही निर्णय को मान्य रखा।
7 अंत में 23 जनवरी 2019 को जब कोई और विकल्प शेष नहीं रहा, तब दिल्ली सरकार ने विवश होकर इन शिक्षकों की सेवाओं को नियमित किया!
यह उस प्रेस रिलीज़ में है।
इस झूठ के विषय में टाइम्स नाऊ में अशोक पंडित ने भी कहा कि अरविन्द केजरीवाल कश्मीरी हिन्दुओं की नौकरी को नियमित न करना पड़े, इसके लिए उच्चतम न्यायालय गए और अब वह कह रहे हैं कि वह उनकी नौकरी को नियमित करने के लिए जिम्मेदार है! अशोक पंडित ने कहा कि यह व्यक्ति लगातार झूठ बोल रहा है, और कश्मीरी शिक्षकों ने बार बार अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसोदिया से संपर्क किया मगर उन्होंने कुछ नहीं किया,
जो बात अशोक पंडित ने कही कि अरविन्द केजरीवाल जेएनयू के अलगावादी तत्वों का समर्थन करते हैं वहीं कहीं न कहीं वह चीज़ है, जिसके कारण अरविन्द केजरीवाल इस फिल्म के विरोध में हैं, यही वह कारण हैं कि वह विवेक अग्निहोत्री का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि विवेक अग्निहोत्री ने इसी बात को प्रमुखता से अपनी दो फिल्मों में प्रदर्शित किया है!
बुद्धा इन अ ट्रैफिक जाम और अब द कश्मीर फाइल्स में! यह शहरी नक्सलियों के चेहरे पर पड़े परदे हटने की बिलबिलाहट है!
यही कारण है कि कश्मीर फाइल्स को झूठी फिल्म कहकर घिरे अरविन्द केजरीवाल अब “झूठी” सफाई देते घूम रहे हैं