आज भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर से देश को संबोधित करते हुए दो बड़ी घोषणाएं कीं। पहली घोषणा तो टीकाकरण से सम्बन्धित हैं। टीकाकरण को लेकर उन्होंने समस्त प्रक्रियाएं बताईं और यह भी बताया कि राज्यों के पास केवल 25 प्रतिशत ही टीकाकरण का काम था, अब उसका उत्तरदायित्व भी केंद्र सरकार के पास रहेगा!
और केंद्र सरकार 21 जून के बाद से 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों को निशुल्क वैक्सीन लगगाएगी। इन दो सप्ताहों में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर नए दिशानिर्देशों के अनुसार अपनी व्यवस्था करेंगी।
अब उम्मीद की जा सकती है कि राज्य सरकारों द्वारा की जा रही वैक्सीन की बर्बादी समाप्त होगी। क्योंकि हाल फिलहाल राजस्थान सरकार ने वैक्सीन की कितनी बर्बादी की है वह सभी ने देखा। जमीन में गाढ़ दिया गया, और फेंक दिया गया। इतना ही नहीं पंजाब की कांग्रेस सरकार ने तो वैक्सीन को निजी अस्पतालों को बेच दिया था। बाद में किरकिरी होने पर यह निर्णय वापस लिया।
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने देश में ही वैक्सीन के निर्माण और विकास के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बहुत ही कम देशों में वैक्सीन का उत्पादन और विकास किया जा रहा है और बहुत ही कम कंपनियां यह कार्य कर रही हैं, तो ऐसे में यदि भारत में वैक्सीन का निर्माण न हुआ होता तो क्या होता? आज भारत में 23 करोड़ से अधिक लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की यह बात बहुत अधिक महत्वपूर्ण है कि यदि भारत में वैक्सीन का उत्पादन और विकास न हुआ होता, तो आज भारत की क्या स्थिति होती? सभी देख रहे हैं कि कैसे फ़ाइज़र ने अर्जेंटीना और ब्राजील की सरकारों को ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी और भारत में भी क्लीनिकल ट्रायल पर अनुमति न देने के साथ ही अपनी जिम्मेदारियों से मुक्ति माँगी थी।
यदि भारत ने स्वयं की अपनी वैक्सीन का निर्माण न किया होता तो आज न जाने किसकी शर्तों से कितना समझौता करना पड़ रहा होता! यह एक अत्यंत गंभीर प्रश्न है, गंभीर स्थिति है। परन्तु यह सौभाग्य की बात है कि भारत को ऐसी स्थिति का सामना इसीलिए नहीं करना पड़ा क्योंकि उसके पास अपनी वैक्सीन थी।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि आज देश में एक नहीं बल्कि 7 कंपनियां विभिन्न प्रकार की वैक्सीन का उत्पादन कर रही हैं और बच्चों के लिए वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है।
इसी के साथ उन्होंने कुछ राज्यों द्वारा वैक्सीन एवं अन्य मुद्दों पर की गयी राजनीति पर भी बात की। उन्होंने यह भी कहा कि दूसरी लहर के दौरान अप्रेल और मई के महीने में भारत में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग इतनी बढ़ गयी थी कि कल्पना भी नहीं की जा सकती थी।
उन्होंने कहा कि पूरा विश्व इस महामारी का सामना कर रहा है और ऐसी महामारी आधुनिक विश्व ने न ही देखी थी और न ही अनुभव की थी। उन्होंने देश भर के किये गए प्रयासों की भी सराहना की।
वैक्सीन पर आज की घोषणा के बाद अब यह आशा की जा सकती है कि राज्य वैक्सीन को ले कर की जा रही राजनीति बंद करेंगे एवं विदेशी वैक्सीन के लिए लॉबी करना बंद करेंगे, जैसा हमने देखा कि कैसे फ़ाइज़र के पक्ष में कांग्रेस से लेकर आम आदमी पार्टी तक लामबंद हो गए थे। चेतन भगत जैसे लोग भी विदेशी वैक्सीन के समर्थन में पोस्ट लिख रहे थे। एक बड़ा पत्रकार वर्ग फ़ाइज़र जैसी वैक्सीन के पक्ष में मुहीम चला रहे थे।
इसी के साथ उन्होंने आज फिर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को दीपावली तक जारी रखने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि महामारी के समय में सरकार गरीब की हर आवश्यकता के साथ उनकी साथी बनकर खड़ी है। अब नवम्बर तक अस्सी करोड़ से अधिक देश वासियों को हर माह एक निर्धारित मात्रा में अन्न प्राप्त होगा।
प्रधानमंत्री ने वैक्सीन के विषय में फैलाई जा रही अफवाहों पर भी चर्चा की और उन्होंने कहा कि जो भी वैक्सीन को लेकर आशंका व्यक्त कर रहे हैं और अफवाहें फैला रहे हैं वह लोगोंके जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
आज के संबोधन के उपरान्त हालांकि आम जनता यह आशा करेगी कि महामारी के समय राजनीति बंद हो, पर विपक्ष क्या करता है अब यह देखना होगा!
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