10 जून 2022 को गृहमंत्री श्री अमित शाह जी ने एक कार्यक्रम में कहा था कि पहले के इतिहासकारों ने मुगलों पर ही अधिक लिखा है, और हिन्दू चरित्रों को छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सुनहरे अतीत को लोगों के सामने लाना चाहिए और इस पर पुस्तकें लिखनी चाहिए!
परन्तु एक बात पर प्रश्न खड़ा हो गया है। यदि एक गृहमंत्री के रूप में अमित शाह यह बात करते हैं तो कहीं न कहीं यह सरकार की किसी कमी की ओर ही संकेत करते हैं। कई मोर्चों पर सफल कार्य करने वाली इस सरकार ने बौद्धिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में कहीं न कहीं उतना कार्य नहीं किया है, क्योंकि अभी भी वैचारिक मंचों पर लगभग वही लोग दिखाई देते हैं, जो इस सरकार ही नहीं बल्कि हिन्दू धर्म के भी विरोधी हैं एवं बहुत ही मीठा जहर समाज में भरते हैं।
आवश्यकता है एनसीईआरटी की पाठ्यसामग्री में परिवर्तन की!
पिछले आठ वर्षों में एनसीईआरटी में पाठ्यपुस्तकों में बच्चों को वही विषय पढ़ाया जा रहा है, जिसे सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने इसलिए बनाया था क्योंकि उससे पूर्व मुरली मनोहर जोशी ने कथित रूप से भगवाकरण का प्रयास किया था। अब प्रश्न यह उठता है कि जब गठबंधन सरकार चलाते समय भी शिक्षा पर कार्य हो सकता है, तो ऐसे में इस सरकार में जब बहुमत से कहीं अधिक सांसद हैं, इस क्षेत्र में कार्य क्यों नहीं किया गया?
एनसीईआरटी की पुस्तकों में ऐसी पाठ्यसामग्री को बच्चों के समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जो उन्हें एक विशेष अर्थात वामपंथी या कहें हिंदुविरोधी सोच की ओर ले जाती है। इतिहास तथा राजनीति विज्ञान में ऐसे प्रयोग जमकर किये गए हैं। जैसे महाभारत का सन्दर्भ दिया गया है!
महाभारत के सन्दर्भ अनेक झूठ बच्चों को इतिहास में पढाए जाते हैं, परन्तु इतने वर्षों में एनसीईआरटी में एक भी शब्द इनमें परिवर्तित नहीं किया गया? आइये देखते हैं कि बच्चों को इतिहास की पुस्तक के बहाने कैसे हिन्दुओं और ब्राह्मणों के विरुद्ध भड़काया जा रहा है। कक्षा 12 की इतिहास की पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ विषय -1 में अध्याय 3 में लिखा है कि चूंकि शूद्रों का कार्य मात्र शेष तीनों वर्गों की सेवा करना होता था, और उनके लिए यह व्यवस्था ब्राह्मणों ने बनाई थी, जो यह बताते थे कि उनकी प्रतिष्ठा जन्म पर आधारित है, किन्तु ऐसा करना आसान नहीं था, अत: इन मानदंडों को बहुधा महाभारत जैसे अनेक ग्रंथों में वर्णित कहानियों के द्वारा बल प्रदान किया जाता था।
इस कथन से दो निशाने सध गए हैं, एक तो ब्राह्मणों को खलनायक प्रमाणित कर दिया गया और महाभारत जैसे ग्रंथों को मिथक होना!
एकलव्य की कहानी को भी गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
भीम और हिडिम्बा के बहाने भी पूरे विमर्श को गलत एवं हिन्दुओं के प्रति अपमानजनक तरीके से प्रस्तुत किया गया है। और महाभारत जैसे ग्रंथों को ब्राह्मणीय ग्रन्थ कहा गया है। (इन ग्रंथों का ऐसा वर्गीकरण इतिहास में क्यों किया गया और क्या आधार था?)
परन्तु जो सबसे बड़ा अनर्थ किया गया है वह है कुंती को ही खलनायिका बना कर प्रस्तुत कर देना, जो वास्तव में सताई हुईं थीं। लाक्षागृह में जब पांडवों को जलाने की तैयारी पूरी हो गयी थी तो पांडव वहां से निकल गए थे, ऐसे में एक बहेलिन अपने पाँचों पुत्रों के साथ वहां पर जल गयी थी! महाभारत में यह लिखा गया है कि हे भारत, स्त्रियाँ रात्रि को वहां पूरे सुख से खा पीकर आनंदपूर्वक कुंती की आज्ञा से अपने अपने घर को पधारीं। काल की प्रेरणा से एक बहेलिन अपने पांच पुत्रों के साथ अपनी इच्छा से उस भोज में खाने की इच्छा से आई थी।
परन्तु इतिहास की पुस्तक में क्या पढ़ाया जा रहा है और वह भी महाश्वेता देवी की कहानी के बहाने से: “कि कुंती ने उन्हें मदिरा पिलाई थी इतनी कि वह सब बेसुध हो गए थे जबकि वह अपने पुत्रों के साथ निकल गयी थी।”
बच्चों के दिमाग में यह बात बैठ जाएगी कि कुंती ने जानबूझकर उस बहेलन को जलाया, जबकि महाभारत में ऐसा नहीं है।
परन्तु हमारा बच्चा वही विष वर्ष 2006 से निरंतर पढ़ रहा है। अब जब एक ऐसी पूरी की पूरी पीढ़ी आधिकारिक स्तर पर हिन्दू विरोधी पाठ्यसामग्री पढ़कर बड़ी हो गयी है, परिपक्व हो गई है वह कैसे उस देश या भूमि से जुडी रहेगी जहाँ पर कथित रूप से ऐसे अत्याचारी लोग रहा करते थे? इन पाठ्यपुस्तकों ने आत्मगौरव समाप्त कर दिया एवं आत्महीनता भर दी।
जिन पुस्तकों में कौशल को शूद्र का कार्य बता दिया गया तो कौन कौशल प्राप्त करना चाहेगा?
आज जिस सामग्री को कोविड 19 के नाम पर हटाया गया था, वह झूठ का भंडार है:
अब आइये जानते हैं कि आज जिस सामग्री को कोविड 19 के नाम पर पाठ्यसामग्री को हटाया गया है, वह है कक्षा बारह की राजनीतिविज्ञान की अध्याय 9 की सामग्री! इस अध्याय का नाम है भारतीय राजनीति: नए बदलाव! अब इसमें ऐसा क्या विशेष था?
इसमें गोधरा के दंगों का उल्लेख था। जिस गोधरा काण्ड पर न्यायालय अपना निर्णय सुना चुका है, उस गोधरा काण्ड को अपने आप लगी आग बताया था। इसमें लिखा था कि 2002 के फरवरी मार्च में गुजरात में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। गोधरा स्टेशन पर घटी एक घटना इस हिंसा का तात्कालिक उकसावा साबित हुई। अयोध्या से आ रही एक ट्रेन की बोगी कारसेवकों से भरी हुई थी और इसमें आग लग गयी। सत्तावन व्यक्ति इस आग में मर गए। यह संदेह करके कि बोगी में आग मुसलमानों ने लगाई होगी, अगले दिन गुजरात के कई भागों में मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई। हिंसा का यह तांडव लगभग एक महीने तक जारी रहा।”
यह कल्पना ही की जा सकती है कि आखिर कैसे इन पाठ्यसामग्री को पढ़कर निकला बच्चा हिन्दुओं का आदर कर पाएगा या फिर यह समझ पाएगा कि हिन्दू पीड़ित है? अब इन पृष्ठों को हटा दिया गया है:
यह बहुत ही अच्छी बात है कि सरकार द्वारा इस अतिविवादित तथा एजेंडा बनाकर परोसी गयी झूठी पाठ्यसामग्री को फिलहाल के लिए हटाया गया है, परन्तु अब समय आ गया है और जैसा गृहमंत्री जी स्वयं कहते हैं कि भारतीय दृष्टिकोण से इतिहास लिखा जाना चाहिए, इतिहास सुधारा जाना चाहिए, कि पाठ्यपुस्तकों में से हिन्दू-विरोधी एवं हिन्दुओं के प्रति अपमानजनक दृष्टि रखने वाली सामग्री को सदा के लिए हटाया जाए!