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Monday, June 30, 2025

“स्कूल में बिकनी का क्या काम?” पत्रकार के सवाल पर उखड़ी प्रियांका गांधी!

लड़की हूँ लड़ सकती हूँ का नारा देने वाली प्रियांका गांधी, लड़कियों को लड़ने की वकालत करती दिखाई पडती हैं, पर न जाने क्यों लड़कों से बैर है, कि उनके सही प्रश्नों पर उखड जाती हैं। क्या लड़कों को प्रश्न भी पूछने का अधिकार नहीं है? आग लगाकर वह यह भी नहीं चाहतीं कि कोई उन्हें उस आग के लिए उत्तरदायी भी ठहराए,

कर्नाटक में हिजाब की लड़ाई में पेट्रोल डालते हुए कल प्रियांका गांधी ने ट्वीट किया कि, चाहे बिकनी हो, घूँघट हो, जींस हो या हिजाब, यह महिलाओं का अधिकार है कि वह क्या पहनना चाहती हैं। यह अधिकार उन्हें संविधान देता है, लड़कियों को परेशान करना बंद करें

परन्तु यह मामला तो केवल और केवल स्कूल और कॉलेज से जुड़ा हुआ था, ऐसे में बिकनी की क्या भूमिका थी? क्या स्कूल या कॉलेज में ड्रेसकोड त्याग कर कोई व्यक्ति जा सकता है? नहीं, क्या स्कूलों में बिकनी पहनी जा सकती है? नहीं! तो फिर प्रियांका गांधी ने ऐसा क्यों कहा? क्या वह इस आग में और पेट्रोल डालना चाहती हैं क्योंकि यह उनके ही नेता हैं जो इन लड़कियों की ओर से कुरआन की दलीलें न्यायालय में प्रस्तुत कर रहे हैं।

क्या यह माना जाए कि यह जानबूझकर केवल टुकड़े टुकड़े गैंग का किया गया नया काम है, जिसे पूरी तरह से कांग्रेस का समर्थन प्राप्त है:

यह भी प्रश्न पूछा तो जाएगा ही कि आखिर क्यों कांग्रेस खुलकर उन लड़कियों को पिछड़ेपन में धकेल रही है, यह पूछा ही जाना चाहिए कि क्यों कांग्रेस ही है जो शाहबानो से लेकर आज तक मुस्लिम औरतों को कट्टरपंथियों के सामने चारे के रूप में फेंकती हुई आई है। वह चाहती है कि मुस्लिम गटर में ही रहें, यह बात आरिफ मोहम्मद खान ने एक इंटरव्यू में कही थी कि जब उन्होंने शाहबानों के मामले पर कांग्रेस का विरोध किया था तो कांग्रेस ने उनसे कहा था कि मुस्लिमों को गटर में रहना है तो रहने दो

उन्होंने कहा था कि पीवी नरसिम्हा राव ने उनसे कहा था, “तुम इस्तीफ़ा क्यों दे रहे हो? तुम्हारा अभी लंबा करियर है। इस मामले में तो अब शाहबानो भी मान गई है। हम कोई समाज सुधारक नहीं हैं। अगर मुसलमान गटर में रहना चाहते हैं तो रहने दो।”

मुस्लिम औरतों के प्रति ऐसी सोच रखने वाली कांग्रेस अब खुलकर औरतों के मामले में जहर भरने के लिए सामने आ गयी है। और वह चाहती है कि कोई उसके बेतुके तर्कों पर प्रश्न न करे।

परन्तु पत्रकार हैं तो प्रश्न तो होंगे ही। कल टीवी 9 के पत्रकार अभिषेक उपाध्याय ने प्रियांका गांधी से प्रश्न पूछ लिया कि

“प्रियंका जी, स्कूल में बिकनी कहां से आ गयी? हिजाब का मसला तो शैक्षिक संस्थान के संदर्भ में था।”

लखनऊ की प्रेस कॉन्फ्रेंस में मेरे इस सवाल पर यूं भड़क गईं प्रियंका गांधी।

फिर तो लगातार

उनके जवाब

मेरे सवाल

रानी साहिबा से कोई ऐसे प्रश्न पूछ ले और वह भी इस प्रकार तो रानी साहिबा का भडकना स्वाभाविक है। उन्होंनें अपनी बात दोहराते हुए कहा “एक लड़की का अधिकार है, कि वह बिकनी, हिजाब या साड़ी पहन सकती है!”

लड़की हूँ, जबाव दे सकती हूँ, पर पुरुष प्रश्न नहीं कर सकता के सिद्धांत पर चलते हुए प्रियांका गांधी को गुस्सा तो आया, परन्तु अभिषेक उपाध्याय ने फिर से प्रश्न कर दिया, कि स्कूल में बिकनी का क्या काम, तो उसके बाद प्रियांका जी और भड़क गईं और बोलीं कि “मैं आपसे कहती हूँ कि स्कार्फ उतारो!”

परन्तु पुरुषों का स्कार्फ उतारने वाली प्रियांका गांधी इस बात का उत्तर नहीं दे पाईं कि क्यों आखिर स्कूल में बिकनी आवश्यक है या कामत जी के अनुसार स्कूल कुरआन से चलेगा या स्कूल अपने नियमों को लागू करेगा?

क्या कांग्रेस अब दक्षिण के राज्यों से आग भड़काने की कोशिश में है? क्या कांग्रेस की हताशा अब इतने चरम पर चली गयी है कि वह हर प्रश्न उठाने वालों को संघी या कुछ और कहेगी? क्या कांग्रेस अब भी प्रमाणपत्र वितरण का कार्य करती रहेगी? दरअसल कांग्रेस का अपना इकोसिस्टम अभी भी इतना मजबूत है कि कांग्रेस के पक्ष में समर्थन करने वाले लेखक और पत्रकार अपने आप ही निष्पक्ष स्वयं को घोषित कर लेते हैं, और स्पष्ट है कि प्रियांका गांधी से प्रश्न पूछने वाले अभिषेक उपाध्याय पर भी प्रहार होने लगे। और उन्हें खाकी निक्कर बताया जाने लगा। उत्तर प्रदेश कांग्रेस की ओर से एक ट्वीट आया

अभिषेक जो खाकी निक्कर पहनते हैं और पत्रकार का चोला भी ओढ़ के रखते हैं, वो एजेंडा पत्रकारिता में बौरा जाते हैं।

आपकी आदत बन गई है मंचों पर मिमियाने की। एक औरत ने अपने अधिकार की बात उठाकर आपसे स्कार्फ उतारने को को बोल दिया तो उसे भड़कना नहीं, आइना दिखाना कहते हैं।

अब प्रश्न उठता है कि क्या कांग्रेस की प्रेस कांफ्रेंस में कोई ड्रेस कोड था? यदि होता और उसका पालन अभिषेक या किसी और पत्रकार ने न किया होता तो यह सारी बहस होती। परन्तु अब धीरे धीरे यह स्पष्ट होता जा रहा है कि कांग्रेस और कांग्रेस पोषित वाम फेमिनिज्म एक बार फिर से मजहबी लड़ाई छेड़ने के लिए तैयार है! और निशाना दक्षिण से होता हुआ उत्तर है!

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