कुछ दिन पहले कॉमेडियन वीर दास ने अपनी एक कथित कविता से सनसनी फैला दी थी कि दो इंडिया हैं। और फिर कई उदाहरण दिए थे। यह तो नहीं पता कि दो इंडिया थे या नहीं, पर हाँ जिस प्रकार से “इंडिया” अर्थात एक औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रसित वर्ग ने, जिसके लिए भारत और हिन्दुओं का कोई मोल नहीं है, उसने जनरल रावत की दुखद मृत्यु पर अट्टाहास किया था, तो आज तमिलनाडु में भारत ने “वीरा वणक्कम, भारत माता की जय” बोलकर यह प्रमाणित कर दिया कि देशभक्त “भारत” से औनिवेशिक और गुलाम “इंडिया” अवश्य ही पराजित होगा।
कल जब पूरा का पूरा भारत अपने प्रिय जनरल रावत की असमय मृत्यु पर शोक में डूबा था तभी एक विशेष आयातित और औपनिवेशिक मानसिकता वाला वर्ग प्रफुल्लित था। यह वर्ग क्यों जनरल रावत से कुपित था, यह औपनिवेशिक गुलामी की शॉल ओढ़े वर्ग है, जिसे भारत की बात करना नापसंद है। जिसे भारत की हिन्दू चेतना से चिढ है, घृणा है, जिसे इस बात से चिढ थी कि क्यों जनरल रावत खुलकर आतंकवादियों को मारने की बात कहते हैं।
क्यों वह कभी भी प्रधानमन्त्री मोदी के विरोध में नहीं जाते हैं? क्यों उन्होंने कश्मीर में मानवाधिकारों के हनन की यूएन रिपोर्ट का विरोध किया था और क्यों वह हमेशा अपनी सेना के साथ खड़े रहते थे। उन्होंने इस रिपोर्ट के विषय में कहा था कि “मुझे नहीं लगता कि हमें इस रिपोर्ट को गंभीरता से लेना चाहिए। इनमें से कई रिपोर्ट दुर्भावना से प्रेरित होती हैं। मानवाधिकारों को लेकर भारतीय सेना का रिकॉर्ड काफ़ी बेहतर है।”
पढ़े लिखे औपनिवेशिक इंडिया ने जनरल रावत के जाने पर हर्ष व्यक्त किया था और ऐसे में एक आईआईटी दिल्ली का भी एक विद्यार्थी था।
हालांकि अब मामले की जांच हो रही है।
कल हमने अपने लेख में बताया ही था कि कैसे कुछ सेना के ही लोगों ने उन पर टिप्पणी की थीं, हालांकि कई लोगों पर कार्यवाही होना आरम्भ हो गयी है, गुजरात में गिरफ्तारियां हो रही हैं, परन्तु जो लोगों को प्रभावित करते हैं, उन पर क्या होगा? जैसे कल हमने देखा था कि एचएच पनाग जैसों ने टिप्पणियाँ की थीं। कांग्रेस की नेशनल हेराल्ड की पत्रकार ने टिप्पणी की थी, ऐसे ही एयरफोर्स से रिटायर हुई विंग कमांडर अनुमा आचार्य, जिन्हें पहले प्रधानमंत्री मोदी पर बहुत विश्वास था, परन्तु अब वह कांग्रेस की प्रवक्ता हैं, ने नितांत आपत्तिजनक ट्वीट किया था।

ऐसे ही एक और कथित पढ़े लिखे “औपनिवेशिक” गुलाम ने linkendin पर एक पोस्ट पर टिप्पणी की है

धीरे धीरे लोग गिरफ्तार हो रहे हैं! और अपने नायक के असमय जाने से आम जनता दुखी है। हर ओर से समाचार आ रहे हैं कि लोगों ने अपने व्यक्तिगत आयोजन तक रद्द कर दिए।
ऐसे में तमिलनाडु से आया हुआ यह वीडियो वास्तव में भावुक कर देता है।
लोग पुष्पों की वर्षा कर रहे हैं! कृतज्ञ राष्ट्र आज अपने नायक को श्रद्धांजलि देने के लिए उठ खड़ा हुआ है, यह भारत के नागरिक हैं! यह वही भारत है जिसके विषय में कहा गया है:
उत्तरम यत्समुद्रस्य हिमाद्रेशचैव दक्षिणम।
वर्ष तदभारतम नाम भारती यत्र संतति।।
इस भारत को तोड़ने के लिए कई शक्तियां प्रयासरत हैं, इस भारत को तोड़ने के लिए औपनिवेशिक इंडिया तैयार है, जिसके सिटीजन ने घेर लिया था भारत को, परन्तु आज भारत फिर से खड़ा हुआ, अपने नायकों के लिए!
पत्रकार शिव अरूर ने पुस्तक “इंडिया’ज मोस्ट फियरलेस” के प्राक्कथन का उल्लेख किया। और उसमें जनरल रावत ने जो पंक्ति लिखी थी, वह उनकी व्याख्या करने के लिए पर्याप्त है:
“निडरता ही आध्यात्मिकता की प्रथम आवश्यकता होती है! कायर कभी नैतिक नहीं हो सकते!”
कल से लेकर आज तक जो लोग भी जनरल रावत के असमय निधन पर हँस रहे हैं, वह नैतिक नहीं हो सकते, वह भारत के नहीं हो सकते क्योंकि भारत के होकर भारत के सपूत को गन्दी राजनीति में कोई नहीं घसीट सकता है।
वहीं कुछ लोग अभी भी उनकी पत्नी को लेकर आपत्तिजनक बातें कर रहे हैं:
आवश्यक है, इनका प्रतिकार हो!
चलते चलते कुछ चित्र आम जनता के अपने नायक के लिए:




यह देश अपने नायकों का आदर करना जानता है और नायकों का अनादर करने वालों को उनका स्थान दिखाना भी!