‘एक मुसलमान के लिए इस सम्भावना को कबूल करना कठिन है कि दुनिया के अन्य धर्म इस्लाम की छाया भी छू सकते हैं l इस्लाम प्रभावित होने से डरता है क्यूंकि संशोधित, प्रभावित अथवा सुधरा हुआ इस्लाम इस्लाम नहीं l अपने को सच्चा मुसलमान कहने वालों के साथ कठिनाई ये है कि ज़माने से उन्हें ये सीखाया गया है कि जिस देश पर मुसलमानों का राज्य नहीं, वह देश दारुल-हरब यानी ‘शत्रुओं का देश’ समझा जाना चाहिए l अतएव देश-भक्ति और धर्म-भक्ति को एक करके चलने में उन्हें कठिनाई होती l’ (पृष्ठ 344,355,335) ये कहना है राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर का अपनी किताब ‘संस्कृति के चार अध्याय’ में जिसकी प्रस्तावना लिखी है जवाहरलाल नेहरु नें l
इंग्लैंड के शहर लेस्टर में हाल ही में हुए मजहबी उन्माद को हम चाहें तो दिनकर के उपरोक्त कथन के सन्दर्भ में भी समझ सकते हैं l इस शहर में लगभग २ लाख भारतीय और 10 हजार पाकिस्तानी प्रवासी हैं l भारतीय प्रवासियों में से १ लाख मुसलमान, और 75 हजार हिन्दू है l
एशिया कप क्रिकेट में भारत को पाकिस्तान पर मिली जीत पर जश्न बनाने वालों में हिन्दू- खेल प्रेमी थे, जो कि जुलुस की शक्ल में ‘हिंदुस्तान जिन्दाबाद, वन्देमातरम’ के नारे लगाते हुए चल रहे थे l इस बीच पाकिस्तान समथकों में से किसी ने भारतीय झंडा छीनकर ज़मीन पर गिरा दिया, जिस की पीटाई हो गई l उस दिन तो झगड़ा किसी प्रकार टल गया, लेकिन बाद में इस मामले को इंग्लैंड में सक्रीय पीएफआई (पीपुल फ्रंट ऑफ़ इंडिया) और अन्य जिहादी संगठनों नें अपने हांथों में ले लिया l
नकाब पहनकर ये लोग हिन्दू बस्ती में घुसे और हिन्दू और भारत विरोधी नारे लगाते हुए घरों के साथ-साथ जिस किसी कार में हिन्दू देवी-देवताओं के प्रतिक चिन्ह लगे हुए थे उन पर हमले शुरू कर दिए l तनाव ने 50 किमी दूर स्थित बिर्मिंघम को भी अपने में समेट लिया l
भीड़ ने दुर्गा-भवन हिन्दू केंद्र का घेराव कर उत्तेजित नारे लगाये l वैसे स्थानीय प्रशासन ने कार्यवाही शुरू कर दी है l पर भारतीय मूल के पीएफआई के इस घटना से जुड़े होने से वहां बसे भारतीय मुसलमानों के दिल की गहराई में समाये पाकिस्तान प्रेम तो उजागर हो ही गया l