मध्य प्रदेश में एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। हालाँकि यह मामला हाल के दिनों में ऐसा दूसरा मामला है, और जिस पर ध्यान देने आवश्यकता है। दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार इंदौर के राजेन्द्र नगर थाना क्षेत्र में एक होमोसेक्सुअल युवक ने अपने प्रेमी से प्यार में धोखा खाने के बाद और उसके अत्याचारों को न सह पाने के कारण स्वयं की जीवनलीला समाप्त कर ली।
मृतक का नाम हिमांशु शर्मा बताया जाता है। हिमांशु ने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है। वहीं पुलिस ने इस आत्महत्या के पूरे 89 दिनों के बाद मामला दर्ज किया है। भास्कर में उसका सुसाइड नोट भी प्रकाशित हुआ है।
क्या लिखा है हिमांशु ने अपने सुसाइड लेटर में
मैं……हिमांशु शर्मा बहुत परेशान था। मैं खुदकुशी कर रहा हूं जिसमें अमन मंसूरी का हाथ है। उसने मेरे साथ इतना बुरा किया जितना कि किसी के जीवन में नहीं हुआ। वह अपनी इच्छा से मेरे घर पर 3 साल तक रहा…मजबूरी बताकर। फिर मेरा शारीरिक शोषण किया। जब उसका मन भर गया तो उसने कहा अब मुझे किसी लड़की की चाहत है। उसने पहले भी एक लड़की को और धोखा दिया है। सब कहते थे अमन किसी का नहीं हुआ, लेकिन उसने मुझे भी प्यार कर अपनी मजबूरी बता कर चैन से रहने नहीं दिया। एक लड़की की चाहत में मुझे 2 माह से टॉर्चर कर रहा था। कल रात लड़ाई भी हुई और मेरी। उसने मुझे मारा पीटा,,, वह मेरे ऊपर चढ़ गया और मारता रहा। मेरे उल्टे हाथ को काट लिया जिसे मैं छुड़ाना चाहता था…
इस देश के कानून व पुलिस रक्षक से मेरा हाथ जोड़कर विनती है कि ऐसे इंसान को मत छोड़ना। जो कि हर किसी को अपने जाल में फंसा कर उसका जीवन बर्बाद कर रहा है। इसने मुझसे जबरन शादी भी की। मैंने उसे ढूंढ़ने की कोशिश भी की, लेकिन तब इसने भरोसा दिलाया कि मेरे साथ कुछ नहीं करेगा लेकिन इसने एक लड़की के चक्कर में मेरी जिंदगी खराब कर दी।
पुलिस के अनुसार सुसाइड नोट की पूरी तरह जांच के बाद ही मामला दर्ज किया गया। पुलिस के अनुसार अमन मंसूरी और हिमांशु शर्मा की दोस्ती थी, तीन साल वह लोग लिव इन में रहे और उसके बाद उसे किसी लड़की से प्यार हो गया और अमन उसे इसी बात को लेकर मारता पीटता था। जिस कारण उसने आत्महत्या की और अब अमन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
लखनऊ में लिंग परिवर्तन कर किन्नर बने जोया उर्फ़ अंशुमान की हत्या की थी फैजान ने
इसी प्रकार का मिलता जुलता मामला फरवरी 2022 लखनऊ से आया था। जिसमें लिंग परिवर्तन कराकर किन्नर बने जोया उर्फ़ आयुष्मान की हत्या उसी के साथी फैजान ने कर दी थी। फैजान उसी किन्नरों के समूह में रहता था, जिसमें फैजान ढोलक बजाने का काम करता था।
पुलिस से पूछताछ में फैजान ने बताया था कि
“आयुष्मान उर्फ जोया के साथ रहता था। दोनों में नजदीकियां थी। कुछ समय से जोया के संबंध एक अन्य युवक से हो गए थे। जिसको लेकर दोनों का झगड़ा होता था। झगड़े के दौरान ही रोटी बनाने वाले तवा से सिर पर प्रहार कर हत्या कर दी। इसके बाद भाग निकला।“
आयुष्मान सर्जरी करके किन्नर बना था
कुछ बातों पर ध्यान दिया जाना आवश्यक है। आखिर क्या कारण है कि इस विकृति का प्रचार प्रसार किया जा रहा है? और इसका शिकार कौन हो रहे हैं? हमने अपने पहले के लेखों में बताया है कि यह कितना बड़ा खतरा है। हाल ही में एक फिल्म आई थी चंडीगढ़ करे आशिकी, उसमें भी इसे ग्लैमराइज़ किया गया था। अर्थात आयुष्मान खुराना को ऐसी लड़की से प्यार होता है जो लिंग परिवर्तन के बाद लड़की बनी होती है। इसी के साथ शुभ मंगल सावधान, बधाई दो, जैसी फिल्मों ने इन विषयों को ग्लैमराइज कर दिया है! आखिर वह कौन सी शक्तियाँ हैं, जो ऐसी फिल्मों की फंडिंग कर रही हैं और समाज में विकृति उत्पन्न कर रही हैं?
और इतना ही नहीं ऐसे मामलों पर यह तर्क दिया जाता है कि “मेरी मर्जी, मेरी देह, मैं लड़की रखूं या लड़का!” जैसा जोया वाले मामले में हुआ था। आयुष्मान उर्फ़ जोया ने अपने घरवालों से कहा था कि यह उसका जीवन है, तो वह लड़की बनकर रहे, लड़का बनकर रहे या फिर किन्नर बनकर, यह उसकी आजादी है।
कहाँ से आती है यह आजादी की सोच जो इस सीमा तक लड़कों के दिमाग में जाकर बस गयी है कि भारत में महिला से पुरुष बनने की तुलना में पुरुष से महिला बनने की संख्या अधिक है।
बड़े बड़े शैक्षणिक संस्थानों के लिए प्यार की आजादी पर अजीब फ़िल्में बनाकर प्रदर्शित की जा रही हैं
भारत में ब्रिटिश काउंसिल ने 16 मार्च से 27 मार्च के बीच ऐसी फिल्मों का प्रदर्शन किया, जिसमें एलजीबीटीआईक्यू+ वालों के लिए फ़िल्में थीं, और यह फ़िल्में उसकी वेबसाईट पर भी देखी जा सकती हैं। इसमें लिखा था हमें ऐसे समुदाय के साथ खड़ा होना चाहिए, और विशेषकर उन स्थानों पर जहाँ पर इस बात को बहुत कम स्थान दिया जाता है कि “प्यार एक मानवाधिकार है!”
इन फिल्मों का प्रसारण आईआईटी खड़गपुर, आईआईएम अहमदाबाद, महिला आध्ययन विभाग गुवाहाटी विश्वविद्यालय जैसे स्थानों पर किया गया था।
आजादी के नाम पर नर एवं नारी की यौनिक एवं लैंगिक पहचान के बारे में इतना भ्रम उसके दिमाग में उत्पन्न कर देना कि वह अपनी सहज पहचान ही भूल जाए और फिर कहीं न कहीं शिकार हो जाए, या तो जिहाद का फिर अपनी सहज पहचान से घृणा करने के बाद आत्महत्या कर ले या फिर राईस बैग का शिकार हो जाए!
आवश्यक है कि अब इस विषय पर खुलकर बात हो, जैसे रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि लिंग परिवर्तन जैसा कुछ नहीं होता है, माँ माँ होती है और पिता पिता!और उन्होंने यह भी कहा कि इन दिनों जिस प्रकार लैंगिक और यौनिक पहचान के प्रति भ्रम पैदा हो रहा है, वह कोरोना वायरस जैसी महामारी का ही एक नया “स्ट्रेन” है।
पर क्या इतनी स्पष्टता हमारे नेतागण रखते हैं? क्या हमारे समाज के पास इस विकृति से लड़ने की पूरी तैयारी है या फिर मानवाधिकार जैसे चाशनी में पगे शब्दों के अंतर्गत इस शोषण को समझने का भी नैरेटिव है? हम कैसे सामना करेंगे, इसबात की तैयारी करनी ही होगी!
So according to the writer, being gay is degeneracy and movies promote being gay??!!! No ma’am I was not told by someone, or some movie like Shubh Mangal zyada savdhan to be gay , I knew it from my childhood itself. Hinduism accepted homosexuality when you people didn’t even exist, read Kamasutra and see the idols in temples of Khajuraho then you will understand what hindu dharma says about homosexuality and btw there are many instances of gender change in Hindu scriptures..how about the overly educated writer reads those scriptures before calling homosexuality degeneracy. Yes, homosexuals are exploited , but that doesn’t mean they are degenerate , victim blaming toh koi aap se seekhe 😉