बेंगलुरु के अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में एक आश्चर्यजनक घटना घटी है, एक हिन्दू छात्र ऋषि तिवारी ने आरोप लगाया है कि इस्लामिक कटटरपंथियों और वामपंथी छात्रों ने उसके साथ भेदभाव किया, और उसके हिन्दू होने के कारण उन्हें परेशान किया। इन लोगों ने षड्यंत्र रच कर विश्वविद्यालय प्रशासन को प्रभावित किया, जिस कारण 2 मई, 2022 को, कॉलेज प्रशासन ने ऋषि को भविष्य की अकादमिक गतिविधियों में भाग लेने से निष्कासित कर दिया है।
ऋषि तिवारी उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बल्लन गांव के रहने वाले एमए विकास विषय के स्नातकोत्तर छात्र हैं। उनके अनुसार, 2020 में अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने के पश्चात उन्हें हिंदू होने के कारण परिसर में भेदभाव का सामना करना पड़ा है। तिवारी को संस्थान के प्रोफेसरों और अन्य शिक्षण कर्मचारियों द्वारा उनके बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध होने पर भी निशाना बनाया जाता रहा है।
ऋषि को ‘संघी’, ‘भाजपा का व्यक्ति’ और ‘कट्टरपंथी हिंदू’ के रूप में प्रचारित किया जाता था, और यह दुर्व्यवहार पिछले काफी समय से चलता आ रहा है। विश्वविद्यालय के शिक्षकों के अनुसार बनारस हिंदू विश्वविद्यालय एक ‘दक्षिणपंथी’ संस्थान है, और हिंदू धर्म का गढ़ रहा है, इसलिए वहां के छात्रों को लेकर उनके मन में हमेशा से भेदभाव रहा है।
हालांकि, यह मामला तब बढ़ गया जब तिवारी को छात्रों के एक समूह ने घेर लिया और उनके साथ मौखिक और शारीरिक दुर्व्यवहार भी गया। तिवारी ने बताया कि उन्हें एक मुस्लिम छात्र के चेहरे पर ‘कथित’ रूप से भोजन फेंकने और झगड़े के बाद उस पर थूकने के लिए एक फर्जी मामले में फंसाया गया था। इस घटना के बाद छात्रों के एक वर्ग ने ऋषि के विरुद्ध एक अभियान ही शुरू कर दिया था।
विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों ने ऋषि पर ‘इस्लामोफोबिया‘ फैलाने का कुत्सित आरोप लगाया। इस वजह से प्रशासन पर दबाव बढ़ा और उन्होंने जल्दबाजी में तिवारी को तत्काल प्रभाव से छात्रावास से निष्कासित भी कर दिया।

अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के आधिकारिक समूह को भेजे गए संदेश में, ऋषि तिवारी को घटना के बाद उनके निलंबन से पहले ही एक अपराधी घोषित कर दिया गया था। तिवारी ने आरोप लगाया है कि इस मामले में प्रशासन ने उनका पक्ष जानने कि कोई कोशिश भी नहीं की, और उन्हें वैचारिक मतभेद के कारण दंड दिया गया है।
इस सन्देश में उन्हें बदमाशी, उत्पीड़न और हमले के अपराधी के रूप में चित्रित किया गया है, जो सच्चाई से कोसों दूर है। ऋषि ने कहा कि उनका छात्रों के समूह से मात्र वैचारिक और धार्मिक मतभेद था, फिर भी उन्हें बार बार ‘संघी’ या ‘भाजपा समर्थक’ कहा गया। ऋषि तिवारी ने आरोप लगाया है कि उन्हें उनकी हिंदुत्व पहचान के कारण लगातार अलग-थलग किया जा रहा है। अगर उनकी हिंदू धर्म में आस्था है, तो यह कोई अपराध नहीं है। वैचारिक मतभेद होने का यह अर्थ नहीं है कि उन्हें शिक्षा या नौकरी के अधिकार से वंचित किया जाए।
विश्वविद्यालय में ऋषि तिवारी के विरुद्ध बड़े स्तर पर अभियान चलाया गया
एक बड़े षड़यंत्र के अंतर्गत विश्वविद्यालय के आतंरिक विषय को वामपंथी और इस्लामिक छात्रों ने सोशल मीडिया पर एक वैचारिक युद्ध के तौर पर प्रस्तुत किया जा रहा है । यह लोग सामाजिक मंच पर ऋषि तिवारी और उनके समर्थकों को खुले तौर पर ‘शर्मिंदा’ कर रहे हैं और उन्हें धमकियां भी दे रहे हैं।

इस मामले ने तब और तूल पकड़ लिया, जब अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के एक शिक्षक ने इस विषय पर एक ‘सॉलिडेरिटी नोट’ लिखा, जिसमें उन्होंने विश्वविद्यालय में कट्टरता की घटनाओं की निंदा करने का आह्वान किया। उन्होंने इस घटना के खिलाफ एक बैठक करने के लिए कहा और इस मामले में ऋषि तिवारी के विरुद्ध आक्रामक रुख भी अपनाया।

वामपंथी और इस्लामिक छात्रों के समूह ने इस घटना को ‘इस्लामोफोबिया’ बता कर ऋषि तिवारी के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिया है। एक मुस्लिम छात्र के मुँह पर थूकने की एक झूठी कहानी बना कर सोशल मीडिया पर कट्टर समूहों का समर्थन भी लिया जा रहा है और अत्यधिक छात्रों को आक्रामक प्रदर्शन के लिए जुटाया जा रहा है ।

ऋषि के अनुसार विश्वविद्यालय में हिन्दू उत्सवों को मनाने की भी आज्ञा नहीं है। पिछले वर्ष जब ऋषि और उनके कुछ मित्रों ने दीवाली उत्सव मनाया था, तब भी उनके विरुद्ध इन छात्रों के समूह ने दुर्व्यवहार किया था। यहाँ हिन्दू समाज को यह देखने की आवश्यकता है कि क्यों एक छात्र को मात्र उसके राजनीतिक और धार्मिक विचारो के मतभेद के कारण एक षड्यंत्र में फंसाया गया है, और उसे शिक्षा के अधिकार से वंचित कर दिया गया है।
हमें इस प्रश्न का उत्तर ढूंढना ही पड़ेगा कि क्या अपने धर्म का पालन करना अपराध है? हमारा संविधान हर धर्म के लोगो को उसका पालन करने की स्वतंत्रता देता है, लेकिन मात्र हिन्दुओ को ही क्यों निशाना बनाया जाता है? वहीं विश्वविद्यालय के प्रशासन पर भी सवाल उठते है कि उन्होंने बिना तथ्यों को जाने बिना एक छात्र पर इतनी कठोर कार्यवाही क्यों की? और क्यों शिक्षक इस विषय में एक पक्ष के विरोध में छात्रों को भड़का रहे हैं?
हिन्दू समाज का यह उत्तरदायित्व है की वह पुरजोर तरीके से ऋषि तिवारी और उनके मित्रों का समर्थन करे, साथ ही वामपंथी और इस्लामिक छात्रों के षड़यंत्र का मुँह तोड़ उत्तर देना चाहिए। वहीं सरकार को ऐसे विश्वविद्यालयों और कट्टर छात्र संगठनो पर नकेल कसनी चाहिए। भारत में जहां हिन्दू बहुसंख्यक है, वहाँ उन्हें अपने धर्म का पालन करने से नहीं रोका जा सकता।
The situation is turning worse everyday. But, Modi Govt is keeping mum and engaging in Minority appeasement. He is proving a liability as Gandhi was in the 1920s.