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Wednesday, October 16, 2024

हिन्दू-विरोधी हिंसा और अफवाहें:हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा में हिन्दुओं को ही दोषी प्रमाणित करने का बढ़ता चलन

रामनवमी से लेकर हनुमान जन्मोत्सव तक हिन्दुओं पर भयानक हिंसा हुई है। इस हिंसा की किसी ने इस सरकार में कल्पना नहीं की थी। कांग्रेस की सरकार में यह हर प्रकार की कल्पना की जा सकती है और कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण का रूप सभी को पता भी है। तभी राजस्थान में करौली में हिंसा की अपेक्षा की जा सकती थी, परन्तु दिल्ली में जो हुआ, और जो हो रहा है, वह कहीं न कहीं लोगों को आतंकित कर रहा है। दिल्ली में जो भी 16 अप्रेल 2022 को हुआ, वह जैसे वर्ष 2020 की हिंसा का विस्तार है।

पुलिस जैसे-जैसे तह में जा रही है, वैसे-वैसे पता चल रहा है कि उसके तार कैसे वर्ष 2020 में हुए दिल्ली दंगों से भी जुड़े हुए हैं। दिल्ली में रहने वाले सभी लोगों को नागरिकता विरोधी आन्दोलन और उसके बाद हुई हिंसा का स्मरण होगा ही। कैसे महीनों तक लोगों की ज़िन्दगी नरक बन गयी थी, कैसे शाहीन बाग़ में दिन रात मात्र हिन्दुओं के विरुद्ध बातें हुआ करती थीं। हिंदुत्व को उखाड़ फेंकने के लिए चर्चाएँ होती थीं और यह कहा जाने लगा था कि यही वह कदम है जिसपर चलकर इस सरकार को परास्त किया जा सकता है!

भारत सरकार द्वारा इस आन्दोलन और फिर किसान आन्दोलन के खिलाफ कड़ा कदम न उठाए जाने के कारण कहीं न कहीं उस टूलकिट के लोगों के हौसले बुलंद हैं एवं वह मध्यप्रदेश के खरगौन से लेकर दिल्ली हिंसा में हिन्दुओं को ही दोषी ठहराने के हर प्रकार के प्रयास में हैं। क्योंकि एक जो उन्होंने झूठ फैलाकर रखा हुआ था कि रमजान तो शान्ति का महीना होता है, उसमें हिंसा नहीं की जाती है आदि आदि, वह सब मात्र भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में की जा रही हिंसा से ध्वस्त हो गया है।

पहले जहाँ बम हुआ करते थे हाथ में, वह अब बड़े-बड़े, मोटे पत्थरों में बदल गए हैं। और जहाँ पहले आम व्यक्ति बमों का शिकार होता था, वहीं अब वह इन पत्थरों का होने लगा है। इन पत्थरों का प्रयोग इसलिए भी लाभदायक है क्योंकि पलटकर यदि किसी ने उत्तर दे दिया तो विक्टिम कार्ड भी खेलना सरल हो जाता है। यदि सरकार कोई कदम उठाए तो अफवाह फैलाना भी आसान हो जाता है। ऐसा ही कुछ अब हो रहा है। जहां दिल्ली में हिन्दुओं के विरुद्ध सुनियोजित हिंसा में आरोपी अंसार को समाजसेवी बताया जा रहा है, और उससे यह प्रश्न नहीं किया जा रहा कि उसके पास इतनी संपत्ति कहाँ से आई तो वहीं मध्यप्रदेश में भी अफवाहों का दौर चालू है।

ऐसी ही एक अफवाह फ़ैली कि जूसी वसीम शेख की गुमटी तोड़ दी गयी है और वसीम के दोनों हाथ कटे हुए हैं। अफवाह फैलाई गयी कि “मध्यप्रदेश सरकार ने इनकी गुमटी तोड़ दी, क्योंकि आरोप के मुताबिक उन्होंने शोभायात्रा पर ‘पत्थर’ चलाया था।”

वायर आदि पोर्टल्स के पत्रकारों ने इसे ऐसे लपक लिया जैसे वह इसीकी प्रतीक्षा में थे। और इसे खूब साझा किया जाने लगा। लोगों ने इसे यह कहते हुए साझा किया कि मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है आदि आदि! विनोद कापड़ी जैसे पत्रकारों ने भी इसे हाथों हाथ लिया और ट्वीट करने लगे

वहीं यह घटना शाम आते आते झूठी प्रमाणित हुई, जब वसीम शेख ने शाम को कहा कि “मेरी गुमटी नहीं तोड़ी गयी है! न ही मेरा घर तोडा गया है। लोग मेरा नाम लेकर अफवाहें न फैलाएं।”

वहीं प्रशासन की ओर से कहा गया कि जो लोग झूठी ख़बरें फैलाते हुए पाए जाएंगे उनके विरुद्ध कड़े कदम उठाए जाएंगे!”

हालांकि प्रशासन की ओर से और वसीम शेख की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि न ही गुमटी और न ही घर टूटा है, परन्तु फिर भी अफवाह फैलाने वाले पोर्टल्स के पत्रकारों की वाल पर यह ट्वीट मिलेगा।

मध्यप्रदेश में खरगोन में हिंसा में घायल शिवम का उपचार कराएगी सरकार

मध्यप्रदेश में खरगोन में हुई हिंसा में जीवन और मृत्यु का युद्ध लड़ रहे शिवम को जहाँ होश आ गया है, वहीं अब मध्यप्रदेश से यह भी सकारात्मक समाचार आ रहा है कि उसके उपचार का हर व्यय प्रदेश सरकार द्वारा उठाया जाएगा। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कल ट्वीट करते हुए कहा कि

इंदौर के अस्पताल में भर्ती खरगोन दंगा पीड़ित शिवम के पिता जी से आज कुछ देर पहले फ़ोन पर बात कर स्वास्थ्य का हाल-चाल जाना। उन्होंने शिवम के स्वास्थ्य में हो रहे सुधार से अवगत कराया और बेटी का विवाह कराने की बात कही।

अब शिवम का परिवार मेरा परिवार है। माता-पिता को बेटी के विवाह की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।

अपनी भांजी की शादी मैं करवाऊंगा, आप चिंता न करें।

शिवम के इलाज में भी किसी तरह की कमी नहीं आने दी जायेगी। मैं परिवार के साथ हूं।

यह अत्यंत ही चिंता का विषय है कि जहां एक ओर हिन्दू स्वयं पर हो रही अकारण मजहबी हिंसा का शिकार हो रहा है तो वहीं, उसे ही मीडिया द्वारा दोषी ठहराया जा रहा है और कहा जा रहा है कि वह उस इलाके में क्यों गए? मीडिया का लक्ष्य अभी भी पुलिस और प्रशासन से यह पूछना नहीं है कि अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी कैसे इतने बस गए कि उन्होंने मंदिर आदि सभी के सामने कचड़े का ढेर लगा दिया और हिन्दुओं के साथ प्रशासन क्यों नहीं है, इन अवैध बांग्लादेशियों पर कोई कदम क्यों नहीं उठाया गया? मीडिया के पूरे नैरेटिव से यह प्रश्न गायब हैं, शेष है तो बस यह कि “एकतरफा कार्यवाही क्यों हो रही है?”

क्या यही कारण है कि इन्हीं प्रश्नों से बचने के लिए कल यह बात उडी कि विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल ने बिना अनुमति के शोभायात्रा निकाली एवं उनके पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

हालांकि बाद में विश्व हिन्दू परिषद की ओर से अनुमति पत्र जारी किया गया

विश्वहिन्दू परिषद की ओर से यह कहा गया कि उन्होंने विधि सम्मत तरीके से ही शोभायात्रा निकाली थी। यह भी कहा गया कि विश्व हिन्दू परिषद की ओर से कोई भी गैर कानूनी काम नहीं किया गया है!

परन्तु न ही अफवाह फैलाने वाले मीडिया पोर्टल्स, न ही ऐसे पत्रकारों और न ही ऐसे समाचार पत्रों पर कोई कार्यवाही होती है, जो हिन्दुओं के संगठन को लेकर अफवाहें फैलाते हैं और उन्हें अपमानजनक तरीके से संबोधित करते हैं!

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