हर हिन्दू त्यौहार पर मीडिया का बड़ा वर्ग हिन्दुओं और हिन्दुओं की परम्पराओं पर विरोध करना आरंभ कर देता है, जैसा हमने हर बार देखा है। विशेषकर दीपावली, होली और मकर संक्रांति पर यह पशु प्रेम से ओतप्रोत होता है। यहाँ तक कि पेटा तो रक्षाबंधन पर भी चमड़ा मुक्त राखी की बात करती है। दीपावली पर जानवरों को होने वाली परेशानी को लेकर वर्षों से कभी किसी एनजीओ के माध्यम से तो कभी कैसे भी मीडिया अपना हिन्दू विरोधी एजेंडा चलाता आया है।
जितना दर्द मीडिया हाउस को दीपावली के पटाखों के कारण जानवरों का दिखाई देता है, या फिर जो भी गैर सरकारी संगठन, कुत्तों और चिड़ियों के लिए दीपावली पर परेशान होते हैं, वह सभी क्रिसमस और ईद पर आँखें मूंदकर सोने चले जाते हैं। जो मीडिया हाउस यह बार बार कहते हैं कि इस दीपावली जानवरों को निश्चिन्त दीपावली देते हैं, वही क्रिसमस पर नॉन-वेज व्यंजनों की विधियां साझा करते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया कई वर्षों से जानवरों की ओट में पटाखों पर प्रतिबन्ध की बात करता आ रहा है। वर्ष 2017 में जब पटाखों पर प्रतिबन्ध लगा था तो उसने रिपोर्ट लिखी थी
“Firecracker ban: Animals can breathe easy this Diwali” अर्थात पटाखों पर प्रतिबन्ध! अब जानवर सांस ले सकते हैं!
उसीके एक और अख़बार इकनोमिक टाइम्स में था
“This Diwali, let’s celebrate with animals, says NGO”
अर्थात इस दिवाली हम जानवरों के साथ खुशी मनाते हैं, एनजीओ ने कहा!”
फिर उसके बाद वर्ष 2020 में एक समाचार प्रकाशित किया Make this Diwali happy for animals too, urges HSI India, अर्थात यह दिवाली आप जानवरों के लिए भी खुशी से भरी बनाएं, एचएसआई ने अनुरोध किया।
परन्तु दीपावली पर मीडिया हाउसेस का गैर जिम्मेदार व्यवहार यहीं तक नहीं रुकता है, बल्कि वह मिठाइयों के साथ तक पहुँचता है,
ऐसे ही इकनोमिक टाइम्स दीपावली के बाद लिखता है
“Five-day post Diwali diet to shed those festive kilos” अर्थात दीपावली के दौरान जो अतिरिक्त वजन पैदा हुआ है, उसे हटाने के लिए दीपावली के बाद पांच दिन की डाइट!
अर्थात, दीपावली की जो मिठाइयां हैं, उन्हें खाकर इंसान मोटा हो जाता है, या फिर वह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।
ऐसे ही इस बार द प्रिंट में खबर थी कि दीपावली की मिठाई अधिक खा ली है? ऐसे आप खुद को रीकवर कर सकते हैं!
और फिर लिखा था कि दीपावली की मिठाई से बच पाना कठिन होता है, मगर आप कुछ सलाहों का पालन करके सामान्य जीवन शैली पा सकते हैं!
अर्थात मीडिया की दृष्टि में दीपावली के पठाखे भी न फोड़े जाएं और दीपावली पर मिठाई भी न खाई जाए क्योंकि उससे आपका स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। वही मीडिया बकरीद पर नहीं कहता कि जानवरों को नहीं मारना चाहिए, या फिर मांसाहारी भोजन से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है?
इस समय दीपावली के पठाखे भी नहीं हैं, परन्तु फिर भी हवा दूषित है। बल्कि क्रिसमस के अगले दिन तो रिकॉर्ड स्तर का प्रदूषण दर्ज किया गया था।
दिल्ली में हवा की गुणवत्ता फिर से बहुत “गंभीर” स्थिति में पहुँच गयी थी!
परन्तु दुर्भाग्य मीडिया का यही है कि दीपावली आसपास नहीं थी, इसलिए वह किसी को दोषी नहीं ठहरा पाई! अगर दीपावली आसपास होती तो शायद मीडिया को कोई दोषी मिल जाता!
खैर अब आते हैं, मीडिया हाउस के पशु प्रेम पर! जो मीडिया हाउस दीपावली आने से पहले जोर जोर से चीखते हुए यह अपील करते हैं कि “जानवरों को दीपावली पर नुकसान होता है, वह परेशान होते हैं, तो वहीं वही मीडिया हाउस क्रिसमस के अवसर पर मांसाहारी व्यंजनों की विधियां शेयर करते हैं!
आरंभ करते हैं, संवेदना के कथित “सर्वोच्च स्तर पर” खुद को मानने वाले एनडीटीवी से!
ndtv फ़ूड दिल्ली में क्रिसमस की 6 विशेष जगहें बताता है, जहां पर जाकर क्रिसमस का आनंद उठाया जा सकता है, तो उसमें रोस्टेड टर्की का भी आनंद उठाने के लिए लोगों को प्रेरित कर रहा है!
इतना ही नहीं, ndtv फ़ूड, वर्ष 2014 में यह भी ब्लॉग लिख चुका है, कि चूंकि क्रिसमस पर बहुत ज्यादा टर्की बच जाता है, तो उस मांस का सदुपयोग कैसे करें?
इसी प्रकार टाइम्स फ़ूड लिखता है
प्रोपोगंडा और हिन्दू विरोधी समाचार चलाने वाले क्विंट ने वर्ष 2015 में दीपावली पर लिखा था कि “दीपावली पर पटाखे जलाने से पहले इन कुत्तों की यह अपील देखिएगा:”
और उसी की लाइफ स्टाइल वाली वेबसाईट fit.thequint में लिखा है:
आप इस क्रिसमस परफेक्ट रोस्ट किया गया चिकन ऐसे बना सकते हैं!”
अर्थात जानवरों के साथ दया आदि से इन मीडिया हाउसेस का कोई लेनादेना नहीं होता है, बस उन्हें हिन्दुओं के पर्व और त्यौहार से घृणा को प्रदर्शित करना होता है, इसलिए वह कथित संवेदना का सहारा लेती हैं। परन्तु उन्हें किसी भी पशु से बी ही कोई संवेदना है और न ही कोई परें, बस उन्हें हिन्दुओं के प्रति घृणा निकालने का अवसर मिल जाता है बस!
यदि ऐसा नहीं होता तो हिन्दुओं के त्योहारों पर जानवरों की रक्षा की दुहाई देने वाले, क्रिसमस पर मांसाहारी व्यंजनों की विधि नहीं बताते!