अभी मोहम्मद जुबैर को दिल्ली के एक न्यायालय ने चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया है। शेष हिन्दू विरोधी ट्वीट्स एवं फेसबुक पोस्ट्स के साथ ही यह सभी को पता है कि कैसे मोहम्मद जुबैर द्वारा शरारतपूर्ण तरीके से एडिट किए गए वीडियो के कारण नुपुर शर्मा के खिलाफ जहरीला वातारण उत्पन्न हुआ। पूरे देश में दंगे भड़के थे और साथ ही भारत को मुस्लिम देशों के क्रोध का भी सामना करना पड़ा था।
परन्तु असली खतरा देश के भीतर जिहादी मानसिकता वालों की है। हमने देखा था कि कैसे कई लोगों ने नुपुर शर्मा का सिर कलम करने के लिए हिंसा की थी, जुलूस निकाले गए थे। जिन लोगों ने नुपुर शर्मा का समर्थन किया था, उन्हें हिरासत में लिया गया, या फिर उनके साथ मारपीट की गयी। परन्तु उदयपुर से आ रही घटना दिल दहलाने वाली है। कैमरे पर दो जिहादियों ने एक टेलर अर्थात दरजी को दिन दहाड़े उसीकी दुकान में गला काट कर मार डाला!
पाठक यह वीडियो नहीं देख पाएंगे, परन्तु इन जिहादी तत्वों को इतना किसने भड़काया? किसने वह एडिटेड वीडियो मात्र हिन्दुओं को खलनायक दिखाने के लिए पोस्ट किया था? अब लोग पूछ रहे हैं कि आखिर इसके लिए कौन उत्तरदायी है?
इसी बात को तुषार गुप्ता ने लिखा कि जुबैर ने एक अधूरी डिबेट चलाई जिसमें उसने नूपुर शर्मा का गुस्सा तो दिखाया मगर उसने यह नहीं दिखाया कि दूसरी ओर से महादेव का क्या अपमान किया गया था। और उसी उकसावे और भड़काने के कारण उदयपुर में एक दरजी का सिर दो ऐसे मुस्लिमों ने काट दिया, जिनका सपना मोदी जी के साथ भी यही करने का है!
क्या अब इस देश में जिहादियों का राज चलेगा? यहाँ पर यह प्रश्न इसलिए उभर कर आ रहा है क्योंकि नुपुर शर्मा का समर्थन करने मात्र पर ही एक हिन्दू का गला काट दिया है। यदि नुपुर शर्मा इनके हाथ लग जाती तो यह लोग क्या करते? क्या धर्मनिरपेक्षता का अर्थ मजहब विशेष के जिहादियों द्वारा किया जा रहा शासन होता है!
twitter पर लोग यही कह रहे हैं कि इस खून और देश में लगी आग का जिम्मेदार केवल जुबैर और उसका जिहादी गैंग है!
इसे नहीं भूला जा सकता है कि कैसे जुबैर और उसके जिहादी गैंग द्वारा एडिटेड वीडियो जारी किये जाने पर मुस्लिम देशों में रहने वाले हिन्दुओं पर भी खतरा उत्पन्न हो गया था। यहाँ तक कि बांग्लादेश में तो एक नुपुर नाम की लड़की की हत्या तक हो गयी थी। हालांकि यह निश्चित नहीं हो पाया है कि क्या वह नुपुर नाम के कारण हुई थी या फिर वह हिन्दुओं पर होने वाला साधारण अत्याचार था!
हैरिस सुलतान ने भी यह ट्वीट किया है कि जो भी यह कहता है कि गुस्ताखे रसूल की एक सजा, सिर तन से जुदा, उसे तत्काल हिरासत में लिया जाना चाहिए!
यह वामपंथी और कांग्रेसी राजनीति ने एक प्रवृत्ति बना ली कि हिन्दुओं के विरुद्ध तो आप कुछ भी बोल सकते हैं, परन्तु मुस्लिम कट्टरपंथियों पर आप कुछ नहीं बोल सकते हैं। इस्लामी कट्टरवाद के बारूद पर भारत बैठा है, और हिन्दुओं के आराध्यों पर टिप्पणी के साथ साथ, लव जिहाद आदि के माध्यम से तो हिन्दू संस्कृति का नाश किया ही जा रहा है, अब प्रत्यक्ष हमने और चुन चुन कर किए जा रहे हमले भी हो रहे हैं!
जुबैर की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोने वाले उस दर्जी की मृत्यु पर कुछ नहीं बोलेंगे क्योंकि उनकी दृष्टि में यह बहुत साधारण बात है। यह उनके प्रिय कट्टरपंथी समुदाय द्वारा किए गए है, तो वह कुछ नहीं बोलेंगे! क्या उस दर्जी के पास स्वतंत्रता नहीं थी कि वह नुपुर शर्मा का समर्थन कर सके?
क्या उसकी जान का कोई मोल नहीं है? परन्तु जो पूरी लॉबी और गिरोह जुबैर के पक्ष में ट्वीट कर रहा है, वह एक भी शब्द उस हिन्दू दर्जी के पक्ष में नहीं बोलेगी? लोग ट्वीट कर रहे है कि
इतनी निर्दयता से ह्त्या करने पर भी अभी तक सेक्युलर लॉबी शांत है, क्या वह ऐसी ही घटनाओं की प्रतीक्षा में थी?
जुबैर ने ही कहीं न कहीं इस मामले को इस प्रकार उछाला कि हिन्दुओं की ह्त्या सरे आम होने लगी है! उसने उन ज़ोम्बीज़ को सक्रिय कर दिया है, जिनमें जिहाद और कट्टरता का वायरस अपना स्थान बना चुका है, जिनके चेहरों से वह वहशीपन टपक रहा है, जो कहीं न कहीं उसी मध्यकाल का स्मरण करा रहा है, जब हिन्दुओं को सरे आम उनके धर्म को लेकर निशाना बनाया जाता था!
भारत जैसे कथित सेक्युलर देश में ही यह संभव है कि हिन्दू देवी देवताओं का अपमान करने वाले कथित पत्रकार के समर्थन में प्रेस क्लब ऑफ इंडिया आ जाता है, और कहीं न कहीं यह भी प्रमाणित करता है कि वह समाज में हिंसा फैलाने वाले लोगों के साथ है! अब क्या यह माना जाए कि प्रेस क्लब के सभी सदस्य न केवल देश भर में फ़ैली हिंसा बल्कि उदयपुर में मारे गए व्यक्ति की हत्या में कहीं न कहीं सहभागी हैं? क्योंकि प्रेस क्लब जैसों के समर्थन के कारण ही जुबैर जैसों का साहस हो पाता है कि वह देश और हिन्दुओं के विरुद्ध इतना विषैला अभियान चला सकें?
ऐसे प्रश्न भी कई लोग twitter पर पूछ रहे हैं:
देखना होगा कि इस प्रकार दिन दहाड़े हुई इस मजहबी कट्टरता के हाथों हुई हत्या पर राजस्थान सरकार क्या कदम उठाती है और इन हत्यारों का विरोध क्या इन्हीं के उदार समुदाय द्वारा किया जाता है या नहीं यह भी देखना होगा! और कथित पत्रकार के पक्ष में जो संस्थाएं आई हैं, उनका दृष्टिकोण इस विषय में क्या रहता है? प्रेस क्लब ऑफ इंडिया जैसे एलीट क्लब इस विषय में क्या कहते हैं, यह भी देखना होगा!
Iska matlab h k hum hindu ab inse darker rhenge kya ye khuleaam gala kaat rhe h or humari govt koi action q nhi le rhi h iski himmat itni k ye humare modi ji ko bol rhe h ye sb ladai jhagda Failane k liye h pta nhi ladai se kya milta h inn logo ko