विवेक अग्निहोत्री द्वारा निर्देशित फिल्म कश्मीर फाइल्स की सफलता जिस प्रकार बढ़ती जा रही है एवं जैसे जैसे उसे स्वीकार्यता मिलती जा रही है, वैसे वैसे उसके विरोध में न केवल राजनेता बल्कि कथित विचारक भी आ रहे हैं, जो कश्मीर के नाम पर एक तरफ़ा विमर्श चला रहे थे। वह राजनेता आए हैं जो कश्मीर सहित हिन्दुओं पर बिलबिला रहे थे।
11 अप्रेल को शरद पवार ने कहा कि एक व्यक्ति ने हिन्दुओं पर हुए अत्याचारों को दिखाते हुए एक फिल्म बनाई। यह दिखाती है कि बहुसंख्यक हमेशा ही अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है और जब मुस्लिम बहुसंख्यक हों तो हिन्दू समुदाय असुरक्षित अनुभव करता है, यह दुर्भाग्य पूर्ण है कि सत्ता में ऐसे लोग हैं, जो इस मूवी का प्रचार कर रहे है
इस पर विवेक अग्निहोत्री ने उत्तर देते हुए लिखा कि उस शख्स का नाम विवेक रंजन अग्निहोत्री है। जो आपसे कुछ दिन पहले विमान में मिले, आपके और आपकी पत्नी के पैर छुए और आपने उन्हें और उनकी पत्नी को आशीर्वाद दिया और उन्हें कश्मीरी हिंदू नरसंहार पर एक शानदार फिल्म बनाने के लिए बधाई दी थी।
शरद पवार ही नहीं बेचैन हैं, बल्कि वह प्रकाशक भी बेचैन हैं, जो अब तक केवल यही कहा करते थे कि कश्मीर से जगमोहन ने ही कश्मीरी पंडितों को भगा दिया था। और कश्मीरी पंडितों एवं कश्मीर पर किताब लिखने वाले अशोक पांडे, जो अभी तक कथित रूप से कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ बने हुए थे और जो कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को नकार रहे थे, वह कश्मीर फाइल्स के सबसे बड़े आलोचक बनकर उभर कर आए हैं।
क्या इस कारण कि उनका एजेंडा स्पष्ट हो गया है सभी के सामने? और कांग्रेस सहित सभी कथित सेक्युलर दल अशोक पांडे को बुलाकर आयोजन करा रहे हैं। एवं कश्मीर फाइल्स के पक्ष में बोलने वालों को भाजपाई या संघी प्रमाणित कर रहे हैं। चूंकि यह फिल्म उनके उस कथित सेक्युलर नैरेटिव को पूरी तरह से तोडती है तो वह इस फिल्म का समर्थन करने वाले हर व्यक्ति को भाजपाई घोषित कर रहे हैं।
अशोक पांडे के साथ एक कार्यक्रम का आयोजन युवक क्रान्ति दल ने पुणे में कराया था। इस सम्बन्ध में विवेक अग्निहोत्री ने यह अनुरोध किया था कि पुणे के कश्मीरी पंडित यदि उस आयोजन में जा सकें तो वह जाकर पांडेय जी को पूर्ण सत्य बताएं
इसके उपरान्त रोहित काचरू पुणे के उस आयोजन में जाना चाह रहे थे, परन्तु पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था।
इस पर अशोक पांडेय जी ने यह कहा था कि कश्मीरी पंडितों का स्वागत है परन्तु रोहित काचरू ने ट्वीट किया था कि अशोक पांडे ने फिर पुलिस से सेक्युरिटी की अर्जी दे दी? और फिर जब उन्होंने अर्जी दी तो उनके साथ पर्सनल मीटिंग की मांग की?
अशोकजी, आपने कल कहा था कि कश्मीरी हिंदुओ का स्वागत है कार्यकम में तो आज पुलिस से सिक्योरिटी लेने की अर्जी क्यों दी?
जब हमने अर्जी दी ताकि शांतिभंग का आरोप हमपे ना लगे तो अपने पर्सनल मीटिंग की मांग क्यों की? सार्वजनिक स्थान पर हमारे प्रश्न क्यों नही लिए? हमे डिटेन क्यों करवाया?
उसके बाद रोहित काचरू ने कहा कि
अशोकजी आपने अपना ट्वीट डिलीट करके खुद ही बता दिया कि कितना झूठ बोल लेते है आप लोग। कश्मीरी हिंदुओ के नरसंहार को अर्धसत्य बताकर आपने पाप किया है।
आप पुलिस अधिकारियों से मुझसे प्राइवेट मीटिंग के लिए गिड़गिड़ाते रहे। आप सच्चाई की राह पे होते तो सार्वजनिक जगह मिलने का साहस रखते।
परन्तु अशोक पांडे इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पाए कि विवेक अग्निहोत्री ने यह कैसे कह दिया कि पुणे के कश्मीरी पंडित जाकर उस आयोजन में जाकर अशोक पांडे से प्रश्न कर सकते हैं तो जब विवेक अग्निहोत्री बैंकाक में अपनी फिल्म रिलीज होने के अवसर पर गए हुए थे और वह इस फिल्म एवं इस विचार पर होने वाली चर्चा पर प्रसन्नता व्यक्त कर रहे थे और बैंकाक का वीडियो साझा कर रहे थे तो अशोक पांडे ने उस वीडियो को अत्यंत ही अपमानजनक तरीके से साझा किया!
मुझे सूचना मिली थी कि जिस दिन पुणे में पंडितों को मुझे पूरा सच दिखाने भेज रहे थे, खुद पूरी मौज लेने बैंकाक जा रहे थे।
यह ट्वीट ही उस एक बड़े वर्ग की हताशा और निराशा को दिखाने के लिए पर्याप्त है जिसके पूरे के पूरे विमर्श को एक फिल्म ने धोकर रख दिया है। कश्मीर फाइल्स ने विमर्श स्थापित करने का जो कार्य किया है, वह स्वयं में इतना बड़ा कार्य है कि जिसे सहज कोई भी सोच नहीं सकता है।
विवेक अग्निहोत्री 7 अप्रेल को थाईलैंड में ही थे, और वह वहां पर अपनी फिल्म के लिए गए थे
इस फिल्म के नैरेटिव से इस हद तक लोग चिढ गए हैं कि पाठकों को स्मरण होगा कि अरविन्द केजरीवाल ने तो दिल्ली की विधानसभा में यह तक कह दिया था कि विवेक अग्निहोत्री को इस फिल्म को यूट्यूब पर रिलीज कर देना चाहिए। इसका उत्तर भी विवेक अग्निहोत्री ने देते हुए नविका कुमार से कहा था
कि यह किसी राजनेता का सड़क पर थप्पड़ खाते हुए वीडियो नहीं था, जो यूट्यूब पर रिलीज़ कर दिया जाता!
पुणे में हुए उस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए गए रोहित काचरू को पुलिस ने गिरफ्तार कर दिया था, जिसे बाद में कई लोगों के हस्तक्षेप के बाद रिहा किया गया था।
अशोक पांडे जिसे विवेक अग्निहोत्री की मौज मस्ती कह रहे थे उस विषय में विवेक अग्निहोत्री ने ट्वीट किया था कि वह थाईलैंड में चूडालंकरण विश्वविद्यालय के भारतीय अध्ययन केंद्र में भाषण देने के लिए गए थे।
अशोक पांडे जैसे लेखकों एवं शरदपवार जैसे नेताओं द्वारा लगातार किये जा रहे प्रहारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं चोट बहुत गहरी है परन्तु यह देखना बहुत अजीब है जब कथित निष्पक्ष समाचारपत्र भी किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत और पेशेवर यात्रा को लेकर ऐसी हेडलाइन बनाते हैं कि उनके मंतव्य पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है!

क्या यह मानकर चला जाए कि मात्र एक ही फिल्म से वर्षों का बना बनाया नैरेटिव ढहकर गिर गया है और अब व्यक्तिगत लिंचिंग आरम्भ कर दी गयी है?