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Friday, April 26, 2024

मैंने गिराए हैं सैकड़ों वर्ष पुराने मंदिर- सेतुसमुद्रम परियोजना के पक्ष में समारोह में डीएमके नेता ने कहा

सेतुसमुद्रम परियोजना अर्थात रामसेतु को नष्ट करके जो मार्ग बनाया जाना है, उसके समर्थन में आयोजित एक समारोह में डीएमके के सांसद ने स्वीकारोक्ति करते हुए कहा कि उन्होंने 100 वर्ष पुराने मंदिर तोड़े हैं। डीएमके के सांसद एवं पूर्व शिपिंग मंत्री टीआर बालू ने बहुत ही गर्व से यह स्वीकार किया है कि उन्होंने मंदिरों को नष्ट किया है और नदियों के किनारों को नुकसान पहुंचाया है, परन्तु फिर भी उन्हें अभी तक कुछ नहीं हुआ है।

उन्होंने यह तक दावा किया कि उन्हें यह भली तरह से पता है कि कैसे वोट लेने हैं, फिर चाहे कितनी भी हिन्दू विरोधी बातें की जाती रहें।

सेतुसमुद्रम को लेकर डीएमके सरकार इस सीमा तक बेचैन है कि उसने इस योजना को आरंभ करने के लिए विधानसभा में प्रस्ताव पारित करवाया है। यद्यपि सदन में ही इस प्रस्ताव का विरोध हुआ, फिर भी डीएमके एवं दलित संगठन परियोजना का समर्थन इस कारण कर रहे हैं कि इससे दक्षिण तमिलनाडु में सम्पन्नत आएगी। डीएमके के पैतृक संगठन द्रविदर कज्ह्गम ने मदुरै में एक बैठक की और सरकार से अनुरोध किया कि वह परियोजना को बिना किसी देरी के आरम्भ करें।

हिन्दुओं के प्रति घृणा से भरे द्रविड़ कज़गम प्रमुख के वीरामणि, वीसीके प्रमुख थोल थिरुमावलवन, कांग्रेस प्रमुख केएस अलागिरी और वित्त मंत्री पीटीआर पलानीवेल त्यागराजन भी लोकसभा सांसद टीआर बालू के साथ उपस्थित थे। बालू ने हिंदू मान्यताओं का अपमान किया और गर्व से कहा कि उन्होंने तो लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती के 100 साल पुराने मंदिरों को नष्ट कर दिया और फिर भी देवताओं ने उसका कुछ नहीं किया।

उन्होंने कहा, “रामेश्वरम मंदिर में 3 तीर्थों को जनता की राय सुने बिना ही उनके मूल स्थान से स्थानांतरित कर दिया गया। क्या इससे धार्मिक भावनाएं आहत हुईं? मैंने अपने निर्वाचन क्षेत्र (श्रीपेरंबदूर) में जीएसटी रोड पर लक्ष्मी, सरस्वती और पार्वती के 100 साल पुराने मंदिरों को तोड़ दिया। कई लोगों ने मुझसे कहा कि इस वजह से मुझे वोट नहीं मिलेंगे। मैं खुद जानता हूं। लेकिन मैं अच्छी तरह जानता हूं कि वोट कैसे खरीदना और बटोरना है। मैंने गंगा, कावेरी और कोल्लीदम (कावेरी की एक सहायक नदी जिसके तट पर श्रीरंगम रंगनाथ स्वामी मंदिर स्थित है) में विस्फोट किया और पुल बनाए। भगवान ने मेरे लिए कुछ नहीं किया। अगर लोग वास्तव में मानते हैं कि राम सेतु वास्तविक है तो क्या अब परियोजना के खिलाफ क्रांति नहीं होनी चाहिए?

मजे की बात यही है कि उन्होंने “अपने धर्म” को भी स्पष्ट करते हुए कहा कि वह किसी भी व्यक्ति के हाथ काट देंगे जो उनके नेता (एमके स्टालिन) या अय्या (के वीरमणि) को छूने की हिम्मत करेगा। यूपीए के दौर में जब से सेतुसमुद्रम परियोजना प्रस्तावित की गई थी, तब से डीएमके कथित तर्क या विज्ञान के नाम पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचा रही है। दिवंगत डीएमके प्रमुख और सीएम के पिता एम करुणानिधि ने कहा था, “ऐसा कोई इतिहास नहीं है जो राम के अस्तित्व के बारे में बात करता हो या उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की हो या उन्होंने उस मामले के लिए एक पुल का निर्माण किया हो। (हंसते हुए) है क्या?”।

टीआर बालू और अन्य केवल उनके और ईवी रामासामी के नक्शेकदम पर चलकर हिंदू मान्यताओं का अपमान कर रहे हैं। दिवंगत टीएन सीएम जे जयललिता ने प्रस्तावित होने पर परियोजना का विरोध किया था और कहा था कि शिपिंग फर्मों में रुचि के कारण डीएमके इसका समर्थन कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि टीआर बालू के परिवार के सदस्य और कनिमोझी शिपिंग और रसद कंपनियों में खुद के शेयर हैं।

तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष के अन्नामलाई ने ट्विटर पर टीआर बालू के मंदिरों को गिराने के दावे का वीडियो साझा किया और कहा कि यही कारण है कि बीजेपी हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग को भंग कर मंदिरों को सरकार के चंगुल से मुक्त कराना चाहती है।

वहीं तमिलनाडु में वक्फबोर्ड की भी ऐसी घटना सामने आई है जिसने एक बार फिर से उस काले कानून के नाम पर हो रहे अन्याय को बताया है, जो हिन्दुओं की जमीन हड़पने का एक बड़ा हथियार बना बैठा है। तमिलनाडु वक्फ बोर्ड ने एक ही रात में हिन्दू किसानों की 50 एकड़ से अधिक जमीनें अपने नाम कर लीं।

हाल ही में, कुछ हिंदू पुरुषों और महिलाओं का पुलिस और सरकारी अधिकारियों के साथ उनकी कृषि भूमि को जब्त करने के लिए बहस करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। बाद में विवरण सामने आया कि इसमें सरकारी अधिकारी हिन्दुओं से कह रहे हैं कि वह अपनी जमीन वक्फ बोर्ड को सौंप दें, क्योंकि वक्फ बोर्ड के लोगों ने उनकी जमीन पर दावा किया था। घटना वेल्लोर के पास रानीपेट जिले के वेप्पुर गांव में हुई। रानीपेट मुस्लिम बहुल क्षेत्र है।

इस विषय पर भी भारतीज जनता पार्टी के नेता एच राजा ने सोशल मीडिया पर आवाज उठाई और ट्वीट किया कि सरकार ने हिन्दू किसानों से 56 एकड़ जमीन ले ली और उसे वक्फ बोर्ड को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि वह गाँव गए और पीड़ितो से बात की। उन्होंने कहा हिन्दुओं को अपनी संपत्ति न्यायालय के माध्यम से किसी वहाब की एक बीवी से वापस लेनी होगी क्योंकि वह अपना कर्ज नहीं चुका पाए थे।

उन्होंने डीएमके के शासन को मलिक काफूर का शासन बताते हुए आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड के माध्यम से जितनी जमीनों पर कब्ज़ा किया जा चुका है, वह उस धन से भी 7 गुना अधिक है, जो 2 जी घोटाले से कमाया गया था। उन्होंने दावा किया कि उन्हें अपने twitter खाते पर लगभग एक लाख से अधिक शिकायतें मिली हैं जिनमें हिन्दू सम्पत्ति को जबरन हथियाए जाने की बात है।

उन्होंने आश्वासन दिया कि भारतीय जनता पार्टी पीड़ितों के साथ खड़ी रहेगी।

वक्फ बोर्ड किस प्रकार से हिन्दुओं की सांस्कृतिक संपत्तियों पर अतिक्रमण कर रहा है, वह द्वारका में दो द्वीपों पर अधिकार का दावा कर दिया था। तब उच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कप्रश्न किया था कि आखिर भगवान की भूमि पर कैसे वक्फ दावा कर सकता है!

हालांकि फिर भी इन घटनाओं पर चर्चा नहीं होती है, विमर्श नहीं होता है!

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