विशेष रूप से दक्षिण भारत में मजहबी कट्टरपंथी गतिविधीयों के लिए जानी जानेवाली तौहीद जमात (टीऐनटीजे) ने फिर सुर्खियां बटोरी हैं| उसने उन जजों को जान से मारने की धमकी दी है जिन्होनें हिजाब के मामले में दखिल याचिका को ख़ारिज कर दिया था| तमिलनाडु पुलिस ने इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया है|
मद्रास उच्च न्यायालय का एक फैसला पिछले वर्ष काफी चर्चाओं में आया था| घटना पेरम्बलूर जिले के कड़तूर गाँव की है, जहां मुसलमानों की आपत्ति के कारण चार प्राचीन मंदिरों से निकलने वाली रथ यात्राओं के मार्ग को सीमित कर दिया गया था| इस मामले को तूल देने में जिस संगठन का नाम सामने आया था वो कोई और नहीं बल्कि तौहीद जमात ही था|
ध्यान देने वाली बात ये है कि हिदुओं को ये अधिकार पुन: तब ही जाकर मिल सका जब उन्होंने हाई कोर्ट में शरण ली और रथ- यात्रा के अपने पुराने मार्ग को बहाल करने के कोर्ट ने आदेश पारित किये| मूर्ती-पूजा को ‘शिर्क’ (पाप) बताते हुए इसको ख़त्म कर ‘शरिया-निज़ाम’ को तमिलनाडु में स्थापित करने की एक शपथ तौहीद जमात की २०१६ में एक विशाल रैली निकाल कर ली गयी थी| रैली के पोस्टर पूरे तमिलनाडु और विशेषकर वहां के मंदिरों के आसपास बड़ी मात्रा में लगाये गए थे|
इस तथा-कथित शिर्क के खिलाफ निकाले जाने वाली रैलीयां तमिलनाडु में अब आम बात हो चुकी है| याद करिए दो वर्ष पूर्व श्रीलंका जिहादी हमले की घटनाओं से दहल उठा था| श्रीलंका में सक्रीय मुस्लिम तौहीद जमात का इस हमले में शामिल होने के सबूत वहां कि खुफिया पुलिस के हाथ लगे थे|
वैसे सच ये भी है कि तमिलनाडु में सांप्रदायिकता को इस स्तर पर पहुँचाने में स्थानीय राजनीती का बड़ा योगदान रहा है| पिछले विधान सभा चुनाव में चर्च नें अपने अनुयायीयों से खुला आव्हान किया था कि वो अपना वोट स्टॅलिन की डीएमके के पक्ष में डाले| खबर है कि जीतकर आने पर स्टॅलिन नें एक चर्च में पहुंचकर कहा था कि उनकी सरकार उनके (ईसाईओं) के द्वारा ही बनायी गयी है| अभी हाल में ही एक स्वघोषित ईसाई एक्टिविस्ट और लेखिका ये कहकर सनसनी फैला चुकी हैं कि यदि भाजापा को राज्य में में बढ़ने से रोकना है तो मिसनरी के द्वारा चलने वाले धर्मान्तरण को और गति देनी होगी !
‘कश्मीर फाइल्स’ को लेकर रिपोर्ट है कि तमिलनाडू समेत पूरे दक्षिण भारत में मूवी को अप्रत्याशित सफलता मिली है| चेन्नई में ये पिक्चर 15 शोज़ में चल रही थी, फिर भी टिकट को ब्लैक में लेने की मची होड़ थमी नहीं| इसको देखते हुए 10 शोज़ और शुरू करने पड़े| मन में प्रश्न उठ सकता है कि इस मूवी को मिले इस रिस्पांस के पीछे कहीं प्रदेश में बढ़ती मजहबी और धर्मान्तरण की गतिवीधीयाँ तो नहीं|