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Friday, April 26, 2024

कर्नाटक में हलाल मांस पर मचा है बवाल? पर गैर-मुस्लिम क्यों खाएं हलाल मांस? प्रश्न इतना ही है कि क्या हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार नहीं है?

कर्नाटक में इन दिनों हिजाब के बाद मंदिरों के मेलों से मुस्लिम दुकानदारों के बहिष्कार का अभियान चल चुका है और साथ ही यह भी हमने देखा कि हिन्दू समुदाय इस बात से बहुत ही अधिक आहत है कि कैसे मुस्लिम व्यापारियों और मुस्लिम समुदाय ने उच्च न्यायालय के निर्णय का भी आदर नहीं किया और उस निर्णय के विरोध में बाजार बंद किया, प्रदर्शन किया। इस कट्टरता के प्रदर्शन से हिन्दू समाज आहत है एवं कुछ मंदिरों ने यह तय किया कि अब सालाना मेलों में मुस्लिम व्यापारियों को दुकान नहीं देंगे।

हालांकि इस मामले पर उडुपी में मुस्लिम व्यापारियों ने पेजावर मठ के श्री विश्वप्रसन्ना तीर्थ स्वामी जी से भेंट की थी एवं उनसे अनुरोध किया था कि वह एक दो लोगों द्वारा किए गए गलत कामों का दंड पूरे समुदाय को न दें क्योंकि उडुपी में सामाजिक सौहार्द का इतिहास है और यहां पर मठों में मुस्लिम समुदाय की दुकानें लगती चली आ रही हैं। स्वामी जी से मिलने अबुबक्कर अत्रादी और फादर चार्ल्स मेनेज्स के नेतृत्व में कुछ लोग गए थे।

अबुबक्कर अत्रादी ने कहा था कि उन्होंने स्वामी जी से मिलकर समाज में शांति लाने के लिए काम करने का अनुरोध किया है। मुस्लिम समुदाय भी शान्ति चाहता है, एक दो लोगों की गलतियों की सजा पूरे समुदाय को देना गलत है। हम सभी को एक साथ रहना चाहिए!”

वहीं स्वामी जी ने इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि हिन्दू धर्म के साथ बहुत गलत हो रहा है और बहुत गलत हुआ है। हम इस बात से सहमत हैं कि समाज में सभी को शांति से रहना चाहिए, पर इसके लिए समाज के हर वर्ग से प्रयास होने चाहिए। हिन्दू समुदाय बहुत आहत है और हम केवल उनकी समस्याओं का समाधान ऊपर से धर्माचार्य होने के नाते निर्देश देकर नहीं दे सकते।”

स्वामी जी ने गौवध की ओर संकेत करते हुए कहा कि “आज हिन्दू समाज ने प्रतिक्रिया देना आरम्भ किया है क्योंकि कई पीड़ादायक स्थितियों का सामना उन्होंने किया है। गौशालाओं से हमारे कई पशु चुराए गए हैं। इससे हमारी भावनाएं आहत होती हैं। यदि कोई गलती करता है, तो यह पूरे समुदाय को प्रभावित करता है। जो भी आपराधिक कृत्य करते हैं, यदि उनका समर्थन नहीं किया जाएगा, केवल तभी ही समाज में शांति स्थापित हो पाएगी!”

अर्थात स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि मुस्लिम समुदाय को अपने कृत्यों की ओर झांककर देखना ही होगा, कि उन्हें क्या करना है। और उन्हें अपराधियों का समर्थन करना बंद करना ही होगा। यह भी देखना रोचक है कि मुस्लिम समुदाय की ओर से उस हिंसा के विरोध में अब तक कोई भी क्षमा या खेद प्रकट नहीं किया गया है, जो कथित हिजाब आन्दोलन के दौरान हुई थी।

अभी भी हिजाब के कारण कुछ मुस्लिम लड़कियों का परीक्षाओं का बहिष्कार जारी है! मुस्लिम समुदाय से अभी तक इसका विरोध नहीं हुआ है।

और जिस प्रकार से स्कूल में हिजाब का विरोध करने पर हर्षा की हत्या हुई थी, उससे भी लोगों में कहीं न कहीं रोष है ही।

अब हलाल मांस पर मचा है शोर

कर्नाटक में अब हलाल के विरोध ने जोर पकड़ लिया है। दरअसल कर्नाटक में राज्य में हिन्दू नव वर्ष के उपरांत उगाडी पर्व पर हिन्दू भगवान को मांस की भेंट चढ़ाते हैं एवं नया साल मनाते हैं। हिन्दू संगठनों का यह कहना है कि वह हलाल किए गए मांस को कैसे अपने भगवान पर चढा सकते हैं? हलाल का अर्थ ही है इस्लामिक तरीके से पशु को काटा जाना और अल्लाह को समर्पित करना। तो जो चीज एक बार किसी को चढ़ चुकी है, क्या उसे फिर से हिन्दू अपने भगवान पर चढ़ा सकते हैं?

हिंदू जागृति समिति, श्रीराम सेना, बजरंग दल सहित आठ समूहों ने हिंदुओं से अपील की है कि वह हलाल मांस न खरीदें। वह मात्र झटका मांस खरीदें, जो हिन्दू पारम्परिक पद्धति के अनुसार काटा गया मांस होता है।

हिन्दू संगठनों का यह भी कहना है कि हलाल का अर्थ मात्र अर्थव्यस्था पर कब्जा करना है। उनका कहना है कि जब खाद्य प्रमाणन के लिए एफएसएसएआई और एफडीए जैसी सरकारी संस्थाएं हैं तो मजहब के आधार पर प्रमाणपत्र की आवश्यकता क्या है?

वहीं टाइम्स नाउ के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय सचिव सीटी रवि ने कहा कि हलाल इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि उत्पाद केवल मुसलमानों के द्वारा ही खरीदे जाएं और व्यापार तो हमेशा दो तरफ़ा होना चाहिए, एकतरफा नहीं।

रवि ने कहा कि “जब वह लोग सोचते हैं कि हलाल मांस को प्रयोग किया जाना चाहिए, तो यह कहने में क्या आपत्ति है कि इसे नहीं खरीदा जाना चाहिए?”

सीटी रवि ने कहा कि हलाल मुस्लिमों के लिए प्रिय हो सकता है, परन्तु हिन्दुओं के लिए यह जूठन है।

रवि ने यह भी कहा कि अगर मुस्लिम गैर-हलाल मांस खाने के लिए तैयार होते हैं, तभी हिन्दुओं को हलाल मांस खाना चाहिए।

इस बात को लेकर किरण मजुमदार शॉ भी कूद गयी हैं और उन्होंने मुस्लिम व्यापारियों के खिलाफ हो रहे इस कथित “अत्याचार” के विरोध में अपना क्रोध व्यक्त किया है। जबकि यह मामला हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार का है। हलाल का अर्थ होता है अल्लाह का नाम लेकर पशु को कुर्बान करना। अल्लाह के नाम पर जिसकी कुर्बानी पहले ही दी जा चुकी है, तो क्या झूठी वस्तु को हिन्दू अपने भगवान को चढ़ा सकता है?

और सीटी रवि भी एकदम सही कहते हैं कि यह आर्थिक जिहाद है क्योंकि हलाल उत्पाद वही है जिसे इस्लामी क़ानून अर्थात शरिया के अनुसार बनाया जाए

https://halalindia.co.in/

अर्थात यह आर्थिक जिहाद है एवं हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों पर आघात! जो उत्पाद पहले ही अल्लाह को कुर्बान किए जा चुके हैं, अर्थात अल्लाह को चढाए जा चुके हैं, क्या उन्हें हिन्दू अपने भगवान पर चढ़ा सकता है?

क्या हिन्दुओं का यह धार्मिक अधिकार नहीं है कि वह गैर-हलाल उत्पादों की मांग भी कर सकें? क्या अपने धार्मिक अधिकारों की मांग करना समाज में कटुता बढ़ाने की बात करना है?

यही बात पेजावर मठ के स्वामी जी ने कही है कि समाज में सौहार्द बनाए रखने का उत्तरदायित्व सभी का है, हिन्दुओं के धार्मिक अधिकार छीनकर उनसे ही चुप रहने की अपेक्षा रखना ही संभवतया सेक्युलरिज्म है!   

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1 COMMENT

  1. Namaskar Everyone! THIS STORY IS DEFINITELY OUTRAGEOUS! “ALL HINDUS SHOULD KNOW THE AUTHENTIC HISTORICITY OF THE BARBARIC AND HEINOUS COLONIZATION, PILLAGE, PROSELYTIZATION, PREDATION, RAPE, ETC., ETC. AND OTHER ATROCITIES PERPETRATED BY THE ANCESTORS OF THE CURRENT MUSLIM ALIENS WHO ARE PREDATORILY AND PARASITICALLY LIVING IN THE LAND OF THE SANATAN DHARMIC PEOPLES”! Hindus should learn that “BEING TOO GOOD IS NOT ALWAYS GOOD”! And, Hindus should comprehend and then apply their ideology of VASUDHAIVA-KUTUMBAKAM (THE WHOLE WORLD IS ONE BIG FAMILY), when the OUTSIDERS AND FOREIGNER-SETTLERS HAVE AN “AGENDA” & ARE BENT ON DESTROYING OUR ETERNAL DHARMIC CIVILIZATION.

    Meanwhile, Hindus are lost as well! Please, don’t continue your ancestors’ NONSENSICAL “CULTURES AND TRADITIONS” OF EATING MEAT. “NO HINDU SCRIPTURES MENTIONS OF KILLING AND EATING MEAT”. DON’T YOU BELIEVE IN KARMA AND AHIMSA AND DHARMA? ONLY A SICK AND PERVERTED HUMAN BEING WILL FEEL LIKE KILLING AND THEN EATING OTHER CREATURES WHO HAVE LIFE (SENTIENCE) AND ARE CREATED BY THE SAME ALL MIGHTY ETERNAL GOD. LET ME EXPLAIN:

    A PERSON IS BORN INTO A PARTICULAR RACE AND HUMAN STRATIFICATION — ACCORDING TO HIS/HER “KARMA”: HENCE, ONE WOULD BE BORN EITHER AS A CREATURE IN ANY OF 8.4 MILLION SPECIES (choryasi lakh fera) “OR” AS A SAVAGE HUMAN BEING OR A CIVILIZED HUMAN BEING “OR” IN ANY OF THE STRATIFIED FORM OF INDIAN “VARNASHRAMA” AS A “BRAHMIN”, “KSHATRIYA”, “VAISHYA”, OR “SHUDRA” — ONLY WHEN PEOPLE MAKE THE “SOCIAL ORDER” RIGID AND FIGHT AMONG THEMSELVES FOR RESOURCES, ETC. THEN ONLY WE HAVE PROBLEMS!

    The main “difference” between Animals and Human Beings is — “BHUKH NIDRA BHAY BHOG, PASHU SAMAN; GYAN EK ATHIK NARME; BINA GYAN, NAR PASHU SAMAN”. Animals and Humans — eat, sleep, fear, and procreate; however, without “wisdom and dharmic knowledge”, the human being is WORSE THAN A BEAST. DON’T WE — ALL HINDUS — NEED A “GENUINE” INTROSPECTION & SHOULD CHANGE FOR THE BETTER???? To become essentially civilized and stay Sanskari, four criteria are needed — Atma-Nirikshan (introspection); Atma-Sudhar (making conscientious changes); Atma-Nirman (building on good ethos); and, finally Atma-Vikas (fruitfully developing further on Dharmic-Sanskar).

    Everything depends upon “KARMA” — AS YOU SOW, SO YOU SHALL REAP. (You want to eat an apple and plant apple-seeds; after a few years, there will be an apple tree and you can enjoy the apples. However, if you want to eat mangoes or bananas and plant “apple-seeds”, THERE WILL NEVER BE “MANGO OR BANANA TREES” — ONLY, APPLE TREES — (DID YOU GET THE MESSAGE?) WHAT GOES AROUND, WILL ALWAYS COME AROUND.

    No one — not even me — can escape from the Eternal “Laws of Karma”. In order to get enlightened, please read “BHAGAVAD GITA” — IT IS THE ETERNAL MESSAGE OF THE ABSOLUTE GOD.

    Again, the Omnipotent, the Omniscient, the Omnipresent, Supreme Personality of Godhead, Shree Hare Krishna, has specifically mentioned in the Eternal Bhagavad Gita, among many karmic knowledge, not to specifically kill and innocent any creature, and this sloka, Chapter 9, Verse 26 (9:26):

    पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति |
    तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन: || 9:26||

    If one offers to Me with devotion a leaf, a flower, a fruit, or even water, I delightfully partake of that item offered with love by My devotee in pure consciousness.

    SO THE QUESTION OF OFFERING MEAT TO GOD DOESN’T ARISE AT ALL.

    AGAIN, IF YOU BECOME 100% VEGETARIANS AND DON’T EAT MEAT AT ALL, THEN THE QUESTION OF MEAT BEING “HALAL” OR NOT WILL NOT ARISE AT ALL!

    SO, WAKE UP, LOST HINDUS — BE PROACTIVE AND DO THE RIGHTEOUS THINGS FOR THE SURVIVAL OF SANATAN DHARMA. Eventually, Arjuna had realized his Karmic duty, when he had acknowledged to Shree Hare Krishna (Bhagavad Gita, Chapter 18, Verse 73; 18:73):-

    अर्जुन उवाच |
    नष्टो मोह: स्मृतिर्लब्धा त्वत्प्रसादान्मयाच्युत |
    स्थितोऽस्मि गतसन्देह: करिष्ये वचनं तव || 18:73 ||

    Arjun said: O Infallible One, by your grace my illusion has been dispelled, and I am situated in knowledge. I am now free from doubts, and I shall act according to Your instructions.

    SO, LET US ALL WAKE UP AND DO THE PROACTIVE TASK FOR TRUTH, JUSTICE, RIGHTEOUSNESS, AND THE ETERNAL SANATAN DHARMA. “GOOD KARMIC LUCK” TO ALL OF US!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!! :- DR. HARISHCHANDRA SHAH

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